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जामिया विवि करेगा दो विशेष सेमिनारों की मेजबानी, लक्ष्मीबाई कॉलेज में लेखन प्रतियोगिता

सीएए और एनआरसी के सवाल पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र अब भी आंदोलनरत हैं। इस बीच विश्वविद्यालय में अकादमिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं। इस कड़ी में विश्वविद्यालयों ने दो विशेष सेमिनारों का आयोजन किया है, जिनके विषय के केंद्र में भारत और अन्य मुस्लिम देशों के बीच संबंध हैं

यूजीसी के सहयोग से जामिया मिल्लिया इ्स्लामिया, नई दिल्ली ने “पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के उभरते संबंध : एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य”  विषय को लेकर 27 और 28 जनवरी 2020 को दो दिनों का अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया है।  

सेमिनार का मुख्य उद्देश्य भारत के पश्चिम एशिया से संबंधों के संदर्भ में नए शोध के लिए खोज करना और पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के बारे में ताजा जानकारियों को समेटना, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, भूगोल, मीडिया अध्ययन के साथ-साथ शिक्षा और सांस्कृतिक अध्ययन जैसे विभिन्न विषयों के प्रतिभागियों को संगोष्ठी के जरिए एक साथ लाना है। 

उप-विषय : भारत-अरब सामाजिक-सांस्कृतिक संबंधों में पश्चिम एशिया में संस्कृति और समाज, अरब दुनिया में धर्म और संस्कृति, जातीय समूह : तुर्की, इराक, ईरान और सीरिया के कुर्द समाज का रूपांतरण, भारत और अरब संस्कृति : भाषा, कला, विज्ञान, संगीत और लोकप्रिय संस्कृति, रेगिस्तानी समुदाय-जीवन और आतिथ्य : सऊदी अरब, जॉर्डन और ओमान। 

शोध-पत्र और आलेख जमा करने की अंतिम तिथि 15 जनवरी 2020 है। अधिक जानकारी के लिए ascseminar@gmail.com पर ईमेल। प्रोफेसर अनिसुर रहमान संगोष्ठी के संयोजक हैं।

भारत में अरबी संस्कृति

“परस्पर सांस्कृतिक हस्तक्षेप: भारतीय लेखन में अरबी विषयों की पड़ताल” विषय को लेकर यंग स्कॉलर्स सेमिनार- 2020 के तहत जामिया मिल्लिया इस्लामिया के भारत अरब सांस्कृतिक केंद्र (आईएसीसी) ने 19-20 मार्च, 2020 को दो दिन का सेमिनार आयोजित किया है। इसमें युवा विद्वानों और शिक्षाविदों को एक मंच पर अपने शोध को साझा करने का मौका मिल सकेगा।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली

उप-विषय : भारतीय साहित्य में अरब राष्ट्रवाद, भारतीय साहित्य में फिलिस्तीन का प्रश्न, पूर्वोत्तर में भारतीय मुसलमानों के सांस्कृतिक परिदृश्य में अरबी साहित्य की मौजूदगी, हज यात्रा वृत्तांतों में अरब का वर्णन, भारतीय लोक साहित्य में अरबी विषय, भारतीय सिनेमा में अरबी संस्कृति का प्रभाव, अरब की संस्कृति में मुस्लिम समाज, भारतीय चित्रकला और कैलीग्राफी में अरबी विषय, भारतीय अंग्रेजी उपन्यासों में अरब आदि।

इस बारे में अधिक जानकारी के लिए tabrez1900528@st.jmi.ac.in,  aadi.dia@gmail.com पर संपर्क करें। 

महत्वपूर्ण तिथियां : सार प्रस्तुति भेजने की तिथि: 15 जनवरी, 2020, चयनित सार की अधिसूचना: 24 जनवरी, 2020। पूर्ण शोध आलेख प्रस्तुति: 29 फरवरी 2020। प्रो. मोहम्मद अयूब नदवी, डॉ. मोहम्मद आफताब अहमद, तबरेज़ अहमद संगोष्ठी के संयोजकों में हैं।

नए दौर की सोच

लक्ष्मीबाई कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने पहली बार ऑनलाइन रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता के आयोजन की घोषणा की है। राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर आयोजित की जा रही इस प्रतियोगिता के लिए 12 जनवरी 2020 तक आलेख भेजे जा सकते हैं। आयोजकों ने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं को प्रेरित करने के साथ-साथ उनके रचनात्मक लेखन को बढावा देना और समाज को ये बताना है कि हमारे युवा सदस्य क्या सोच रखते हैं। प्रतियोगिता में 15 से 25 साल के आयु वर्ग के छात्र अपनी कोई भी मौलिक कहानी, कविता, नाटक, यात्रा-वृतांत, चित्रात्मक वर्णन, संवाद लेखन, निबंध, छोटी हास्य रचना, या कुछ भी जो वे अपनी रचनात्मक क्षमता से लिख सकते है। शब्दसीमा का ध्यान रखते हुए अपनी बात 300 से लेकर 1500 शब्दों में की जा सकती है।

विषय-सूची : स्वास्थ्य, नैतिकता और मूल्य, परम्परा और नैतिकता, भारतीय और पाश्चात्य, पौधों और जंतुओं की दुनिया, वातावरण, नवाचार और उद्यमिता, साहसिकता, कला और सौंदर्यशास्त्र, धन शक्ति और इच्छा, प्राकृतिक घटना और पौराणिक चरित्र, सांस्कृतिक और बहु संस्कृततिवाद, राष्ट्रीय एकीकरण, मनुष्य प्रकृति और उर्जा, विज्ञान और आध्यात्मिकता।

बताते चलें कि एक छात्र एक से अधिक लेख भेज सकते हैं। आलेख हिंदी और अंग्रेजी में भेजा जा सकता है। इसके लिए writingcontest@lb.du.ac.in संपर्क करें। प्रवेश शुल्क 100 रुपए है। इसके भुगतान संबंधी जानकारी के लिए https://lakshmibaicollege.in/index.php/home/allannouncements पर जाएं।

नैनीताल में जलवायु की चिंता

अंतर्राष्ट्रीय भौगोलिक संघ के सहयोग से कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल ने जलवायु परिवर्तन के लिए अनुकूल प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, विकल्प और अवसर विषय पर 18 से 20 मार्च तक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया है। इसे केंद्रीय हिमालयन पर्यावरण संघ और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार और जीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट एंड सस्टेनेबल डवलेपमेंट ने विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग ने आयोजित किया गया है।

कार्यक्रम की संकल्पना के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन ने धरती पर वार्षिक तापमान में भारी उतार चढ़ावों के साथ बारिश का पैटर्न बदला है और बर्फ और ग्लेशियरों के पिघलने का सिलसिला भी तेज हुआ है। ये परिवर्तन पृथ्वी की जल विज्ञान प्रणाली को बाधित कर रहे हैं और पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं को बाधित कर रहा है, विशेष रूप से ऊंचाई वाले पहाड़ों, तटीय क्षेत्रों, द्वीप पारिस्थितिक तंत्रों में और शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पीने का पानी और खाद्य उत्पादन दोनों पर प्रतिकूल असर कर रहे हैं। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन ने वैश्विक पर्यावरण पर गहरे प्रभाव डाला है। इसके परिणाम स्वरूप कृषि उत्पादन में कमी, लगातार फसलों का नुकसान, ग्रामीण आजीविका की हानि और सामुदायिक खाद्य क्रय शक्ति में कमी आई है।

प्रमुख विषय : जल संसाधन: संरक्षण, पुनःपूर्ति और स्थायी उपयोग। जल संसाधन; पेयजल, सिंचाई। वन और जैव विविधता: वन संसाधन प्रबंधन; जैव विविधता संरक्षण; मानव-वन्यजीव संघर्ष। आदि।

उपरोक्त में किसी भी विषय पर शोध आलेख लिखने के बाद उसे pctiwari@yahoo.com पर भेजना चाहिए। सार प्रस्तुति 15 जनवरी 2020 तक भेजें।

शोध में मदद करेगा सॉफ्टवेयर

महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन सेल (आईक्यूएसी) ने क्यूटीनालिटिक्स, दिल्ली के साथ मिलकर 27 जनवरी से लेकर 1 फरवरी 2020 तक शोध पद्धति और डेटा एनालेसिस को लेकर एक हफ्ते के सम्मेलन का आयोजन किया है। आयोजकों का कहना है कि सांख्यिकीय उपकरण डेटा को त्वरित और प्रबंधनीय जानकारी में सारांशित करने में मदद करते हैं और त्वरित तौर पर भी बता देते हैं कि दो या दो से अधिक चीजों में वास्तविक तौर पर क्या संबंध हैं। चुनौतियों और अवसरों का सामना करने के लिए आईबीएम के एसपीएसएस ने अनुसंधान के लिए नए सॉफ्टवेयर से शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं का काम आसान किया है जो मूल्यवान डेटा से मिली जानकारी पर आधारित है।  

संकाय सदस्य, शिक्षाविद और संबद्ध क्षेत्रों में शोधकर्ता इसमें शिरकत कर सकते हैं। प्रमुख सांख्यिकीविद्,  वैज्ञानिक, प्रोफेसर, शोधकर्ता, सम्मेलन के रिसोर्स पर्सन्स हैं। कार्यक्रम की अधिक जानकारी के लिए आयोजन समिति के डॉ. एस. बेदी, डॉ. आलोक श्रीवास्तव, डॉ. विनय ऋषिवाल, डॉ. ए.के. सिंह, डॉ. आभा त्रिवेदी, कामिनी विश्वकर्मा, विमल कुमार से संपर्क किया जा सकता है। समिति के नीरज कुमार को 9536950950, 7906334727 नंबरों पर फोन किया जा सकता है। ईमेल एड्रेस है iqac@mjpru.ac.in। विश्वविद्यालय का ईमेल एड्रेस info@mjpru.ac.in है जबकि वेबसाइट है: http://www.mjpru.ac.in

कारोबार के माहौल को लेकर चिंता

“भारत में बदलता कारोबारी माहौल: चुनौतियां और अवसर” विषय पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज फॉर वूमेन, दिल्ली विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग ने यूजीसी के सहयोग से 28 और 29 फरवरी 2020 को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया है। संगोष्ठी में शिक्षा और कॉर्पोरेट जगत की कई जानी मानी हस्तियां शिरकत कर रही हैं। आयोजकों ने बताया कि संगोष्ठी का मकसद व्यवसाय प्रबंधन और व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर चल रही मौजूदा प्रगति और चुनौतियों पर गहन चर्चा की शुरुआत करना है। 

प्रमुख उप-विषय : उद्यमिता और कौशल विकास, डिजिटल अर्थव्यवस्था, नए दौर की बैंकिंग और वित्त व्यवस्था, व्यवसाय रिपोर्टिंग और कॉर्पोरेट प्रशासन (सीजी)। इसमें अनुसंधान कर रहे विद्वान, शिक्षाविद और कॉर्पोरेट प्रतिनिधि समान रूप से शिरकत करेंगे।

इस बारे में श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज की आयोजन समिति की डॉ. प्रभा राणा (संयोजक और शिक्षक-प्रभारी, 85128 38282), डॉ. निशा अरोड़ा (सह-संयोजक, 76782 11675) और सीएस रेणु यादव (सह-संयोजक) को संपर्क किया जा सकता है। ईमेल एड्रेस है- commerce_ns2020@spm.du.ac.in।

(संपादन : नवल/सिद्धार्थ)

लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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