h n

13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम : बीएचयू में बहुजन छात्रों व शिक्षकों ने फूंके एचआरडी के पुतले

13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को खत्म कर पुनः 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम लागू करने की मांग को लेकर बीएचयू में बहुजन छात्रों व शिक्षकों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने एमएचआरडी के पुतले फूंके और यूजीसी के आरक्षण विरोधी सर्कुलर का भी दहन किया। फारवर्ड प्रेस की खबर

विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को फिर से बहाल की मांग को लेकर बहुजन छात्रों व शिक्षकों ने बीती 04 फरवरी को बीएचयू के मुख्य द्वार पर कड़ा विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के आरक्षण विरोधी रुख पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उसकी आलोचना की। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार लगातार संविधान के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही है, जिसे बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

अमेजन व किंडल पर फारवर्ड प्रेस की सभी पुस्तकों को एक साथ देखने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के पुतले फूंके और यूजीसी के रोस्टर सिस्टम को लेकर 05 मार्च 2018 के आरक्षण विरोधी सर्कुलर का दहन भी किया। प्रदर्शन के बाद बहुजनों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को फिर से बहाल करने की मांग को लेकर आक्रोश सभा का आयोजन भी किया गया, जिसका संचालन रविन्द्र प्रकाश भारती ने किया।

बीएचयू के मुख्य द्वार पर विरोध-प्रदर्शन करते बहुजन छाक्ष व शिक्षक

इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन को मजबूत बनाने का संकल्प लेने के साथ फैसला लिया कि वे आरक्षण विरोधी किसी भी कदम का डटकर विरोध करेंगे। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मनुवादी ताकतें फिर से आरक्षण को खत्म करने के लिए सक्रिय हो गई हैं और इन ताकतों को कड़े विरोध व बहुजनों की ताकत का एहसास कराकर ही कमजोर किया जा सकता है। इसलिए बहुजनों को एकजुट होकर आरक्षण विरोधी कदमों का कड़ा विरोध करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोश जनसभा करते बहुजन छात्र व शिक्षक

आक्रोश सभा का संचालन करते हुए रविन्द्र प्रकाश भारती ने कहा कि मौजूदा 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के विवाद की जड़ में बीएचयू ही है। बीएचयू में जब विश्वविद्यालय को यूनिट मानकर विज्ञापन निकाला गया, तो एक मनुवादी शिक्षक विवेक तिवारी इस मांग के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट गए कि विश्वविद्यालय को यूनिट मानने की बजाय विभाग को यूनिट माना जाए और उस आधार पर रोस्टर तैयार किया जाए। हाई कोर्ट का फैसला तिवारी के पक्ष में आया और 13 प्वाइंट विभागवार रोस्टर सिस्टम लागू हो गया।

केंद्र सरकार को दी कड़ी चेतावनी

रविन्द्र प्रकाश भारती ने कहा कि हम लोग अपने स्तर से इसके विरोध में याचिका डाले जाने के बाद से ही लगातार विरोध करते आ रहे थे, लेकिन जैसे ही यह फैसला आया, देश भर में इसका विरोध होना शुरू हो गया। देश की राजधानी दिल्ली सहित देश भर में दोषपूर्ण व आरक्षण-विरोधी रोस्टर के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए। देश भर में विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे हैं, आक्रोश मार्च निकाले जा रहे हैं, पुतले दहन आदि कर विरोध भी बहुजनों द्वारा जताया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अगर इसके बावजूद भी सरकार 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम खत्म करके पुराने 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को बहाल नहीं करती है, तो देश भर के बहुजन बहुत जल्द बड़ा कुछ करने की सोच रहे हैं, जिससे सरकार हिलकर रह जाएगी। इस सिलसिले में वे दिल्ली के साथियों द्वारा बनाई गई संस्था ‘ज्वाइंट एक्शन कमेटी ऑन सोशल एंड एकेडमिक जस्टिस’ सहित देश भर की बहुजन-समाज से जुड़ी संस्थाओं के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि 11 फरवरी तक अगले विरोध-प्रदर्शन का तरीका तथा उसका स्वरूप क्या होगा, इस बारे में फैसला ले लिया जाएगा।

(कॉप संपादन : प्रेम बरेलवी)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें

 

मिस कैथरीन मेयो की बहुचर्चित कृति : मदर इंडिया

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

कुमार समीर

कुमार समीर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा समेत विभिन्न समाचार पत्रों में काम किया है तथा हिंदी दैनिक 'नेशनल दुनिया' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय संपादक रहे हैं

संबंधित आलेख

यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
साक्षात्कार : ‘हम विमुक्त, घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को मिले एसटी का दर्जा या दस फीसदी आरक्षण’
“मैंने उन्हें रेनके कमीशन की रिपोर्ट दी और कहा कि देखिए यह रिपोर्ट क्या कहती है। आप उन जातियों के लिए काम कर रहे...
कैसे और क्यों दलित बिठाने लगे हैं गणेश की प्रतिमा?
जाटव समाज में भी कुछ लोग मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं, कैडराइज नहीं हैं। उनको आरएसएस के वॉलंटियर्स बहुत आसानी से अपनी गिरफ़्त...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया...