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भाषा और बोली की शिक्षा, स्पंदन 2019, जेंडर स्टडी और डिजिटल क्रांति में हिंदी

दिल्ली, मुबंई, अजमेर, रायपुर के विभिन्न संस्थानों में अकादमिक और बौद्धिक जगत के विद्वान अनेक सभा-सम्मेलनों में मिलने वाले हैं। इनके अलावा चेन्नई के चेपक स्थित मद्रास विश्वविद्यालय के स्कॉलर्स महिलाओं के हाशिए पर छूट गए अध्ययनों पर विचार करेंगे। इस हफ्तेवार कॉलम में पढें आगामी आयोजनों का ब्यौरा

भाषा के शिक्षाशास्त्र की शिक्षा पर जोर

एनसीईआरटी के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान अजमेर ने 11 से 13 दिसंबर 2019 को भाषा के शिक्षाशास्त्र पर तीन दिन का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया है। सम्मेलन का उद्देश्य भाषा शिक्षा के क्षेत्र में विद्वानों को उनके प्रासंगिक अनुभव, नवीन धारणाओं, साक्ष्य-आधारित शोध निष्कर्षों आदि को साझा करने के लिए शिक्षकों, शिक्षण विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों को सक्षम करने के लिए एक अभ्यास मंच प्रदान करना है।

अजमेर संस्थान के विद्वान मानते हैं कि मानव के जीवन में भाषा एक आवश्यक तत्व है क्योंकि यह व्यक्ति, समाज, संस्कृति और मानव प्रयासों के हर आयाम तक फैला है। भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं है, बल्कि अर्थ-निर्माण के लिए एक संसाधन भी है। इसी कारण से, शिक्षा में भाषा प्राथमिक चिंता का विषय रहा है। भारत जैसे बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और बहु-जातीय देश में, भाषा शिक्षाशास्त्र को नीति और प्रशंसा के स्तरों पर बहुपक्षीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

सम्मेलन के विषय हैं- 1. भाषा शिक्षाशास्त्र में सैद्धांतिक मुद्दे और सरोकार-  भाषा: सीखना बनाम हासिल करना, एक संसाधन के रूप में बहुभाषीवाद, आदि। 2. भाषा शिक्षाशास्त्र में महत्वपूर्ण मुद्दे और नीतिगत परिप्रेक्ष्य- गंभीर भाषा शिक्षाशास्त्र, गंभीर भाषा जागरूकता, अल्पसंख्यक भाषाओं के लिए भाषा शिक्षाशास्त्र, जनजातीय भाषाओं के लिए भाषा शिक्षाशास्त्र आदि। 3. भाषा विज्ञान में शैक्षणिक दृष्टिकोण, भाषायी परिप्रेक्ष्य: भाषा और भाषा सीखने की प्रकृति, शैक्षणिक दृष्टिकोण: दृष्टिकोण, तरीके और तकनीक, भाषा शिक्षण में दृष्टिकोण, संरचनात्मक, कार्यात्मक और इंटरएक्टिव, भाषा शिक्षाशास्त्र में विधियाँ: निर्देशात्मक प्रणाली की रूपरेखा, भाषा शिक्षण में तकनीक: भाषा सीखने की सुविधा, आदि। 4. भाषा शिक्षाशास्त्र में विधियाँ, सामग्री और संसाधन-  भाषा शिक्षण विधियों के प्रकार, भाषा-केंद्रित तरीके, शिक्षार्थी केंद्रित तरीके और सीखने-केंद्रित तरीके।

सम्मेलन स्थल संस्थान का कैप्टन डीपी चौधरी मार्ग, अजमेर – 305004, राजस्थान है। सम्मेलन के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए संस्थान के अधिकृत वेबसाइट www.rieajmer.raj.nic.in पर लॉगिन करें। साथ ही देखें www.view/nclprieajmer2019, सम्मेलन में भाग लेने के लिए ईमेल पता है nclprieajmer2019@gmail.com। किसी भी अन्य जानकारी के लिए प्रो. राजेश मिश्रा (आयोजन सचिव): 9414002662 और प्रो. सरयुग यादव (आयोजन समिति):  8619512715 से संपर्क किया जा सकता है। पंजीकरण और स्वीकृति की सूचना की डेडलाइन 11 नवंबर, 2019 शाम 5.30 बजे तक है।

भगत सिंह कॉलेज में नवागंतुक करेंगे डिबेट

दिल्ली की डिबेटिंग सोसाइटी ने आगामी 25 अक्टूबर को दो दिन की नवांगतुक हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया है। यह सोसाइटी शहीद भगत सिंह कॉलेज (इवनिंग) दिल्ली से संबद्ध रखती है। कार्यक्रम का नाम है- स्पंदन 2019। कार्यक्रम के संयोजक विध्यांचल मिश्र हैं। छात्र संयोजकों में अरुणा यादव और नीलाभ कृष्णा हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए केशव सवर्ण को 94300 95799 और इंद्रपाल को 70896 01175 पर संपर्क किया जा सकता है। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी कालेजों के प्रतिभागी हिस्सा ले सकते हैं। वाद-विवाद के लिए विषय 24 घंटे पहले दिए जाएंगे।

जेएनयू में स्वास्थ्य को लेकर अंतरराष्ट्रीय विचार

सामाजिक चिकित्सा और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंस ने 31 अक्टूबर को व्याख्यान रखा है जो हाफडेन महलर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक (1973-88) को लेकर है। इसमें इस बात का जोर होगा कि कैसे महलर ने अपने जीवन और कार्य के संदर्भ में काम को आगे बढ़ाया था। व्याख्यान नील्स ब्रिम्स देंगे जो डेनमार्क स्थित आरहूस यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

बता दें कि हाफडेन थियोडोर महलर हू (डब्ल्यूएचओ) के ऐसे निदेशक रहे हैं कि जब इस संस्था ने दुनिया में कई ऊंचाइयां हासिल की थीं। उनका नाम प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और हेल्थ फॉर ऑल द ईयर 2000’ से खास तौर पर जुड़ा है। उन्हें परिष्कृत, अस्पताल आधारित चिकित्सा और ‘तकनीकी सुधार’ में आमूलचूल परिवर्तनों के लिए जाना जाता है। इस व्याख्यान में महलर के जीवन और कैरियर को समझने के बारे में कुछ प्रारंभिक प्रतिबिंब प्रस्तुत किए जाएंगे। इनमें विशेष रूप से 1950 के दशक में भारत में टीबी नियंत्रण को लेकर महलर के अनुभवों को वैश्विक स्वास्थ्य के परिदृश्य में देखा जाएगा। व्याख्यान दोपहर 2:30 बजे कमरा नंबर 206, एसएसएस में हैं।

हाफडेन थियोडोर महलर (21 अप्रैल 1923-14 दिसंबर 2016) एक डेनिश चिकित्सक थे। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक के रूप में तीन कार्यकाल पूरे किए थे।

डेटा है लेकिन उपयोग कैसे करें

एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (एटीएल) एकेडमी ने एक हफ्ते का फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) डेटा विज्ञान और इसके अनुप्रयोग को लेकर आयोजित किया है जो 9 दिसंबर से 13 दिसंबर 2019 को होगा। इसे कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जीईआई रोड, रायपुर (छत्तीसगढ़) ने आयोजित किया है।

आयोजकों के मुताबिक इस कोर्स के उद्देश्य है-  ज्ञान और प्रशिक्षण, डेटा विज्ञान और इसके अनुप्रयोगों की बुनियादी बातें बताना। साथ ही प्रतिभागियों को डेटा विज्ञान से परिचित कराना है सूचना की पुनर्प्राप्ति तकनीक को जानना। कार्यक्रम में विशेषज्ञों के व्याख्यान होंगे। कार्यक्रम या कोर्स संकाय सदस्यों के लिए फायदेमंद होगा और रिसर्च स्कॉलर्स जो भी जरूरी पठन-पाठन करना चाहते हैं, अनुसंधान शुरू करते हैं इससे अग्रिम जानकारी हासिल कर सकेंगे। डेटा के प्रसंस्करण और विश्लेषण की क्षेत्र तकनीक इस पाठ्यक्रम की विशिष्ट विशेषताओं में शामिल हैं।

कुछ विषय (लेकिन सीमित नहीं)- डेटा साइंस का परिचय- पायथन/ आर का उपयोग करते हुए डेटा पूर्व-प्रसंस्करण, डेटा विश्लेषण और प्रतिगमन तकनीक, मशीन सीखने के प्रतिमानों का परिचय, पर्यवेक्षित अध्ययन, फीचर इंजीनियरिंग, फीचर चयन, अप्रशिक्षित शिक्षण, आयाम में कमी, सुदृढ़ीकरण की सीख/ गहन सीख, डेटा साइंस के अनुप्रयोग, मैटलैब/ पायथन /आर में दक्षता।

कार्यक्रम के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि: 30-11-2019 है। चयनित उम्मीदवार को संबंधित जानकारी ईमेल से दी जाएगी। कार्यक्रम में संकाय सदस्यों के अलावा अनुसंधानरत् विद्वानों (पीएचडी और पीजी) को शामिल होने की इजाजत मिलेगी। कार्यक्रम के लिए अधिकतम 50 प्रतिभागियों के चयन की संभावना है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए डॉ दिलीप सिंह सिसोदिया (ईमेल: dssisodia.cs@nitrr.ac.in मोबाइल नंबर- 8462808174) और डॉ प्रदीप सिंह (ईमेल: psingh.cs@nitrr.ac.in मोबा. नंबर 9407627366) से संपर्क किया जा सकता है।

महिला अध्ययन के केंद्र में फेमनिज्म

मद्रास विश्वविद्यालय चेपक, चेन्नई के महिला अध्ययन विभाग ने “फेमिनिस्ट रिसर्च एप्रोच टू जेंडर स्टडी” पर 9-10 दिसबंर 2019 को दो दिन का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया है।

आयोजकों का कहना है कि जेंडर स्टडीज से संबंधित अनुसंधान जो महिलाओं और/ या सेक्सुअल माइनरटिज पर केंद्रित करके किए जाते हों, बहुत कम हैं। इसके अलावा, यह माना जाता है कि महिलाओं और लिंग अध्ययनों को अनुसंधान में सामाजिक विज्ञान पद्धति का पालन करना चाहिए। हालांकि यह सच है कि जेंडर स्टडीज सामाजिक विज्ञान अनुशासन का हिस्सा है, लेकिन जेंडर स्टडीज के शोध करने में अलग-अलग अंतर हैं। संगोष्ठी में उन विभिन्न पहलुओं की पड़ताल की जाएगी जो लिंग अध्ययन सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में एक अलग रास्ता बताते हों। उदाहरण के लिए, फेमिनिस्ट रिसर्च फोरग्रेसेस सब्जेक्टिविटी, सेल्फ-रिफ्लेक्सिटी, तत्कालिक यथार्थ, मिक्स्ड मैथोडोलॉजी और साथ ही रिसर्च करने वाले को महत्वपूर्ण तत्व की तरह शामिल करना।

शोध या आलेख का सार 250 शब्दों में भेजना होगा जबकि पूर्ण पेपर को अधिकतम 5000 शब्दों में। इसे ईमेल एड्रेस dwsconference@gmail.com पर भेजा जा सकता है। महत्वपूर्ण तिथियाँ हैं- सार स्वीकृति: 30 अक्टूबर, 2019, पेपर जमा करने की अंतिम तिथि: 25 नवंबर, 2019, प्रस्तुति / भागीदारी के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि: 30 नवंबर, 2019, सम्मेलन: 9 और 10 दिसंबर, 2019।

सम्मेलन के समन्वयक और आयोजकों में अंजना अंटो को 8925267509 और स्वेथल रामचंद्रन को 9496352480 फोन नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है। महिला अध्ययन केंद्र के कार्यालय का नंबर है-04425399847

डिजिटल क्रांति के दौर में मीडिया और हिंदी

श्री गुरू तेगबहादुर खालसा कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय), उत्तरप्रदेश भाषा संस्थान एवं ई-कॉपी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी डिजिटल क्रांति और हिंदी का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में 25 अक्टूबर को तकनीकी सत्र है जिसमें सुबह 10 बजे से डिजिटल मीडिया के भाषाई परिदृश्य पर चर्चा होगा। इसमें डॉ. सुमिता लोहिया; असिस्टेंट प्रोफेसर, श्री गुरु तेगबहादुर खालसा कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के अलावा मुख्य वक्ता जयदीप कर्णिक, संपादक, अमर उजाला, दिनेश श्रीनेत; भाषा प्रभारी, इकॉनोमिक टाइम्स के अलावा प्रियदर्शन, एनडीटीवी, डॉ. राजकुमार; मीडिया विश्लेषक एवं प्राध्यापक श्यामलाल कॉलेज, दिल्ली विश्विद्यालय। कार्यक्रम में मनीष शुक्ल; असिस्टेंट प्रोफेसर, श्री गुरु तेगबहादुर खालसा कॉलेज, भी संबद्ध होंगे। विशेष सत्र में गुरु नानकजी के 550वां जयंती-वर्ष पर विचार होगा। इसके बाद डिजिटल मीडिया और गुरु नानक के सन्देशों का प्रसार को लेकर डॉ जसविंदर सिंह; कॉलेज प्राचार्य, श्री गुरु तेगबहादुर खालसा कॉलेज शिरकत करेंगे। इस कार्यक्रम को डॉ. चरणजीत सिंह; एसोसिएट प्रोफेसर, श्री गुरु तेगबहादुर खालसा कॉलेज संचालित करेंगे। पेपर प्रस्तुतिकरण डॉ. गुरदीप कौर; एसोसिएट प्रोफेसर, श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज, डॉ. गुरिन्दर सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज के अलावा डॉ. अमनप्रीत सिंह गिल, डॉ. अनुभूति मिश्र, प्रोफेसर, पीजीडीएवी, (सांध्य) डॉ. गुरदीप कौर, सुनील करारे, डॉ. कंवलजीत कौर, डॉ. करनजीत सिंह भी भाग लेंगे।

दोपहर 12:30 से समानांतर तकनीकी सत्र होगा जिसकी अध्यक्षता डॉ  नागेश नाथ दास; एसोसिएट प्रोफेसर, श्री गुरु तेगबहादुर खालसा कॉलेज और संचालन डॉ सुमिता लोहिया करेंगे। इसके बाद पेपर प्रस्तुतिकरण होगा। इसमें डॉ. शशिकांत भी शिरकत करेंगे। डिजिटल दौर का हिंदी सिनेमा विषय को लेकर दोपहर ढाई बजे से चर्चा होगी। इसमें डॉ. रुद्रेश नारायण के अलावा दयाशंकर मिश्र; संपादक, न्यूज़18 डिजिटल शिरकत करेंगे। पैनल वक्ता होंगे डॉ. सर्वेशदत्त त्रिपाठी, मीडिया एवं जनसंचार विभाग, गुरु गोबिंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, शिवकेश मिश्र, एसोसिएट संपादक, इंडिया टुडे हिंदी जबकि पैनल संचालक होंगे डॉ. प्रकाश उप्रेती जो  रामजस कॉलेज, दिल्ली के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

इसी सत्र से डॉ. अरुण, डॉ. रुद्रेश नारायण भी शिरकत करेंगे। समापन सत्र का संचालन डॉ. अमरेन्द्र पाण्डेय;असिस्टेंट प्रोफेसर, श्री गुरु तेगबहादुर खालसा कॉलेज करेगे। डॉ. जसविंदर सिंह, प्रोफेसर सत्यकाम, प्रो. संजीव भानावत, के.पी. सिंह, डॉ. स्मिता मिश्र, डॉ. पी. अरुण शामिल होंगे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नचिकेता सिंह देंगे। कार्यक्रम में प्रकाशन सहयोग अनंग प्रकाशन, दिल्ली, स्याही ब्लू बुक्स, दिल्ली दे रहे हैं। कार्यक्रम स्थल श्री गुरु अर्जनदेव सेमिनार-कक्ष है।

नई शिक्षा नीति और विश्व परिदृश्य में राम-कृष्ण

आधुनिकता के संदर्भ में राम-कृष्ण का वैश्विक परिदृश्य- नई शिक्षा नीति और हिंदी भाषा को लेकर एनडीएमसी सभागार संसद मार्ग नई दिल्ली में 2829 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम को साहित्यिक-सांस्कृतिक शोध संस्था ठाणे मुंबई ने आयोजित किया है। कार्यक्रम अयोध्या शोध संस्थान अयोध्या एनडीएमसी दिल्ली, रूसी भारतीय मैत्री संघ (दिशा) मास्को, उत्तर प्रदेश मंडल ऑफ अमेरिका के सौजन्य से किया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए ssrimumbai@gmail.com  पर संपर्क किया जा सकता है। इस बारे में आयोजकों में से डॉ पीके सिंह, डॉ. सतीश और डॉ विनय कुमार को 98699 13892, 97640 11790, 70047 90076 पर संपर्क किया जा सकता है।

(संपादन : नवल)


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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