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फारवर्ड थिंकिंग : एडिटोरियल, एसेज, इटीसी (2009-16)

इस किताब के लेखक फारवर्ड प्रेस के मुख्य संपादक आयवन कोस्का हैं। यह किताब फारवर्ड प्रेस में प्रकाशित उनके संपादकीय लेखों के अलावा अन्य सम-सामयिक लेखों आदि का संकलन है। विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं और ई-कामर्स वेबसाइटों पर उपलब्ध। विशेष छूट! शीघ्र आर्डर करें

850 रुपए (सजिल्द), 350 रुपए (अजिल्द)

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“फॉरवर्ड प्रेस के सम्पादकीय हमेशा से शोषित बहुजन पाठकों और बुद्धिजीवियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहे हैं. हम इस पुस्तक का पूरे उत्साह और प्रसन्नता से स्वागत करते हैं”

गेल ऑम्वेट व भारत पाटनकर, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता

“जोशीले और स्पष्ट, साहसिक और ईमानदार – ये जीवंत सम्पादकीय और लेख, दलिबहुजनों के उद्धार के प्रति आयवन कोस्का के सरोकारों को रेखांकित करते हैं. जाति के सड़ांध मारते कुरूप चेहरे को उजागर करते हुए, वे महत्वपूर्ण प्रश्न पूछते हैं और अत्यंत व्यग्रता से, कष्ट भोग रहे अधिसंख्यों के साथ मिलकर, उन्हें अन्याय से मुक्ति दिलाने की राह ढूँढ़ते हैं. भारत के हाशिये पर पड़े करोड़ों लोगों की अभिलाषाओं और संघर्षों को समझने के लिए अपरिहार्य पुस्तक.”

ब्रज रंजन मणि, डी ह्यूमेनाइजिंग हिस्ट्री  नॉलेज एंड पॉवर: ए डिस्कोर्स फॉर ट्रांसफॉर्मेशन  के लेखक

“यह पुस्तक…बताती है कि सात वर्ष की छोटी-सी अवधि में, दलितबहुजन बुद्धिजीवी और आमजन, किस तरह नए दार्शनिक और वैचारिक मुद्दे सामने लाये. पुस्तक यह भी बताती है कि दलितबहुजन आन्दोलन अब विभिन्न चुनौतियों और न्यायिक प्रकरणों का सामना करने के लिए तैयार है.”

– कांचा इलैया शेफर्ड, लेखक और पूर्व निदेशक, सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ़ सोशल एक्सक्लूशन एंड इंक्लूसिव पालिसी, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय

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