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‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ : करोड़ों गुमनाम बहादुर घुमंतू जातियों के लोगों की दास्तान

आमिर खान और अमिताभ बच्चन द्वारा अभिनित यह फिल्म ‘फिलिप मेडोव टेलर’ द्वारा 1839 में लिखे गए उपन्यास ‘कन्फेशंस ऑफ ए ठग’ पर आधारित है। यह देश के दस करोड़ विमुक्त-धुमंतू जातियों के साहस व शौर्यपूर्ण अतीत का चित्रण करता है, जिन्हें पहले अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब की संज्ञा दी और जो स्वतंत्रता के बाद भी अपनी पहचान और अधिकारों के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। जर्नादन गोंड का लेख :

विमुक्त-धुमंतू जातियों के इतिहास पर बनी है यह फिल्म

बताया जा रहा है कि फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ का बजट लगभग 300 करोड़ है। मतलब भारत की मंहगी फिल्म है, जिसे हिंदी, तमिल और तेलुगू में 3डी और आईमेक्स फॉर्मेट में एक साथ पूरी दुनिया में रिलीज किया गया है। निश्चित रूप भारतीय सिनेमा के इतिहास में यह अपने तरह की अनूठी फिल्म है, क्योंकि फिल्म की कहानी ठगों अर्थात ब्रिटिशकाल के ‘एंटी हीरो’ पर आधारित है। एक प्रकार से ‘एंटी हीरो’ में हीरो की तलाश की गई है। जाहिर तौर पर यह आजाद भारत में ही हो सकता है। अंग्रेजों के समय में इस तरह के विषय का चुनाव फिल्म बनाने के लिए नहीं किया जा सकता था। पर यह भी सच है कि जिस समाज को हीरो दिखाया गया है, वह समाज आज भी गुलामों सी जिंदगी जी रहा है।

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लेखक के बारे में

जनार्दन गोंड

जनार्दन गोंड आदिवासी-दलित-बहुजन मुद्दों पर लिखते हैं और अनुवाद कार्य भी करते हैं। ‘आदिवासी सत्ता’, ‘आदिवासी साहित्य’, ‘दलित अस्मिता’, ‘पूर्वग्रह’, ‘हंस’, ‘परिकथा’, ‘युद्धरत आम आदमी’ पत्रिकाओं में लेख ,कहानियां एवं कविताएं प्रकाशित। निरुप्रह के सिनेमा अंक का अतिथि संपादन एवं आदिवासी साहित्य,संस्कृति एवं भाषा पर एक पुस्तक का संपादन। सम्प्रति इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी व आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

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