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महागठबंधन मनुवादी ताकतों के खिलाफ : तेजस्वी

हमारा सामाजिक महागठबंधन आरएसएस और मनुवादी ताकतों के खिलाफ है। जबकि मनुवादी और पूंजीवादी ताकतें नरेंद्र मोदी जी के साथ हैं

तेजस्वी यादव का मानना है कि बिहार में उनका महागठबंधन सामाजिक न्याय के लिए बना है। वे इसे आरएसएस व अन्य मनुवादी ताकतों के खिलाफ बताते हैं। तेजस्वी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार तो कर ही रहे हैं, कांग्रेस व अन्य घटक दलों के लिए भी वे स्टार प्रचारक हैं। लेकिन उनकी अपनी चुनौतियां कम नहीं हैं। फिर चाहे वह पार्टी में अंदरूनी भीतरघात का मामला हो या फिर पारिवारिक मसले। उन्हें सभी मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है :

नवल किशोर कुमार : बिहार में महागठबंधन की नौबत क्यों आई? आई तो रालोसपा, हम जैसे भाजपा से छिटके दलों को शामिल करने की क्या कोई मजबूरी थी या राजद-कांग्रेस ने भी वही परंपरागत पुराना ढर्रा अपनाया?

तेजस्वी यादव : देखिए, बिहार में महागठबंधन तो 2015 से ही था। वह तो नीतीश कुमार थे जो महागठबंधन छोड़कर चले गए। नीतीश जी का जैसा चाल-चरित्र है, वह सभी जानते हैं। जिस तथाकथित नैतिकता की बात वे करते हैं। यह किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने साढ़े दस करोड़ बिहारवासियों के जनादेश का अपमान किया। वैसे भी हमलोगों ने किसी को तोड़ा नहीं है बल्कि सभी को जोड़ा है। इसमें रालोसपा, हम या वीआईपी आदि पार्टियां हैं। ये तीनों तो बीजेपी छोड़ के आए हैं। हमलोगों ने इन्हें तोड़ा नहीं है, जोड़ने का काम किया है। जैसा कि आपने कहा है कि परंपरागत ढर्रा है, हमारे महागठबंधन से बड़ा तो एनडीए का गठबंधन है। नरेंद्र मोदी जी के साथ अधिक पार्टियां हैं। हमारा महागठबंधन तो सामाजिक महागठबंधन है। इसमें दलित, पिछड़े, अकलियत और जो प्रगतिशील सोच के लोग हैं, सब शामिल हैं। हमारा यह सामाजिक महागठबंधन आरएसएस और मनुवादी ताकतों के खिलाफ है। सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले, आरएसएस का विरोध करने वाले और पूंजीपतियों का विरोध करने वाले हमारे साथ हैं। जबकि मनुवादी और पूंजीवादी ताकतें नरेंद्र मोदी जी के साथ हैं।  


न.कि. कु.:: क्या आपको नहीं लगता कि सीट बंटवारे में कहीं न कहीं कुछ गलती हुई ? जनाधार के आधार पर सीटें नहीं बंट सकी? (संदर्भ: खगड़िया, मधेपुरा, बेगूसराय, दरभंगा जैसी सीटें)

ते.या.: कहीं कोई गलती नहीं हुई है। जिन चार सीटों की बात आप कह रहे हैं, ये सीटें भी हम जीत रहे हैं। पिछली बार हमलोग 27 सीटों पर लड़े थे। इस बार हम 19 पर लड़ रहे हैं। महागठबंधन में सभी पार्टियों ने मिलकर सीटों का बंटवारा किया है। आप भाजपा को देखिए। उसके पास बिहार से 22 सांसद थे, इस बार वह 17 पर लड़ रही है। गलतियां तो भाजपा से हुई हैं। हमलोगों ने कोई गलती नहीं की।

तेजस्वी यादव, राजद नेता

न.कि.कु. : लेफ्ट के लिए आरा सीट छोड़ने वाली पार्टी राजद को बेगूसराय में कन्हैया से कैसा डर? क्या आपको लगता है कि राजद के जनाधार वाले लोग उनमें अपना नेता तलाशने लगेंगे? क्या आरा सीट और बहन मीसा भारती की सीट पाटलिपुत्र के बीच कुछ सियासी समीकरण देखते हैं?
ते.या.: देखिए, आपने आरा सीट की बात कही है। हमलोगों ने यह सीट भाकपा माले को दिया है। भाकपा माले जमीन पर संघर्ष करती है, सभी गरीब-गुरबों को साथ लेकर चलती है। माले बिहार में बड़ी वामपंथी दल है। उसके पास तीन विधायक हैं। और जिस सीपीआई और बेगूसराय की बात आप कर रहे हैं, वह तो एक जिले और एक जाति की पार्टी है। इस पार्टी के एक भी विधायक नहीं हैं। भाकपा माले ने कई अवसरों पर सड़क से लेकर विधानसभा तक में हमारा साथ दिया है। 34 लोकसभा क्षेत्रों में भाकपा माले हमें समर्थन दे रही है। जो पार्टी मजबूत होगी और संघर्ष में हमारा साथ देगी, महागठबंधन में हम उसी को शामिल करेंगे। हमने माले को शामिल किया। रही बात बेगूसराय की तो वह तो हमारी परंपरागत सीट है। पिछली बार मोदी लहर में भी हम अच्छा वोट पाने में सफल हुए थे।

न.कि. कु.: सबसे जरूरी सवाल, अपने पिता लालू प्रसाद की अनुपस्थिति को कैसे देखते हैं? बिहार में उनके बिना चुनाव अधूरा है? आप उनकी कमी पूरी करने में कितना सफल मान रहे हैं खुद को? आपका स्वमूल्यांकन क्या है?
ते.या. : देखिए, उनकी अनुपस्थिति तो आज हर कोई महसूस कर रहा है। फिर मीडिया के लोगों से लेकर सभी आम अवाम तक उनकी अनुपस्थिति को महसूस कर रहे हैं। भले ही वे शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वैचारिक रूप से हमारे बीच ही हैं। वे एक व्यक्ति नहीं बल्कि विचार बन चुके हैं। उनके साथ जो सुलूक किया जा रहा है। उनका इलाज नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि हम परिजनों से भी उन्हें नहीं मिलने दिया जा रहा है। तो यह बात सभी समझ रहे हैं कि ऐसा क्यों किया जा रहा है। नरेंद्र मोदी और आरएसएस को सबसे अधिक खौफ लालू जी से ही है। रही बात मूल्यांकन की तो, यह काम जनता का है। जनता मूल्यांकन करेगी। लोकतंत्र में जनता ही मालिक है।  

न.कि.कु. : क्या राजद परिवार में सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है? राजद परिवार में आपका अपना परिवार भी है। इशारा साफ तौर पर आपके बड़े भाई तेजप्रताप की ओर है। पिछले कुछ दिनों से ”घर फूटे, गंवार लूटे” वाला माहौल बनता दिख रहा था। क्या इसमें किसी घरफोड़वा तत्व का हाथ है?
ते.या. : राजद में सब ठीक-ठाक है। जो कुछ भी बताया जा रहा है, वह मीडिया के द्वारा फैलाया गया है। हम अपने पारिवारिक मसलों को लेकर पब्लिक डोमेन में बात नहीं करते हैं। अभी जो समय है, वह देश बचाने का है, संविधान बचाने का है। मेरे लिए देश पहले है।



न.कि.कु. : नीतीश कुमार के बारे में क्या राय है? सुशील मोदी आपके और आपके परिवार को लेकर इतने हमलावर क्यों दिखते हैं? कहीं पिछली सरकार में आपका उनकी जगह(उप-मुख्यमंत्री) ले लेना तो कारण नहीं?
ते.या.: नीतीश कुमार जी के बारे में मेरी राय क्या है, यह तो हर बिहारवासी की राय है। जिस तरह से उन्होंने जनादेश की चोरी की है, वह सभी जानते हैं। आज वे भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह और अपराध के मामले में धृतराष्ट्र बन चुके हैं। आप देखिए कि किस तरह उन्होंने शेल्टर होम में रहने वाली बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार करने वालों को बचा रहे हैं। सृजन घोटाला के मामले में चुप हैं। तो नीतीश जी का चाल-चरित्र सब लोग जान चुके हैं। सुशील मोदी जी भाजपा के लिए नहीं, नीतीश जी के लिए काम करते हैं। उनके अपने भाई की कंपनी ने किस तरह घोटाला किया है, यह सब सामने आ चुका है। सृजन घोटाला मामले में ही सुशील मोदी जी की बहन का नाम सामने आया है कि उन्हें पांच करोड़ रुपए दिए गए। तो दोनों में से एक सुशील मोदी खुलासा मास्टर हैं और दूसरे नीतीश दिलासा मास्टर हैं।   

न.कि.कु. : तीन चरणों के चुनाव के बाद और रैलियों के अनुभवों के बाद बिहार में महागठबंधन को(सीटों पर जीत के संबंध में) कहां देखते हैं?
ते.या.: हम सभी सीटें जीत रहे हैं। बिहार की जनता इस बार देश तोड़ने वालों, ठगने वालों को हराने का काम करेगी। आप देखिए न कि किस तरह से नरेंद्र मोदी जी ने देश के युवाओं से रोजगार छीन लिया, महंगाई आसमान छू रही है। पिछली बार उन्होंने सभी के खाते में 15-15 लाख रुपए देने का वादा किया था। काला धन लाने की बात कही थी। उन्होंने कोई वादा पूरा नहीं किया। यहां तक कि बिहारवासियों से जो उन्होंने वादा किया था, वह भी पूरा नहीं कर सके। 2015 में उन्होंने बिहार की बोली लगायी थी। बिहार की जनता नरेंद्र मोदी से हिसाब ले रही है।

(यह साक्षात्कार अमर उजाला द्वारा 28 अप्रैल, 2018 को प्रकाशित हुआ)

 

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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