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भारत में नवजागरण और बहुजन नायक

अगर जनता को अंधकार से प्रकाश में लाने का नाम नवजागरण है, तो भारत में यह नवजागरण बहुजन समाज के नायकों ने किया था। इस नवजागरण में हिंदुत्व का पुनरुत्थान नहीं था

बहुजन का शाब्दिक अर्थ है अधिसंख्य जन अर्थात बहुत से लोग। ये बहुत से लोग कौन हैं, जो मिलकर बहुजन वर्ग बनाते हैं? इस विशाल बहुजन समाज का जन्म हिन्दू समाज की वर्णव्यवस्था के गर्भ से हुआ है। हिन्दू समाज जातियों का समूह है, जिनमें सभी जातियों का सामाजिक और आर्थिक स्तर समान नहीं है। एक विशाल आबादी को हिन्दू धर्म-व्यवस्था ने स्वतन्त्रता और विकास के अवसरों से वंचित रखा है। इनमें शूद्र हैं, जो वर्णव्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर हैं, और वर्णव्यवस्था से बाहर की चंडाल आदि जातियां हैं, जो अछूत मानी जाती हैं। शूद्र और अछूत जातियां ही मिलाकर बहुजन समाज बनाती हैं। यह बहुजन समाज आज भी हाशिए पर है, और अपनी सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए उच्च जातियों पर निर्भर करता है।

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लेखक के बारे में

कंवल भारती

कंवल भारती (जन्म: फरवरी, 1953) प्रगतिशील आंबेडकरवादी चिंतक आज के सर्वाधिक चर्चित व सक्रिय लेखकों में से एक हैं। ‘दलित साहित्य की अवधारणा’, ‘स्वामी अछूतानंद हरिहर संचयिता’ आदि उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं। उन्हें 1996 में डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार तथा 2001 में भीमरत्न पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

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