रामानन्द नहीं, कबीर का विवेक था उनका गुरु
कासी में हम प्रगट भए हैं,
रामानन्द चेताय।[i]
ये पंक्तियां न ‘कबीर-ग्रन्थावली’ में मिलती हैं और न ‘गुरु ग्रन्थ साहब’ में। लेकिन कबीर के सभी जीवनी-लेखकों ने इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि कबीर को रामानन्द ने दीक्षा दी थी, अर्थात् रामानन्द कबीर के गुरु थे। जब यह पंक्ति कबीर ग्रन्थावली में नहीं है, तो इसका स्रोत क्या है? किसी भी जीवनी लेखक ने इस पंक्ति का स्रोत नहीं बताया है। यह हो सकता है कि इसे किसी रामानन्दी वैष्णव-पंथी ने बाद में गढ़ा हो। लेकिन, इसका अर्थ यह नहीं है, जो द्विज लेखकों ने बताया है। इसका सही अर्थ यह है कि कबीर स्वयं रामानन्द को चेताने के लिये काशी में आये थे।
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