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डीयू में 30 घंटे के बाद गतिरोध खत्म

दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था एकेडेमिक कांउन्सिल की बुधवार को हुई बैठक हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद से जो गतिरोध उत्पन्न हुआ था, वह कुलपति के आश्वासन के बाद खत्म हो गया

दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था एकेडेमिक कांउन्सिल की बुधवार को हुई बैठक हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद से जो गतिरोध उत्पन्न हुई थी, वह कुलपति के आश्वासन के बाद खत्म हो गई। कुलपति ने उच्च समिति की अधिकांश सिफारिशों को एकेडमिक काउंसिल की अगली बैठक में रखने का भरोसा दिलाया। इसके बाद ही काउंसिल हॉल में धरने पर बैठे एसी सदस्यों ने धरना समाप्त किया। इससे पहले वे लोग बुधवार पूरी रात व गुरुवार को दिनभर काउंसिल हाल में ही धरने पर बैठे रहे। वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने भी अपनी कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाकर धरने पर बैठे एसी सदस्यों का समर्थन करने का फैसला और उनकी लड़ाई को आगे बढ़ाने का संकल्प लेना भी शिक्षकों के हक में रहा। माना जा रहा है कि शिक्षकों की एकजुटता के कारण ही कुलपति को आश्वासन देना पड़ा।

डीयू प्रशासन की तरफ से कुलपति के आश्वासन के बाद खत्म हुआ गतिरोध

आश्वासन दिए जाने से पहले देर शाम दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन ‘ने बताया था कि 18 महीनों के बहुत लंबे अंतराल के बाद 2 जनवरी 2019 को डीयू की विद्वत परिषद की बैठक आहूत की गई। इस बैठक में भारत के राजपत्र में 18 जुलाई 2018 को प्रकाशित यूजीसी रेगुलेशन को विश्वविद्यालय के अधिनियमों में परिवर्तित करके पारित किया जाना था। उनका कहना है कि 17 सितम्बर 2018 को यूजीसी रेगुलेशन के संशोधन और परिवर्धन तथा उसके आधार पर विश्वविद्यालय के अधिनियमों में परिवर्तन के लिए एक हाई पावर्ड ऑडिनेंश अमेंडमेंट कमेटी डीयू प्रशासन द्वारा किया गया था।

उन्होंने बताया है कि इस कमेटी ने दो महीने में एक दर्जन बैठकें कर 28 नवम्बर 2018 को अपनी रिपोर्ट जमा कर दी थी। इस रिपोर्ट में दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित अधिनियमों में जरूरी परिवर्तन और परिवर्धन किये थे। यूजीसी रेगुलेशन–2018 में जहां भी इस कमेटी ने यूजीसी रेगुलेशन में मौजूद थोड़ी बहुत अस्पष्टताओ का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसे शिक्षकों के लिए और भी अधिक लाभकारी बना दिया था।

बता दें कि यूजीसी रेगुलेशन के आधार पर बनाई गई रिपोर्ट लागू होने के बाद कॉलेजों/विभागों में परमानेंट अपॉइंटमेंट, शिक्षकों की रुकी हुई प्रमोशन, एडहॉक सर्विस को जोड़ना, महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश मिलना आदि समस्याओं का सुनिश्चित समाधान हो जाता। उन्होंने आगे बताया है कि शिक्षक विरोधी एपीआई प्रक्रिया का प्रमोशन हेतु खात्मा भी किया गया था। विभिन्न शिक्षक संगठनों और डूटा द्वारा पत्र लिखने व प्रदर्शन करने के बाद 2 जनवरी 2019 को एकेडेमिक कांउन्सिल की बैठक आहूत की गई लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गठित की गई ऑडिनेंश अमेंडमेंट कमेटी की रिपोर्ट एजेंडे से गायब थी। यह समस्त शिक्षकों और एकेडमिक काउंसिल के निर्वाचित सदस्यों के लिए एक बड़ा धक्का था।

एसी सदस्य रात भर कांउन्सिल हॉल में डटे रहे, रात बिना कम्बल, रजाई के काटी

एकेडमिक काउंसिल के अन्य सदस्य डॉ. रसाल सिंह ने बताया है कि दशकों से नियुक्ति व पदोन्नति के लगभग ठप्प होने के कारण शिक्षकों में भारी निराशा, असंतोष और गुस्सा है। उनके इस आक्रोश को समझते हुए और मामले की गम्भीरता के मद्देनजर डूटा ने विश्वविद्यालय के डीयू कुलपति कार्यालय के बाहर मीटिंग के दौरान धरने का आयोजन किया और शिक्षकों का इस धरने में भारी संख्या में शामिल होने का आह्वान किया था।डूटा के आह्वान पर भारी संख्या में शिक्षक आज कुलपति कार्यालय के बाहर जमा हुए उनकी भावनाओं और जरूरत के मद्देनजर सभी निर्वाचित एसी सदस्यों ने एक स्वर में कमेटी की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने की जोरदार मांग की। एसी सदस्यों डॉ पंकज गर्ग, नचिकेता सिंह, डॉ प्रदीप कुमार, डॉ रियाजुद्दीन, डॉ एन सचिन, डॉ रसाल सिंह, डॉ समरेंद्र कुमार ,डॉ वी एस दीक्षित,आदि ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन की हठधर्मिता, संवेदनशीनता पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और इन सबों ने आंदोलन तेज करने का फैसला किया था।

डीयू तदर्थ शिक्षक बैठे हड़ताल पर

दिल्ली विश्वविद्यालय के तदर्थ शिक्षक स्थाई नियुक्ति की मांग को लेकर शुक्रवार से हड़ताल पर बैठ गए हैं। तदर्थ शिक्षकों के नेता मनोज कुमार के मुताबिक बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से लगभग पांच हजार से अधिक तदर्थ शिक्षक पढ़ा रहे हैं लेकिन उनकी स्थाई नियुक्ति नहीं की जा रही है। इसी के विरोध में उनलोगों ने नॉर्थ कैंपस स्थित आर्ट फेकल्टी में बेमियादी भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला किया है।

(कॉपी संपादन : अर्चना)


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लेखक के बारे में

कुमार समीर

कुमार समीर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा समेत विभिन्न समाचार पत्रों में काम किया है तथा हिंदी दैनिक 'नेशनल दुनिया' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय संपादक रहे हैं

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