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सांसद सावित्री बाई फुले ने छोड़ी भाजपा, लगाए गंभीर आरोप

उत्तर प्रदेश के बहराइच से भाजपा सांसद सावित्री बाई फूले ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है। खास बात यह है कि उन्होंने 6 दिसंबर काे इस्तीफा दिया है। फॉरवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :

उत्तर प्रदेश के बहराइच से भाजपा सांसद सावित्री बाई फूले ने गुरुवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के साथ ही उन्होंने भाजपा पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने भाजपा पर यह आरोप तक लगाया कि वह समाज में बंटबारे की साजिश रच रही है।भाजपा पर लगाए गए इस गंभीर आरोप के पक्ष में उन्होंने कहा कि विहिप, भाजपा व आरएसएस इस काम में जुट गया है और इनसे जुड़े संगठन अयोध्या में 1992 जैसी स्थिति पैदा कर समाज में विभाजन एवं सामाजिक तनाव की स्थिति उत्पन्न करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इन्हीं सब कारणों से वह पिछले कुछ महीनों से घुटन महसूस कर रही थीं और आहत होकर ही उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला लिया।

सांसद ने 6 दिसंबर काे ही क्यों दिया इस्तीफा

इस सवाल पर कि बाबा साहब आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर) वाले दिन को ही इस्तीफा के लिए चुनने के पीछे की आखिर क्या वजह है? उन्होंने कहा कि, ‘‘बाबा साहब संविधान के निर्माता हैं और संविधान की रक्षा करने का वक्त आ गया है, इसलिए इस दिन को चुना गया है।’’

देश को बताई रोजगार की जरूरत

सावित्री बाई फूले ने कहा कि, ‘‘देश को मंदिर की नहीं, विकास और रोजगार की जरूरत है। यह भी बता दूं कि बाबा साहब के बताए रास्ते पर ही सभी को चलना होगा। यानी देश मंदिर और भगवान से नहीं, बल्कि संविधान से चलेगा। किसी भी तरह की कोशिश व साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।’’

सावित्री बाई फुले

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि, ‘‘भाजपा लोगों को बरगलाने के लिए मंदिर मुद्दा फिर से उछाल रही है। उसकी मजबूरी है, क्योंकि उसके पास कोई ठोस मुद्दा है ही नहीं।’’

इस्तीफा देने से पहले योगी पर बोला हमला

बताते चलें कि भाजपा सांसद ने इस्तीफा देने से लगभग 24 घंटे पहले भी अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ पर हमला बोला था और उनके राजस्थान में पिछले दिनों हनुमान को लेकर की गई टिप्पणी पर तंज कसते हुए कहा था कि, ‘‘भगवान हनुमान निश्चित रूप से दलित थे और तभी तो मनुवादियों ने उनकी शक्ल वानरों जैसी बना दी। इतना ही नहीं, मनुष्य होने के बावजूद उनका चेहरा काला और बंदरों जैसा बना दिया, जबकि हम सभी जानते हैं कि किस तरह विपरीत परिस्थिति में हनुमान ने राम की मदद की। होना यह चाहिए था कि राम का बेड़ा पार कराने में अहम भूमिका निभाने वाले हनुमान को भगवान माना जाता, लेकिन मनुवादियों ने राम को भगवान बना दिया और हनुमान को उनका सेवक। देश के पिछड़े लोग राजा हुआ करते थे। वे रक्षा करने का काम किया करते थे, तो उन्हें रावण कहा गया।’’

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हनुमान मंदिरों में पुजारी बनाए जाएं दलित

भाजपा सांसद ने कहा कि, ‘‘मनुवादी सोच अब नहीं चलने वाली है और अब तो उनकी यह मांग है कि जिन-जिन मंदिरों में हनुमान की मूर्तियां लगी हैं, उन सभी मंदिरों में दलित पुजारी नियुक्त किए जाएं। क्योंकि, यह सर्वविदित है कि मंदिरों से सिर्फ ब्राह्मणों को लाभ मिलता है, जो कुल जनसंख्या का मात्र तीन प्रतिशत हैं।’’ उन्होंने कहा कि, ‘‘यह कटु सत्य है कि ब्राह्मणों की कमाई का धंधा बन गया है मंदिर और मंदिर निर्माण की मांग वही लोग करते हैं, जो मंदिर के मालिक (पुजारी) हुआ करते हैं। बहुजन समाज के लोग आस्था से जो भी चढ़ावा मंदिर में चढ़ाते हैं, उसके मालिक ब्राह्मण पुजारी ही होते हैं। एक लाइन में कहें तो अपना धंधा चलता रहे, आने वाली पीढ़ी को आर्थिक परेशानी नहीं हो, इसलिए राम मंदिर की बात उठाई जा रही है। सवर्ण समाज लोगों का ध्यान डायवर्ट करने के लिए राम मंदिर का मुद्दा उछाल रहे हैं, जबकि हमारा तो साफ मानना है कि अयोध्या में मंदिर-मस्जिद मसला अदालत में लंबित है और तब तक शांतिपूर्ण ढंग से हम सबों को उसके निर्णय का इंतजार करना चाहिए। साक्ष्य के आधार पर निर्णय आते ही सच्चाई सामने आ जाएगी, क्योंकि साक्ष्य में तथागत भगवान बुद्ध की नगरी होने की बात सामने आ रही है। इसलिए तथागत की प्रतिमा स्थापित होने से वर्षों से चले आ रहे इस विवाद का भी पटाक्षेप हो जाएगा।’’

(कॉपी संपादन : प्रेम)


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लेखक के बारे में

कुमार समीर

कुमार समीर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा समेत विभिन्न समाचार पत्रों में काम किया है तथा हिंदी दैनिक 'नेशनल दुनिया' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय संपादक रहे हैं

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