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जम्मू-कश्मीर : जमीन से बेदखल किए जा रहे हैं गुज्जर व बकरवाल

राेशनी अधिनियम के कारण लंबे समय से खानाबदोश जीवन जी रहे जम्मू-कश्मीर के गुज्जर और बकरवाल समाज के लोगों के जीवन में ठहराव आना शुरू ही हुआ था कि राज्यपाल ने रोशनी अधिनियम को निरस्त करने का आदेश दिया है। अब उनके सामने अपना जीवन और आजीविका बचाने का संकट है

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक ने गरीबों व जनजाति के लिए शुरू की गई रोशनी अधिनियम को यह कह कर निरस्त कर दिया है कि यह अपने उद्देश्य में खरे नहीं उतर पायी है और मौजूदा संदर्भ में यह प्रासांगिक भी नहीं है। लेकिन इस निर्णय से बड़े पैमाने पर मुस्लिम समाज के गुज्जर और बकरवाल जनजातियों को अपने सदियों पुराने पेशे पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। क्योंकि इससे इनके पास मवेशियों को चराने के लिए जमीन नहीं रहेगी।

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लेखक के बारे में

कुमार समीर

कुमार समीर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा समेत विभिन्न समाचार पत्रों में काम किया है तथा हिंदी दैनिक 'नेशनल दुनिया' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय संपादक रहे हैं

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