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आंखन-देखी : कुम्भ के बाज़ार में धर्म और अधर्म

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद का परिवर्तित नाम) में कुम्भ का आगाज हो चुका है। योगी सरकार द्वारा इसे ‘दिव्य कुम्भ - भव्य कुम्भ’ का टैगलाइन दिया गया है। इसकी स्वच्छता के लिए हजारों सफाईकर्मी दिहाड़ी मजदूर के रूप में लाए गए हैं। लेकिन उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ठंड लगने से अब तक चार सफाईकर्मियों की मौत भी हो चुकी है

कुम्भ में नारकीय जीवन जीने का विवश हजारों सफाईकर्मी, अब तक चार की मौत

‘दिव्य कुम्भ – भव्य कुम्भ’ की टैगलाइन के साथ इलाहाबाद यूपी (परिवर्तित नाम प्रयागराज) में संगम तट पर कुम्भ  (अर्द्धकुम्भ) का आगाज 15 जनवरी 2019 से हो गया है। टीवी चैनलों और अखबारों में ‘टेंट सिटी’ की भव्यता की चर्चा है। लेकिन उस टेंट सिटी को बसाने के लिए कितनी झुग्गियों, कितने गांवों को उजाड़ा गया, इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है। अख़बारों और टीवी चैनलों पर तमाम अखाड़ों के पेशवाई की चर्चा है। लेकिन उन 30-32 हजार सफाईकर्मियों और उनके परिवारों और ठंड में ठिठुरते छोटे-छोटे बच्चों के बारे में कहीं कोई खबर नहीं है, जो मेला क्षेत्र में स्वच्छता अभियान के लिए  मध्य प्रदेश के सतना, सीधी, छाता, कटनी और उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा और औराई आदि जिले से लाए गए हैं।

गंदे नाले के किनारे सफाईकर्मियों के रहने की व्यवस्था

सफाईकर्मियों के रहने के लिए बघाड़ा मेला क्षेत्र के सबसे गंदे और उपेक्षित क्षेत्र में छोटी-छोटी टेंटनुमा झुग्गी बस्तियां बनाई गई हैं। जिसके बगल से ही एक बड़ा और गंदा नाला बहता है। जहां विचरण करते सुअरों के बीच जाति समुदाय विशेष के लोग परिवार समेत 14 दिसंबर 2018 से ही डेरा डाले हुए हैं। ये कुम्भ का सबसे गंदा और वर्जित क्षेत्र है जहां मेहतर, भंगी और वाल्मीकि जैसे समुदाय विशेष से आने वाले सफाईकर्मियों के रहने की व्यवस्था की गई है। हर टेंट के आगे या पिछवाड़े आपको एक-दो लकड़ी के गट्ठर मिल जाएंगे, जोकि ये लोग अपने गांवों से लॉरी में लादकर लाए हैं। इतना ही नहीं, ये अपने पास से 4-6 हजार रुपए किराया चुकाकर लॉरी से अपनी पूरी गृहस्थी समेत लादकर साथ लाए हैं। साथ लाए इनके सामानों में नून (नमक), तेल और लकड़ी से लेकर आटा, चावल, चूल्हा व बर्तन सब शामिल हैं। बता दें कि मेला क्षेत्र में झाड़ू लगाने से लेकर मल उठाने और और शौचालयों की साफ सफाई करने के लिए बुलाए गए हैं।    

असुविधाओं के बीच रह रहे हैं सफाईकर्मी

छोटा बघाड़ा में हमें जितनी झुग्गियां दिखीं, उतने में 30-32 हजार लोग नहीं अंट सकते। जाहिर है ये लोग मेले में जगह-जगह अस्थायी टेंट लगाकर रह रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के बगल टेंट लगाकर रहने वाले भोला बताते हैं कि अब तक वे लोग चार जगह टेंट लगा चुके हैं और हर बार मेला प्रशासन उन्हें उजाड़कर दूसरी जगह टेंट लगाने को कह देता है। वे कहते हैं कि हम कुम्भ में काम करें या रोज रहने का ठिकाना खोजें?

पिछले साल के कुम्भ में काम का पैसा नहीं मिला

फतेहपुर जिले के बेर्राय गाँव  से आए महेश प्रसाद बताते हैं कि हम लोगों को अभी तक पिछले साल के पैसे नहीं मिले हैं। किसी के 15 दिन के किसी के 20 दिन के तो किसी के पूरे महीने के पैसे नहीं मिले हैं। 24 वर्षीय मोहन बताते हैं कि उनका पिछला साल का पूरे डेढ़ महीने का पैसा नहीं मिला। वे आगे कहते हैं कि जब हाथों-हाथ पैसे मिलते थे तो पूरे पैसे मिल जाते थे। जबसे खाते में पैसा भेजने वाली व्यवस्था लागू हुई है, हम लोगों की परेशानी बढ़ गई है। अभी 2-3 दिन का पैसा तो आमतौर पर गायब ही हो जाता है। मोहन बताते हैं कि पिछले मेले में 275 रुपए प्रतिदिन की दिहाड़ी थी, जबकि इस साल के कुम्भ मेले में दिहाड़ी में महज 10 रुपए का इजाफा हुआ है।  

मेला क्षेत्र में उपेक्षा के चलते ठंड से अब तक चार सफाईकर्मियों की मौत

कुम्भ मेला क्षेत्र में ‘स्वच्छ भारत’ अभियान को आगे बढ़ाने का जिम्मा जिन लोगों के कंधों पर है, उन्हें न तो पहनने को गर्म कपड़े दिए गए हैं और न ही ओढ़ने-बिछाने के लिए। यहां तक कि अलाव जलाने के लिए लकड़ियां और बिछाने के लिए पुआल तक भी नहीं उपलब्ध कराया गया है। इन लोगों के मुताबिक अब तक मेला क्षेत्र में ठंड लगने से उनके चार साथियों की मौत हो चुकी है। मसलन, 23 दिसंबर 2018 की रात 21 वर्षीय ननकई के पुत्र तोलाराम की ठंड लगने से मौत हो गई थी। वह फतेहपुर जनपद के गाजीपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत आनेवाले बरूआ गांव का निवासी था और कुम्भ मेला में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराए जा रहे सफाई कार्य के लिए दिहाड़ी मजदूर के तौर पर अपने मां-पिता और भाई के साथ मेला क्षेत्र में रह रहा था। कुम्भ मेला क्षेत्र मे काम करने आये चाचा-भतीजे संदीप और श्रवण बताते हैं कि ननकई उनके बुआ और बहिन का देवर था। उनके मुताबिक 23 तारीख की शाम साढ़े छह – सात बजे के बीच ननकई को चुनाई (मैला साफ करने) के काम में लगाया गया था। काम से फारिग होने के बाद शरीर पर लगी गंदगी को साफ करने के लिए उसे नहला दिया गया था, जिससे ठंड लगने से अगली सुबह उसकी मौत हो गई। वहीं पिछले सप्ताह ठंड लगने से 58 वर्षीय जगदेव की मौत हो गई। मरहूम जगुआ के बेटे हरिलाल के मुताबिक उन्हें मेला क्षेत्र में रहने के लिए पर्याप्त और ज़रूरी सुविधाएं नहीं दी गयी है। एक एक टेंट में दस से ज्यादा लोग रह रहे हैं। टेंट में जगह न होने के कारण जगदेव रात को ठंड में बाहर ही सो गए थे, जिससे उन्हें ठंड लग गई और उनकी मृत्यु हो गई।

सफाईकर्मियों के टेंट के पास घूमता एक सुअर

वहीं 27 दिसंबर 2018 बुधवार को 55 वर्षीय सफाईकर्मी मातादीन द्वारा गलती से एक साधु की बाल्टी छू जाने से नाराज साधु ने मातादीन को मार- मारकर उसका हाथ तोड़ दिया। मध्यप्रदेश छतरपुर के गोहरिया थाना के चुरियारी गांव से इलाहाबाद के कुम्भ मेले में सफाई का काम करके कुछ पैसे कमाने आये थे।

कल्पवासियों के लिए राशन और सिलेंडर, सफाईकर्मियों के लिए कुछ नहीं?

कुम्भ मेला क्षेत्र में कल्पवास करने वाले भक्तों को योगी सरकार तीन महीने के लिए अस्थाई राशन कार्ड मुहैया करवा रही है। जिसके जरिए लगभग डेढ़ लाख कल्पवासियों को सरकार सब्सिडी पर आटा, चावल, चीनी, मिट्टी का तेल और एलपीजी गैस सिलेंडर मुहैया करवा रही है। इसके लिए मेला क्षेत्र में 100-150 सरकारी सस्ते दर की राशन की दुकानें खोली गई हैं। योगी सरकार इसके लिए 31.10 करोड़ रुपए की सब्सिडी राशि दे रही है।

इस संदर्भ में जब हमने फतेहपुर से आई महिला सफाईकर्मी से पूछा कि क्या उन्हें भी सरकार सब्सिडी पर ये चीजें उपलब्ध करवायी जा रही है क्या, तो वे हमें अपने मिट्टी के चूल्हे के पास ले गईं, जिसमें रात का खाना बनाने के लिए उनकी बेटी लकड़ी सुलगा रही थी। बांदा से आए लालमुनि ने बताया कि उन लोगों को सरकार की ओर से राशन आदि की कोई सहायता नहीं दी जा रही है।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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लेखक के बारे में

सुशील मानव

सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार और साहित्यकार हैं। वह दिल्ली-एनसीआर के मजदूरों के साथ मिलकर सामाजिक-राजनैतिक कार्य करते हैं

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