h n

ऐतिहासिक साक्ष्य : जब बंबई पहुंचा बाबा साहब का पार्थिव शरीर

6 दिसंबर 1956 को डॉ. आंबेडकर के महापरिनिर्वाण के बाद पूरे देश के दलित-बहुजन उदास थे। लेकिन इस मौके पर भी बड़ी संख्या में दलित-बहुजनों ने बंबई में उनके पार्थिव शरीर को छूकर बौद्ध धर्म स्वीकार किया। पढ़ें, सीआईडी, बम्बई की विशेष शाखा के वे दस्तावेज, जिनमें दर्ज हैं डॉ. आंबेडकर की अंतिम यात्रा की पल-पल की घटनाएं :

दोपहर दो बजे बंबई पहुंचा डॉ. आंबेडकर का पार्थिव शरीर

सीआईडी, बम्बई की विशेष शाखा द्वारा 12 दिसम्बर 1956 को बम्बई सरकार के सचिव को लिखा गया गोपनीय पत्र संख्या 12609/एच—

सेवा में,

सचिव

बम्बई सरकार

गृह विभाग, बम्बई।

विषय : डा. आंबेडकर का अंतिम संस्कार

6 दिसम्बर को दिल्ली में दोपहर एक बजे राज्यसभा सदस्य और शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के नेता डा. बी. आर. आंबेडकर के आकस्मिक निधन की खबर जंगल की आग की तरह पूरे शहर में, ख़ास तौर से पिछड़े वर्ग के समुदायों में फ़ैल गई। भारी संख्या में लोग दादर में हिन्दू कॉलोनी स्थित डा. आंबेडकर के निवास ‘राज गृह’ पर इकट्ठे हो गए, जहाँ वे उनके अंतिम दर्शन करना चाहते थे। लोगों की इतनी ही बड़ी भीड़ सांता क्रूज़ हवाई अड्डे पर थी, जहाँ उनके पार्थिव शरीर को हवाई जहाज से लाने की खबर है।

पूरा आर्टिकल यहां पढें ऐतिहासिक साक्ष्य : जब बंबई पहुंचा बाबा साहब का पार्थिव शरीर

 

 

लेखक के बारे में

सीआईडी, बंबई

संबंधित आलेख

पढ़ें, शहादत के पहले जगदेव प्रसाद ने अपने पत्रों में जो लिखा
जगदेव प्रसाद की नजर में दलित पैंथर की वैचारिक समझ में आंबेडकर और मार्क्स दोनों थे। यह भी नया प्रयोग था। दलित पैंथर ने...
राष्ट्रीय स्तर पर शोषितों का संघ ऐसे बनाना चाहते थे जगदेव प्रसाद
‘ऊंची जाति के साम्राज्यवादियों से मुक्ति दिलाने के लिए मद्रास में डीएमके, बिहार में शोषित दल और उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शोषित संघ बना...
‘बाबा साहब की किताबों पर प्रतिबंध के खिलाफ लड़ने और जीतनेवाले महान योद्धा थे ललई सिंह यादव’
बाबा साहब की किताब ‘सम्मान के लिए धर्म परिवर्तन करें’ और ‘जाति का विनाश’ को जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जब्त कर लिया तब...
जननायक को भारत रत्न का सम्मान देकर स्वयं सम्मानित हुई भारत सरकार
17 फरवरी, 1988 को ठाकुर जी का जब निधन हुआ तब उनके समान प्रतिष्ठा और समाज पर पकड़ रखनेवाला तथा सामाजिक न्याय की राजनीति...
जगदेव प्रसाद की नजर में केवल सांप्रदायिक हिंसा-घृणा तक सीमित नहीं रहा जनसंघ और आरएसएस
जगदेव प्रसाद हिंदू-मुसलमान के बायनरी में नहीं फंसते हैं। वह ऊंची जात बनाम शोषित वर्ग के बायनरी में एक वर्गीय राजनीति गढ़ने की पहल...