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माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पढ़ाएंगे दिलीप मंडल

दिलीप मंडल समेत तीन पत्रकार माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से ऐजंगक्ट प्रोफेसर के रूप में जुड़े हैं। उनकी नियुक्ति से शैक्षणिक माहौल की जड़ प्रवृत्तियों के टूटने में मदद मिल सकती है। कमल चंद्रवंशी की रिपोर्ट

पत्रकार अरुण त्रिपाठी और मुकेश कुमार भी बने ऐजंगक्ट प्रोफेसर

प्रसिद्ध आंबेडकरवादी लेखक और पत्रकार दिलीप मंडल इसी सत्र से माखन लाल  चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) में ऐजंगक्ट[1] प्रोफेसर के तौर पर जुड़कर शिक्षण कार्य करेंगे। मंडल की पहचान सामाजिक न्याय के पक्षधर पत्रकार की है। वे फारवर्ड प्रेस के कंट्रीब्यूटिंग एडिटर और इंडिया टुडे (हिंदी) के मैनेजिंग एडिटर रह चुके हैं। मंडल इन दिनों वेब पत्रिका ‘द प्रिंट’ के सलाहकार संपादक हैं।

मंडल के अलावा जाने-माने पत्रकार अरुण त्रिपाठी और मुकेश कुमार भी एमसीयू में अनुबंधित प्रोफेसर के तौर पर जुड़े हैं। तीनों का अनुबंध दो साल का होगा। गांधीवादी लेखक और चिंतक अरुण त्रिपाठी हिंदी पत्रकारिता से सुपरिचित चेहरे हैं तो डॉ. मुकेश कुमार पिछले तीन साल से एसजीटी यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग में बतौर डीन एवं प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे हैं। मुकेश कुमार भी कई  मीडिया संस्थानों में शीर्ष पदों पर काम कर चुके हैं।

बायें से – दिलीप मंडल, मुकेश कुमार और अरुण त्रिपाठी

अमूमन यह माना जाता है कि किसी भी विश्वविद्यालय के ठस और जड़ प्रवृति के अकादमिक विषयों और शैक्षणिक माहौल में विजिटिंग फैकल्टी ताजा हवा के झोंके की तरह होता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ये तीनों भोपाल के इस प्रतिष्ठित संस्थान को नई ऊंचाई देंगे। ये तीनों नाम अपनी पारदर्शी वैचारिकी के लिए पहचाने जाते हैं और विडंबनाओं से भरे राजनीतिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक दुनिया पर सीधा प्रहार करते रहे हैं। यह भी संयोग है कि ये सभी हर मसले पर किसी भी राय की अभिव्यक्ति के समय अर्थ के भय से मुक्त होते हैं और तटस्थता के नाम पर चुप रहने या प्रतिरोध ना करने वालों को भी रेखांकित करते हैं।

जानकारी के मुताबिक, दिलीप मंडल ‘द प्रिंट’ के साथ जुड़े रहकर माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्रों को पढ़ाएंगे। विश्वविद्यालय की प्रबंध समिति ने तीनों ऐजंगक्ट प्रोफेसरों को विभिन्न विभागों में नियुक्ति दी है और सभी को यूजीसी के नियमों के तहत आवास, भोजन और आवागमन की व्यवस्था की गई है। इस मामले में विश्वविद्यालय सूत्रों का कहना है कि पिछली सरकार में हुई गड़बड़ियों को ध्यान में रखते हुए इस बार विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्ती के साथ नियमों की जांच परख की है तथा उसके बाद ही ऐजंगक्ट प्रोफेसरों के मानदेय आदि को लेकर प्रबंधन समिति ने अनुमोदन दिया है।

(कॉपी संपादन : नवल)

सन्दर्भ :

[1] अमेरिका में ऐजंगक्ट (अनुबद्ध) के आधार पर नियुक्त शिक्षक पूर्णकालिक नहीं होते हैं। ऐसे शिक्षक वे विद्वान होते हैं जो किसी अन्य संस्थान में अनुबद्ध के आधार पर जुड़े नहीं होते। इस आधार पर नियुक्ति हेतु मास्टर डिग्री की आवश्यकता होती है। हालांकि कुछ मामलों में बैचलर डिग्री और संबंधित क्षेत्र में विशेष अनुभव के आधार पर भी नियुक्ति की जाती है।


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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