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बिहार : अब पिछड़ों को मनाने की कोशिश में भाजपा

वर्ष 2015 में एनडीए को मिली हार के पीछे एक बड़ी वजह यह रही कि विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मोहन भागवत ने संविधान की समीक्षा करने की बात कह दी थी। अब केंद्र सरकार ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दे दिया है। इससे बिहार के दलित और पिछड़े भी आक्रोशित हैं

सवर्ण आरक्षण के बाद बिहार की राजनीतिक समाज में हलचल मचा हुआ है। भाजपा के नेता सवर्ण आरक्षण का औचित्‍य समझाने में विफल साबित हो रहे हैं। ‘आठ लखिया’ को भी गरीब बताने के केंद्र सरकार का फैसला पिछड़ों को समझ में नहीं आ रहा है। इधर बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव सवर्ण आरक्षण को लेकर आक्रमक हो गए हैं और गरीबी के मानक पर सवाल उठा रहे हैं। ‘आरक्षण बढ़ाओ’ यात्रा में पिछड़ी जातियों के लिए 27 फीसदी आरक्षण की सीमा बढा़ने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब आरक्षण 50 फीसदी की सीमा लांघ गया है तो इसको सीमित करने अब कोई औचित्‍य नहीं है। यह बात पिछड़ों को समझ में आ रही है और आरक्षण की सीमा बढ़ाने को लेकर आक्रामक भी हो रहे हैं।

इसी माहौल में 15 व 16 फरवरी 2019 को पटना के बापू सभागार में भाजपा का पिछड़ा वर्ग मोर्चा का राष्‍ट्रीय अधिवेशन हो रहा है। इसका उद्घाटन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और समापन राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह करेंगे। इस अधिवेशन का मकसद पिछड़ी जातियों के बीच सवर्ण आरक्षण के बाद उपजे असंतोष को कम करना है। इस बीच भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को केंद्र सरकार द्वारा पिछड़ी जातियों के लिए संचालित योजनाओं को गांव-गांव पहुंचाने का निर्देश दिया है। राष्‍ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और पिछड़ी जातियों की एकता को खंडित करने के लिए गठित रोहिणी आयोग को सरकार अपनी उपलब्धि बता रही है। पिछड़ी जातियों के लिए संचालित विकास योजनाओं के लाभ से अवगत कराया जा रहा है। लेकिन केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों की कोई संख्‍या कार्यकर्ताओं के पास नहीं है। इस कारण पिछड़ों को समझा नहीं पा रहे हैं।

पिछड़ों को मनाने की कोशिश : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी

भाजपा और राजद दोनों सवर्ण आरक्षण के बाद पिछड़ों की गोलबंदी पर सर्वाधिक जोर दे रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर जयंती की आड़ में सभी पार्टियों ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। जदयू का अतिपिछड़ा आधार वोट दरकने के बाद उसकी निर्भरता भाजपा पर बढ़ गयी है। मुसलमान वोटों का साथ छोड़ने से भी जदयू परेशान है। सवर्ण आरक्षण के पक्ष में जदयू कोई आक्रामक तर्क भी नहीं दे पा रहा है। हालांकि राज्‍य की सेवाओं में सवर्णों को आरक्षण देने का निर्णय बिहार सरकार ने लिया है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पिछड़ों के आरक्षण की सीमा बढ़ाने वकालत की थी।

अब भाजपा पिछड़ों की नयी गोलबंदी के लिए नया अभियान शुरू कर रही है। इस संबंध में बिहार भाजपा के प्रवक्‍ता व पूर्व विधायक प्रेमरंजन पटेल ने बताया कि पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्‍ट्रीय अधिवेशन में देश के प्रतिनिधि और मोर्चा के पदाधिकारी शामिल होंगे। बिहार ईकाई भी पूरी ताकत के साथ अधिवेशन को सफल बनाने में जुटा है। राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह और गृहमंत्री राजनाथ सिंह केंद्र सरकार की उपलब्धियों से पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को अवगत कराएंगे। पिछड़ों के लिए संचालित विकास योजनाओं के बारे में बताएंगे। इसमें सामाजिक समरसता के साथ संगठनात्‍मक मजबूती पर जोर दिया जाएगा। राष्‍ट्रीय अधिवेशन के बाद कार्यकर्ताओं में नया जोश आएगा और 2019 का लक्ष्‍य हासिल में सफल साबित होंगे।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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