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स्थायी समायोजन के लिए भूख हड़ताल कर रहे डीयू के एडहाॅक शिक्षक

एडहॉक शिक्षक मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार स्थायी समायोजन को लेकर जल्द अध्यादेश लाए। साथ ही यह मांग भी उठायी जा रहा है कि अध्यादेश में आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का भी ध्यान रखा जाए ताकि लंबे समय से रिक्त पड़े एससी, एसटी, ओबीसी व विकलांग शिक्षकों के पदों को भरा जा सके

एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के लिए आरक्षण को लागू करने की मांग


दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत एडहाॅक शिक्षकों का स्थायी समायोजन को लेकर चल रहा भूख हड़ताल जारी है। अब उनके समर्थन में  फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस के सदस्य भी आ गए हैं। फोरम के द्वारा केंद्र सरकार से तुरंत अध्यादेश लाने की मांग की गई है। साथ ही एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान करने की भी मांग की गई है।

बीते 6 जनवरी 2019 को फोरम के सदस्य आंदोलनरत एडहाॅक शिक्षकों के समर्थन में पहुंचे और विश्वविद्यालय प्रशासन व मानव संसाधन विकास मंत्रालय के रवैये पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की।

फोरम के चेयरमैन और दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडेमिक कांउन्सिल के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन ‘ने इस संबंध में कहा कि केंद्र सरकार जब भी समायोजन पर कोई नीति लेकर आए तो उसमें आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का भी ध्यान रखा जाए ताकि उन पदों पर जल्द नियुक्ति हो सके जो विभिन्न कारणों से नहीं भरे जा सके हैं।

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन और दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडेमिक कांउन्सिल के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन

उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एससी/एसटी के उम्मीदवारों का आरक्षण 2 जुलाई 1997 से लागू किया गया है लेकिन उसे अमलीजामा पहनाने में कई वर्ष लगे। इसी तरह से ओबीसी आरक्षण को 21 मार्च 2007से लागू करते हुए पदों को भरना था लेकिन 2013 के बाद से इन पदों को भरना शुरू किया गया।

स्थायी समायोजन के लिए भूख हड़ताल कर रहे शिक्षकों के समर्थन में उतरे कई शिक्षक संगठन

उन्होंने कहा कि एससी, एसटी के लिए आरक्षित पदों को भरने के लिए 40 पॉइंट रोस्टर लागू कर बैकलॉग और शॉटफाल पदों को भरने के बाद 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर लागू किया जाना था ,मगर 13 पॉइंट रोस्टर लागू करके पदों को भरा गया। इससे एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के उम्मीदवारों का आरक्षण आज तक पूरा नहीं हुआ।

प्रो. सुमन के मुताबिक एससी–15,एसटी–7:5और ओबीसी–27 फीसदी आरक्षण देते हुए, सभी श्रेणियों का बैकलॉग व शॉर्टफाल का ध्यान रखा जाना चाहिए ताकि सामाजिक न्याय के सिद्धांत का सही से पालन हो।


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लेखक के बारे में

कुमार समीर

कुमार समीर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा समेत विभिन्न समाचार पत्रों में काम किया है तथा हिंदी दैनिक 'नेशनल दुनिया' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय संपादक रहे हैं

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