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आईआईटी-आईआईएम में ओबीसी : दलित-आदिवासियों से भी बदहाल, ड्राॅपआउट में नंबर वन   

आईआईटी और आईआईएम में ओबीसी वर्ग के छात्रों का ड्रॉपआउट रेट एससी और एसटी वर्ग के छात्रों से भी अधिक है। सरकारी आंकड़ों पर ही विश्वास करें तो ओबीसी तबकों से आने वाले लगभग 25 फीसदी प्रतिभाशाली छात्र इन प्रतिष्ठित संस्थाओं से बाहर निकलने के लिए मजबूर हो जाते हैं

देश के शीर्ष प्रौद्योगिकी संस्थानों में शुमार इन्डियन इन्स्टीच्यूट ऑफ टेक्लोलॉजी (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई बीच में ही छोड़ रहे हैं। सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक़ इनमें सबसे अधिक ओबीसी वर्ग के छात्र हैं। सामान्य मान्यताओं के विपरीत इनका ड्रॉपआइट रेट अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों से भी ज़्यादा  है। 

25 जुलाई,2019 को राज्य सभा में वाईएसआर कांग्रेस सांसद वि. विजय साई रेड्डी के एक सवाल के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया है कि पिछले दो वर्षों के दौरान आईआईटी में 2461 छात्रों ने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ी। इनमें 1290 सामान्य श्रेणी के हैं, जबकि 1171 आरक्षित श्रेणी के हैं। आरक्षित श्रेणी में सबसे ज़्यादा 601 छात्र ओबीसी वर्ग के, 371 छात्र एससी और 199 एसटी वर्ग के हैं। यानी आईआईटी से ड्रॉपआउट करने वाले छात्रों में सामान्य वर्ग के 52.4 फीसदी, अनुसूचित जाति के 15.07 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के 8.08 फीसदी और ओबीसी के 24.42 फीसदी हैं। देखें सारणी

आईआईटी में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या

क्रमआईआईटी कैंपसड्रॉपआउट करने वाले कुल छात्रएससीएसटीओबीसी
1बॉम्बे263371266
2दिल्ली78211184161
3कानपुर1 9018561
4मद्रास12814638
5खड़गपुर62212063140
6गुवाहाटी12352
7रुड़की5714538
8बीएचयू 7000
9हैदराबाद858425
10पटना928225
11जोधपुर21307
12भुवनेश्वर39829
13गांधीनगर4211
14इंदौर50638
15रोपड़34848
16मंडी34306
17तिरुपति18633
18पलक्कड़2100
19भिलाई5000
20जम्मू6000
21गोवा0000
22धारवाड़1001
23आईएसएमधनबाद 9102
 कुल2461371199601

बीच मे पढ़ाई छोड़ने वाले सबसे ज़्यादा 782 छात्र आईआईटी, दिल्ली के हैं। आईआईटी खड़गपुर में 622 और आईआईटी, बॉम्बे में 263 छात्र पढ़ाई बीच में छोड़ कर चले गए। सरकार की ओर से बताया गया कि बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले अधिकतर छात्र स्नातकोत्तर और पीएचडी कोर्स में पंजीकृत थे।

सरकार भी मानती है कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्रों में बढ़ रहा अवसाद

चलते शैक्षणिक सत्र के दौरान पढ़ाई छोड़ने की समस्या सिर्फ आईआईटी में ही नहीं है, बल्कि शीर्ष प्रबंधन संस्थान आईआईएम भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। आईआईएम में कुल 99 छात्रों ने बीच में पढ़ाई छोड़ी है। इसमें भी ओबीसी वर्ग के छात्रों की संख्या अधिक है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार आईआईएम की पढ़ाई छोड़ने वाले 99 छात्रों में  37 छात्र सामान्य श्रेणी के हैं, जबकि 62 छात्र आरक्षित श्रेणी के हैं। आरक्षित श्रेणी में 14 छात्र एससी, 21 छात्र एसटी और 27 छात्र ओबीसी वर्ग के हैं। प्रतिशत के आधार पर कहें तो आईआईएम से ड्रॉप आउट करने वाले छात्रों में सामान्य वर्ग के छात्र 37.37 फीसदी, अनुसूचित जाति के 14.14 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के 21.21 फीसदी और ओबीसी के 27.27 फीसदी हैं।

आईआईएम में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या 

क्रमआईआईएम कैंपसड्रॉपआउट करने वाले कुल छात्रएससीएसटीओबीसी
1अहमदाबाद3101
2बैंगलोर2011
3कोझिकोड12223
4लखनऊ9061
5इंदौर17243
6कलकत्ता5121
7शिलांग0000
8रोहतक0000
9रायपुर5100
10रांची0000
11उदयपुर0000
12तिरुचिरापल्ली12313
13काशीपुर130211
14अमृतसर2100
15नागपुर3010
16सिरमौर0000
17संबलपुर0000
18विशाखापत्तनम4110
19बोधगया4010
20जम्मू8203
कुल99142127

यह सर्वविदित है कि आरक्षित वर्गों के छात्र विषमताओं से गुजरते हुए इन उच्च प्रौद्योगिकी संस्थानों में दाखिला ले पाते हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर वे क्या वजह हैं जिनके कारण आरक्षित वर्ग के छात्र पढ़ाई बीच में छोड़ देने को मजबूर हो जाते हैं? 

रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री

हालात ऐसे हैं कि केंद्र सरकार को इस संबंध में उत्तर देते नहीं बन रहा है। संसद में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा संसद में दिए गए जवाब के मुताबिक़ ड्रॉप आउट के पीछे कई कारण हैं। मसलन, अन्य कॉलेजों/संस्थानों में स्थानांतरणचिकित्सा संबंधी कारणस्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के दौरान प्लेसमेंटउच्चतर शिक्षा के लिए विदेशों का रुख़ करने के अलावा कुछ छात्र व्यक्तिगत वजहों से भी पढ़ाई बीच में छोड़ रहे हैं।

वस्तुत: इन प्रीमियम संस्थानों में दाख़िला लेने के बाद छात्रों में असफलता का डर बढ़ रहा है। आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में पिछड़े वर्ग के छात्रों में हीनभावना का स्तर सामान्य छात्रों से ज़्यादा है। इसके अलावा कई बार आरक्षित श्रेणी के छात्र अपने साथ दुर्व्यवहार की भी शिकायत करते रहे हैं। सामान्य वर्ग के विद्यार्थी प्राय: अच्छे प्लेसमेंट के बाद अथवा अपना पारिवारिक व्यापार संभालने के लिए पढाई बीच में छोडते हैं, वहीं आरक्षित श्रेणी के छात्र अवसरों की कमी और मानसिक प्रताडना के कारण संस्थानों से बाहर होते हैं।

आईआईटी के पूर्व छात्र रहे अली हसनैन बताते हैं कि भले ही मीडिया में एक करोड़ और दो करोड़ सालाना पैकेज की ख़बरें आती हैं, लेकिन औसत छात्रों को शुरुआत में 8-10 लाख रुपये की नौकरी तलाशना मुश्किल हो जाता है। हाल ही में एक रिपोर्ट आयी जिसमें बताया गया कि आईआईटी से स्नातक करने वाले 15 से 20 फीसदी छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट नहीं मिलता। इनमें अधिकतर छात्र आरक्षित श्रेणी के होते हैं।

(कॉपी संपादन : नवल)


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लेखक के बारे में

सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा

उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले में जन्मे सैयद ज़ैग़़म मुर्तज़ा ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन और मॉस कम्यूनिकेशन में परास्नातक किया है। वे फिल्हाल दिल्ली में बतौर स्वतंत्र पत्रकार कार्य कर रहे हैं। उनके लेख विभिन्न समाचार पत्र, पत्रिका और न्यूज़ पोर्टलों पर प्रकाशित होते रहे हैं।

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