बीते 7 नवंबर 2018 को सुन्हेरसिंह ताराम जी का अल्प बीमारी से अचानक निधन हो गया। गोंडवाना की अति प्राचीन भाषा, साहित्य, संस्कृति और इतिहास पर खोज करने वाले ताराम जी असामान्य विद्वान थे। ग्रंथों से और कागज-कलम से उनकी इतनी दोस्ती थी कि एक दिन भी उनके बगैर वे नहीं रह पाते थे। इतना गहरा रिश्ता था उनका किताबों के साथ। वे ग्रंथ प्रेमी व साहित्य प्रेमी थे। गंभीरता उनका स्वभाव था। बीते 40 साल से उनकी साहित्य यात्रा और 32 साल से निरंतर प्रकाशित ‘गाेंडवाना दर्शन’ मासिक पत्रिका इसके साक्षी रहे हैं।
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