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लखनऊ में आयोजित हो रहा बहुजन साहित्य पर सेमिनार

बहुजन साहित्य की अवधारणा धीरे-धीरे देशव्यापी अवधारणा बन रही है। विभिन्न खेमों में बंटे बहुजन साहित्यकार बहुजन साहित्य की अवधारणा के तहत एकजुट हो रहे हैं। इसी कड़ी में लखनऊ में बहुजन साहित्य पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन हो रहा है, फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट

धम्म दीक्षा दिवस (15 अक्टूबर) के उपलक्ष्य में लखनऊ में 14 अक्टूबर को बहुजन साहित्य पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया  जाएगा। इस एक दिवसीय सेमिनार में बहुजन साहित्य के विविध पक्षों पर विचार किया जायेगा। इस आयोजन को ‘बहुजन साहित्यकार सेमिनार’ नाम दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश  के राज्यपाल राम नाईक होंगे और अध्यक्षता पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद करेंगे। कार्यक्रम में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली से बहुजन साहित्यकार शिरकत करेंगे। ‘बुद्ध आंबेडकर कल्याण एसोशिएसन (उत्तरप्रदेश ) द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम त्रिलोकीनाथ हाल हजरतगंज, लखनऊ में होगा। आयोजन के दौरान फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित डॉ. आंबेडकर की किताब ‘जाति का विनाश का लोकार्पण’ होगा तथा बहुजन साहित्यकारों को सम्मानित भी किया जायेगा।

कार्यक्रम के मुख्य आयोजक ज्ञानप्रकाश जख्मी ने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य बहुजन साहित्यकारों के बीच देशव्यापी एकजुटता कायम करना है, चाहे वे किसी भाषा या क्षेत्र के हों।

इसी को ध्यान में रखकर देश अलग-अलग प्रांतों से बहुजन साहित्यकारों को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने यह बताया कि इस एक दिवसीय सेमिनार में बहुजन साहित्य के दर्शन,वैचारिकी और सौन्दर्य दृष्टि पर चिंतन-मनन और विचारों का आदान-प्रदान होगा। उनका यह भी कहा  कि चूंकि बहुजन अवधारणा का एक संबंध महात्मा बुद्ध से भी है,, इसलिए इसे धम्मदीक्षा दिवस के उपलक्ष्य में किया गया है। डॉ. आंबेडकर ने अपने लाखों अनुयायियों के साथ 15 अक्टूबर 1956 बुद्ध धम्म ग्रहण किया था।

कार्यक्रम को फारवर्ड प्रेस के संपादक (हिंदी) डॉ सिद्धार्थ, दलित साहित्कार डॉ. कालीचरण स्नेही. नवनाथ कांबले और  एम.डी. इंगोले आदि संबोधित करेंगे।


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दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

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एफपी डेस्‍क

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