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ईवीएम पर बहुजन बुद्धिजीवियों ने उठाये सवाल

बीते 3 अक्टूबर 2018 को दिल्ली में एक सेमिनार में ईवीएम को लेकर बहुजन बुद्धिजीवियों ने सवाल उठाया। उनका मत रहा कि चुनावों में ईवीएम का उपयोग लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है। फारवर्ड प्रेस की खबर :

चुनावों में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के उपयोग को लेकर तमाम तरह की चर्चाओं का दौर सोशल मीडिया से लेकर चुनाव आयोग तक जोरों पर है। अब इस सवाल को बहुजन बुद्धिजीवी भी उठा रहे हैं। बीते 3 अक्टूबर 2018 को एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन दिल्ली में किया गया जिसमें पत्रकार उर्मिलेश, जेएनयू के प्रोफेसर विवेक कुमार और इंडिया टुडे के पूर्व कार्यकारी संपादक दिलीप मंडल सहित अनेक बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।

सेमिनार का विषय था – ‘मतदान के लिए ईवीएम कितना लोकतांत्रिक-कितना पारदर्शी’। इस संबंध में पत्रकार उर्मिलेश ने कहा कि ईवीएम का प्रचलन 1982 में शुरू हुआ। तब केरल के उत्तर पारावुर विधानसभा क्षेत्र में हुए उप चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था। वर्ष 2004 में पूरे देश में ईवीएम से मतदान शुरू हुए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पहले ईवीएम पर सवाल उठाए, लेकिन अब सत्ता में आने के बाद वह ईवीएम में गड़बड़ियों को नकार रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी ईवीएम में गड़बड़ियां होने के बावजूद केन्द्र सरकार, चुनाव आयोग, अधिकारी, कार्पोरेट और नेता सामूहिक स्वार्थ के चलते इसका बचाव कर रहे हैं।

सेमिनार को संबोधित करते पत्रकार उर्मिलेश

उर्मिलेश ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी माना है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। भारत सरकार द्वारा निर्वाचन का कानून बनाया गया, जिसमें मतदान की तीन प्रक्रिया स्वतंत्रता, निष्पक्षता और पारदर्शिता को निहित किया गया, लेकिन ईवीएम इन तीनों का पालन नहीं करती है। ईवीएम में बटन दबाने वाले मतदाता को पता नहीं चलता कि आपने किसको वोट दिया। आप साबित नहीं कर सकते कि आपने किसको वोट दिया। केन्द्र सरकार और भाजपा बैलेट पेपर से मतदान नहीं करवाना चाहती और कहती है कि बैलेट पेपर से मतदान होने से बूथ कैप्चरिंग का खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि ईवीएम दलितों और पिछड़ों के पक्ष में नही है। यह लोकतंत्र एवं संविधान के खिलाफ है।




वहीं दिलीप मंडल ने कहा कि विश्व के चार देशों में ईवीएम का प्रयोग होता है। ये देश ब्राजील, वेनुजुएला, भूटान और भारत हैं। उऩ्होंने सवाल उठाया कि अमेरिका जैसे विकसित देश में बैलेट पेपर से मतदान होता है लेकिन भारत में ईवीएम से। उन्होंने कहा कि जिस देश में ईवीएम से चुनाव नहीं होता भारत वहां से ईवीएम की चिप मंगवाता है। अगर चिप में कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती तो वह देश खुद ईवीएम से चुनाव क्यों नहीं करवाता। दिलीप मंडल ने कहा कि जो लोग खराब ईवीएम को सही कर सकते हैं, वे लोग ईवीएम में गड़बड़ी क्यों नहीं कर सकते हैं।

पत्रकार कुर्बान अली ने बताया कि भाजपा सरकार आज  ईवीएम में गड़बड़ी को नकार रही है, जबकि उसी सरकार के नेता जी.वी.एल. नरसिंह राव ने ईवीएम में गड़बड़ी पर एक किताब लिखी, जिसकी भूमिका भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने लिखी थी।

जेएनयू के प्रोफेसर विवेक कुमार ने कोडिंग का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इसे जनता से छिपाया नहीं जा सकता है। मंच का संचालन सुशील स्वतंत्र ने किया।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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