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गुजरात में यूपी-बिहार के लोगों पर जुल्म के खिलाफ बोले जिग्नेश, यह मुल्क सबका है

गुजरात में उत्तर प्रदेश और बिहार से गये मजदूरों को मारकर भगाया जा रहा है। इसे लेकर युवा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने विरोध व्यक्त किया है। वे भाजपा पर प्रांतवाद की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं। फारवर्ड प्रेस की खबर :

युवा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने गुजरात में उत्तर प्रदेश और बिहार से आये लोगों पर हो रहे हमले का विरोध किया है। गुजरात के इस युवा निर्दलीय विधायक ने कहा है कि यह मुल्क सबका है। गुजरात जितना गुजरातियों का है उतना ही यह देश के अन्य किसी प्रांत से आये लोगों का है, जो यहां आकर रोजी-रोटी कमाते हैं।

जिग्नेश का यह बयान तब आया है जब गुजरात में उत्तर प्रदेश और बिहार से आए लोगों पर पूरे गुजरात में हमले किये जा रहे हैं। वहां से बिहार और उत्तर प्रदेश आने वाली रेलगाड़ियों में लोग किसी तरह जान बचाकर भाग रहे हैं। वहीं पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी ट्वीट के जरिए हेल्पलाइन(9978520793) नंबर जारी किया है और आह्वान किया है कि यदि बिहार और उत्तर प्रदेश के किसी भी व्यक्ति को धमकी दी जा रही हो या फिर कोई हमला किया गया हो तो वे उनके हेल्पलाइन पर फोन करें। हार्दिक ने उन्हें संरक्षण देने की घोषणा की है।

जिग्नेश मेवाणी, गुजरात के युवा दलित नेता

दरअसल बीते 28 अक्टूबर को उत्तर गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मत नगर में 14 माह की एक बच्ची से बलात्कार का मामला सामने आने के बाद हिंसा बढ़ गयी है। अब यह एक राजनीतिक रूप भी धारण कर चुका है। भाजपा इसे कांग्रेस की साजिश करार दे रही है। उसका कहना है कि यह आग अल्पेश ठाकोर ने लगायी है जो कांग्रेस के विधायक हैं। वहीं अल्पेश ठाकोर ने बीते 9 अक्टूबर को संवाददाता सम्मेलन को सफाई दी कि उनके संगठन केटीएस ने बलात्कार वाले मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। यूपी और बिहार के लोगों पर हो रहे हमले में उनकी कोई संलिप्तता नहीं है। संवाददाता सम्मेलन में जब वे ऐसा कह रहे थे तब उनकी आंखों में आंसू थे।

बताते चलें कि अल्पेश ठाकोर पिछड़े वर्ग की पृष्ठभूमि से आते हैं और बीते 6-7 वर्षों से गुजरात में ओबीसी की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं।

बहरहाल, जिग्नेश मेवाणी ने एक बयान जारी कर अपना विरोध व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि जिस गुजरात में भाजपा सरकार स्टेच्यू ऑफ यूनिटी खड़ा कर रही है वहीं हमारे देश की एकता और अखण्डता तो तहस-नहस करने की चाहत रखने वाले कुछ प्रांतवादी लोग यूपी-एमपी और बिहार के भाई बहनों पर हमला बोल रहे है।

हमलों के बाद अहमदाबाद में जान बचाकर भागते प्रवासी मजदूर

उन्होंने कहा, “हमारा स्पष्ट मानना है कि 14 माह की बच्ची पर कहर बरसाने वाले बलात्कारियों को निर्विवाद रुप से सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, लेकिन नालियाकांड की रिपोर्ट दबा कर बैठी भाजपा सरकार कार्रवाई करने के बजाय प्रांतवादी मानसिकता से पीडित कुछ लोग अपना गुस्सा यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश के गरीब मज़दूरो पर निकाल रहे है ,जो बेहद शर्मनाक है।”

गौर तलब है कि पिछले वर्ष फरवरी 2017 में गुजरात के कच्छ क्षेत्र के नालिया इलाके में एक महिला के साथ गैंगरेप की घटना सामने आयी थी। इसमें भाजपा के चार नेताओं को अभियुक्त बनाया गया था।

उन्होंने कहा कि लगातार चौथे दिन यूपी और बिहार के मजदूरों पर हमला किया गया है और बिगड़ते हालात देखकर  प्रवासी मजदूर अपने बोरियां बिस्तर बांध कर अपने अपने वतन वापस लौट रहे है। जिन लोगों पर हमला किया जा रहा है वे वही मजदूर हैं जो निर्माण मजदूर के तौर पर अहमदाबाद में फ्लाई ओवर खड़े करते है और तपती धूप में ईंट के भट्ठों में पसीना बहाकर निर्माण के लिए ईंटें बनाते हैं। उन मजदूरों का खून बहाया जा रहा है जिनके खून पसीने से गुजरात के कारखाने चलते है और जिनकी मेहनत से गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय की दीवारों पर रंगरोगन होता है।

जान बचाकर अपने-अपने घरों को लौटते प्रवासी मजदूर, रेलगाड़ियों में नहीं बच रही जगह

जिग्नेश ने कहा कि प्रांतवादी मानसिकता से चलते इस प्रकार इन प्रवासी मजदूरों को खदेड़ देना गुजरात की संस्कृति कभी नहीं रही। गुजरात के लाखों लोग आज काम धंधे के लिए देश के कई हिस्सों में रहते हैं। वे विदेशों में हैं। कल को यदि हमारे इन गुजराती भाई-बहनों को पर प्रांतीय या विदेशी बताकर अपने बच्चों और सामान के साथ वहां से खदेड़े तो हम गुजरातवासियों को कैसा लगेगा ?

उन्होंने कहा कि हम और हमारा संगठन ‘राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच’ गुजरात में सालों से रहते और मजदूरी के लिए आए दिन आंतर राज्य प्रवासी मजदूरों पर हो रहे प्रांतवादी उत्पीडन के खिलाफ है और इन मजदूरों को आस्वस्त करते है कि आप पर हो रहे हर हमले के खिलाफ हम खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि  यह मुल्क दलित का भी है, गैर दलित का भी है, हिंदू का भी है मुसलमान का भी है, गुजराती का भी है और बिहारी का भी है। यह मुल्क सभी का है। किसी एक की बपौती नहीं।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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