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बहुजनों के दोस्त पी. एस. कृष्णन

भारतीय प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी रहे पी. एस. कृष्णन भारत में बहुजनों के लिए बने कई कानूनों और योजनाओं के सृजनकार रहे। फिर चाहे वह मंडल कमीशन का मसौदा हो या फिर एससी-एसटी एक्ट का। उनसे जुड़े अपने संस्मरण सुना रहे हैं दलित लेखक मोहनदास नैमिशराय :

“एक टुकड़ा जमीन जिस समाज के पास है, वह सिकंदर है। जिसके पास जमीन नहीं, वह गुलाम है।” -पी.एस. कृष्णन

90 का दशक भारतीय राजनीति में जहां उथल-पुथल का रहा है। इस दौर में समाज में हाशिये से थोड़ा-बहुत केंद्र में आए दलितों को धकेलने के प्रयास भी होने लगे थे। पर इसी दशक में बहुजन समाज के साथियों ने एकजुट होकर जातिवादियों से सीधे टकराने का मन भी बना लिया था। इसी दशक में बाबा साहब डॉ. आंबेडकर जन्म शताब्दी समारोह समिति का भी गठन हुआ। इस समिति के गठन और उसकी रूपरेखा बनाने के पीछे जो शख्सियत थी, उस शख्सियत का नाम है- पी.एस. कृष्णन। जिनका समिति निर्माण और दलित सवालों को हल करने में प्रतिबद्ध साथियों को समिति सदस्य के रूप में लाने में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सच तो यह है कि खास वर्ग से होने के बावजूद वे आमजन से भी जुड़े थे। उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयासरत रहे। संभवतः 1978 में वे गृह मंत्रालय में आईएएस के रूप में आए।

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लेखक के बारे में

मोहनदास नैमिश्यराय

चर्चित दलित पत्रिका 'बयान’ के संपादक मोहनदास नैमिश्यराय की गिनती चोटी के दलित साहित्यकारों में होती है। उन्होंने कविता, कहानी और उपन्यास के अतिरिक्त अनेक आलोचना पुस्तकें भी लिखी।

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