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आदिवासी दिवस की धूम, पीओके पर सेमिनार, कैसे थे हमारे पूर्वज और गांधी के सपनों का भारत

हम उस दौर में पहुंच गए हैं जहां मनुष्य और मशीन एक साथ सोच-विचार करने का काम कर रहे हैं। जाहिर है इस जैसे विषय पर चर्चा हो तो देश में बौद्धिक और सामाजिक फलक पर दूसरी चर्चाएं और भी तेज रफ्तार के साथ होंगी। हालांकि इन सबकी हमको कम ही खबर लगती है। लेकिन पिछले हफ्ते की तरह इस बार भी अगले कुछ आयोजनों की सूचना दे रहे हैं कमल चंद्रवंशी

आगामी आयोजन

विश्व आदिवासी दिवस पर जगह-जगह रैलियां, ध्वजारोहण के कार्यक्रम

9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर छत्तीसगढ़ के जगदलपुर स्थित भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण केंद्र ने स्वदेशी भाषाओं पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया है। ये कार्यक्रम हर साल संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से किया जाता है। इसमें आदिवासियों की बोली-भाषा को संवारने और बचाने पर चर्चा की जाएगी। कार्यक्रम में क्षेत्र के बुद्धिजीवियों और जन प्रतिनिधियों को बुलाया गया है। छत्तीसगढ़ के ही कबीरधाम जिले में भी विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर वैचारिक गोष्ठी के अलावा खेल-कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। 

आदिवासी समाज कड़रा, धोबा, सौंरा, उरांव, हल्बा कंवर, अगरिया, बैगा आदि जनजाति हजारों की संख्या में समाज के लोग उपस्थित होकर अपनी पारंपरिक वेशभूषा व संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। हालांकि राज्य के धमतरी जिले में नगरी स्थित सर्व आदिवासी समाज ने प्रशासन के प्रति नाराजगी जाहिर की है कि विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रमों के लिए कोई फंड नहीं दिया गया है। उन्होंने एक लाख रुपये की राशि की मांग की थी। यहां के लोगों की मांग है कि हर आदिवासी खंड को मध्यप्रदेश की तर्ज पर निर्धारित धनराशि वितरित की जानी चाहिए।

मध्य प्रदेश में राज्य सरकार ने शुक्रवार 9 अगस्त आदिवासी दिवस पर सामान्य अवकाश घोषित किया है। इसके पहले अधिसूचना जारी कर 9 अगस्त को ऐच्छिक अवकाश घोषित किया गया था। दमोह जिले में आदिवासी दिवस मनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। दमोह क्षेत्र के विकास अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र के तेंदुखेड़ा, जबरेटा, हटा और रजपुरा  क्षेत्र आदिवासी बहुल हैं। क्षेत्र के लोग पारपंरिक परिधानों में अपनी संस्कृति की झलक पेश करेंगे।

विश्व आदिवासी दिवस के मौके पद प्रदर्शन करतीं आदिवासी महिलाएं (फाइल फोटो)

झबुआ के राणापुर में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने की तैयारी को लेकर सर्व आदिवासी समाज के बुद्धिजीवी, समाजसेवी, राजनीतिक व पंचायत के प्रतिनिधियों ने बैठक की जिसमें लोगों के बीच कार्य विभाजन किया गया। रैली की रूपरेखा तैयार की गई। रैली जोबट नाके से प्रारंभ होकर मुख्य बाजार होते हुए शिवाजी चौक से बस स्टैंड व पुलिस थाना से होते हुए कार्यक्रम स्थल अनाज मंडी पहुंचेगी। इसके बाद मंचीय कार्यक्रम होगा। इस दौरान विश्व आदिवासी दिवस का ध्वजारोहण किया जाएगा। कार्यक्रम की अन्य गतिविधियां होंगी, वक्ताओं द्वारा उद्बोधन दिया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। विकासखंड के आदिवासी समाज के उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम वाले बच्चों व अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह भेंट किया जाएगा। ये जानकारी मीडिया प्रभारी मुकेश परमार ने दी।

कैसे थे हमारे पूर्वज विषय पर सीएसडीएस में सेमिनार

दिल्ली के 29, राजपुर रोज सिविल लाइन्स स्थित सीएसडीएस के सेमिनार कक्ष में 9 अगस्त को ‘द पीपुल्स ऑफ अरली इंडिया’ विषय पर चर्चा की जाएगी। पुराने भारत के लोगों की पहचान और उनके उद्भव और प्रवास पर रोमिला थापर, टोनी जोसेफ, कई फ्रिसेस जैसे विद्धानों का पैनल राय रखेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता अनन्या वाजपेयी करेंगी। 

सीएसडीएस का कहना है कि पैनल से हमें ये भी जानकारी हासिल हो सकेगी कि प्राचीन भारत के लोगों को लेकर हाल की खाजें क्या कहती हैं। विश्व की जनांकिकी यानी डेमोग्रेफी में हमारी तमाम पीढ़ियां, उनकी संस्कृति और भाषा की किस तरह से आवाजाही रही है। जाहिर है, इसमें आर्यन, द्रविड़ और हड़प्पा की सभ्यताओं पर स्वाभाविक चर्चा होगी। रोमिला थापर आज देश की शीर्ष इतिहासविद् हैं और उनकी दो दर्जन से ज्यादा किताबें देश और दुनिया को समझने में ऐतिहासिक महत्व रखती हैं। टोनी जोसेफ बिजनेस वर्ल्ड मैगजीन के पूर्व संपादक हैं। पिछले साल ही प्राचीन भारत को लेकर उनकी पुस्तक आई थी जिसमें इस बात को खासतौर से रेखांकित किया गया था कि भारत में मूल रूप से लोग कहां से आए थे। कई फ्रिसेस मैगजीन एंड आउटलुक ट्रैवलर के संपादक रहे हैं और इस समय इंडिया टुडे पत्रिका के प्रबंध संपादक हैं। इसी साल उनकी एक अहम पुस्तक आई जो भारत में आर्यों से हमारा रिश्तों पर प्रकाश डालती है। कार्यक्रम शाम को पांच बजे शुरू होगा जो शाम सात बजे तक चलेगा।

अन्य महत्वपूर्ण आयोजन :

  • गांधी के सपनों का भारत विषय पर सेमिनार, 24 अगस्त 2019, भागलपुर विश्वविद्यालय, बिहार
  • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर सेमिनार, 24-25 सितंबर 2019, मिदनापुर कॉलेज, पश्चिम बंगाल
  • पीओके पर सेमिनार, 25-26 सितंबर, 2019, दिल्ली विश्वविद्यालय

संसद के बाद अब दिल्ली विश्वविद्यालय में पीओके पर बहस

इसी सप्ताह 5 और 6 अगस्त को जब संसद में चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया कि धारा-370 खत्म करने के सिलसिले में या जिस किसी भी अन्य संदर्भ में उन्होंने जम्मू-कश्मीर शब्द इस्तेमाल किया है तो इसका मतलब इसी शब्द में पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) का नाम स्वाभाविक रूप से शामिल है। संसद की कार्यवाही में भी जम्मू-कश्मीर में पीओके शामिल माना जाएगा। यही संसद कार्यवाही के रिकार्ड में दर्ज भी किया गया। इस कार्यवाही के अगले ही दिन दिल्ली विश्वविद्यालय से आर्यभट्ट कालेज से खबर आई कि पीओके के इतिहास, राजनीति और संस्कृति को लेकर यहां के राजनीति विज्ञान विभाग ने यूजीसी के सहयोग से राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया है जो 25-26 सितंबर को होगा।

हालांकि इस कार्यक्रम के संयोजक शिव पूजन पाठक से जब हमने पूछा तो उन्होंने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि हाल के घटनाक्रम को देखते हुए यह विषय चुना गया हो। हम जम्मू-कश्मीर पर अध्ययन पहले से कर रहे थे। लेकिन हाल के घटनाक्रम ने विषय को और बहुत सामयिक और महत्वपूर्ण बना दिया है।

विभाग ने कहा है कि पीओके भारत का हिस्सा है, लेकिन अपनी पारिस्थितिकी के कारण इस पर पाकिस्तान और वहां की सरकार के पोषित कट्टरपंथियों की भी नजर रही है। यह क्षेत्र इसीलिए अभी पाकिस्तान के कब्जे में है। यह क्षेत्र भारत के लिए चुनौती है और इसको व्यापक संदर्भ में समझने की जरूरत है। इस सेमिनार का मकसद क्षेत्र की राजनीतिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक स्थितियों को समझना है। लेकिन यह विषय स्कॉलर्स के लिए इतना आसान भी नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र पर पाकिस्तान का फिलहाल कब्जा है।

बहरहाल, इस समय जबकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर बहस केंद्रित है, पीओके को सरकार और इसी तरह यूजीसी ने बहस के केंद्र में ला दिया है। इसके उपविषयों में उन सब पहलुओं पर लिखने की अनुमति होगी जो विश्व स्तर पर पीओके को लेकर अमेरिका, रूस और सेंट्रल-दक्षिण एशियाई देशों का सामरिक रूप से नजरिया रहा है।

विषय का सार-संक्षेप भेजने की तारीख 25 अगस्त 2019 रखी गई है जबकि पूरा आलेख 10 सितंबर तक shivpolscience@gmail.com पर भेजा जा सकता है। सेमिनार के संयोजक आर्यभट्ट कालेज के राजनीति शास्त्र विभाग के शिव पूजन प्रसाद पाठक हैं जिनको 9868020812 मोबाइल नंबर पर संपर्क किया जा सकता है जबकि प्रभारी शिक्षक रश्मि राय का आधिकारिक फोन नंबर 8130550894 है। इस कालेज के प्राचार्य का नाम मनोज सिन्हा है।

मनुष्य और मशीन 

आधुनिक दौर आर्टिफिशियल एंटेलिजेंस का है। मशीनें आदमी के सोचने में मदद कर रही हैं या दोनों की आपस में निर्भरता बढ़ने लगी है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान यानी नेशनल हायर एजूकेशन मिशन के सहयोग से पश्चिम बंगाल के मिदनापुर कालेज के अंग्रेजी विभाग ने “ह्यूमनिज्म एंड आफ्टर, लिटरेचर्स जरनी फ्राम ह्यूमनिज्म टू साइबर कल्चर एंड अदर फ्रार्म ऑफ पोस्ट ह्यूमनिज्म” विषय पर 24-25 सितंबर को दो दिन का राष्ट्रीय सेमिनार रखा है। इसमें देशभर के विश्वविद्यालय की कई प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हो रही हैं।

 

आयोजक मंडल के सदस्य ने हमें जानकारी दी कि प्रोफेसर सुप्रिया चौधरी- जाधवपुर विश्वविद्लाय, प्रमोद के. नायर- हैदराबाद विश्वविद्यालय, ड़ॉ सौगता भादुड़ी- जेएनयू दिल्ली, डॉ मोहम्मद असद्दीन- जामिया नई दिल्ली, डॉ अमृत सेन- विश्वभारती, सिमी मल्होत्रा- जामिया- नई दिल्ली, डॉ देवाशीष बंधोपाध्याय- विद्यासागर यूनिवर्सिटी, डॉ अरका चटोपाध्याय आईआईटी गुजरात, न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के फ्रेंचेज फर्नाडो समेत कई अन्य विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और जानकार इसमें शिरकत करेंगे।

अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष के तन्मय कुंडू के बताया कि सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए प्रतिभागियों और शोध छात्रों व शिक्षकों को 31 अगस्त 2019 तक संबंधित विषय का सार संक्षेप भेजना होगा जबकि फुल पेपर सबमिशन की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2019 है।  

गांधी के सपनों का भारत

भागलपुर विश्वविद्यालय के गांधी विचार विभाग ने 24 अगस्त 2019 को बापू की 150वीं जयंती के मौके पर एक दिन का विशेष सेमिनार आयोजित किया है। इस सेमिनार में शामिल होने के लिए विभाग ने प्रस्ताव मांगे हैं। इसका विषय “गांधी के सपनों का भारत और हमारी भूमिका” रखा गया है। इसके उप-विषयों में गवर्नेंस और गांधी के तहत भारतीय लोकतंत्र, पंचायती राज, स्वराज विमर्श, सामाजिक पुनर्निर्माण और गांधी, जाति विमर्श, सांप्रदायिकता, स्त्री विमर्श, जनसंख्या का सवाल रखे गए हैं। इसके अलावा  रोजगार और उत्पादक श्रम, खादी-ग्राम उद्योग, कृषि और पलायन, सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह से लेकर भूमंडलीकरण और उदारीकरण जैसे विषय शामिल किए गए हैं।

आयोजकों ने कहा है कि आज के भूमंडलीकरण, उदारीकरण और निजीकरण के दौर में जहां विकास के नए-नए महल खड़े करने का दावा किया गया है और चांद पर भी बस्तियां बनाने के ख्वाब दिखाए जा रहे हैं वहां असमानता, बेरोजगारी और अशांति बढ़ती चली जा रही है। अपसंस्कृति सिर चढ़कर बोल रही है। गांधी जी ने जिस सशक्त भारत की कल्पना की थी आज कतिपय कारणों से वह अधूरी ही रह गई है। ऐसे में यह बौद्धिक आयोजन गांधी के सपनों का भारत और हमारी भूमिका को रेखांकित करेगा।

राजीव गांधी स्टडी सर्कल बिहार के प्रमुख पदाधिकारी और कार्यक्रम के संयोजक डॉ. दीपक कुमार दिनकर को 9430027031 मोबाइल फोन नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। वह फोन पर कार्यक्रम संबंधी हर सूचना आपको देने को तत्पर मिलेंगे लेकिन हमारा सुझाव है कि अनावश्यक और बेटाइम उनको उसी तरह फोन ना करें जैसे आप अपने समाज और परिवार के लोगों के साथ करते हैं।

(कॉपी संपादन : नवल)


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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