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फिर भड़का महिषासुर के अपमान का मुद्दा, विरोध में उतरे आदिवासी

दुर्गा द्वारा महिषासुर वध और दशहरे पर रावण के दहन को आदिवासी युवा अपनी अस्मिता का अपमान मानते हुए इस साल भी संगठित हो रहे हैं। उनका कहना है कि हिंदू अपने आदर्श दुर्गा और राम को पूजें, मगर असुरराज महिषासुर का वध और राजा रावण का दहन अब किसी भी कीमत पर हमें स्वीकार्य नहीं है। फॉरवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :

छत्तीसगढ़ में इस साल भी महिषासुर के अपमान का मामला तूल पकड़ने लगा है। राज्य के कोरबा जिले स्थित पोंडी-उपरोड़ा में ‘गोंडवाना स्टूडेंड यूनियन’ से जुड़े युवा इस संकल्प के साथ आदिवासियों के बीच जागरुकता पैदा कर रहे हैं कि उनके आदर्श महिषासुर और रावण का हिंदू उत्सवों के नाम पर जो अपमान किया जाता है, वह उनकी संस्कृति, ऐतिहासिकता और पुरखों का अपमान है, जिसे जल्द से जल्द बंद किया जाए। गौरतलब है कि साल  2017 में भी दर्जनों संगठनों ने मध्यप्रेदश, छत्तीसगढ व झारखंड में इस प्रकार के ज्ञापन प्रशासन को दिए थे तथा कुछ जगहों पर दुर्गा पूजा के विरोध में पुलिस् में शिकायत भी दर्ज करवाई गई थी।

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लेखक के बारे में

प्रेमा नेगी

प्रेमा नेगी 'जनज्वार' की संपादक हैं। उनकी विभिन्न रिर्पोट्स व साहित्यकारों व अकादमिशयनों के उनके द्वारा लिए गये साक्षात्कार चर्चित रहे हैं

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