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एक हों और संगठित हों, जगजीवन राम का डा. आंबेडकर को ऐतिहासिक पत्र

‘हम दलित वर्गों ने यहां अपना आंदोलन बहुत देर से शुरु किया था, इसलिए हमारा संगठन भी अभी छोटा है। किंतु जो अनुभव हमने हाल के चुनावों में प्राप्त किया है, उसने साबित कर दिया है कि यदि हमने अगले 5 वर्षों तक अपना कार्य जारी रखा, तो हम अगला चुनाव बहुत अच्छी तरह और सफलता के साथ लड़ सकते हैं।’ जगजीवन राम द्वारा डॉ. आंबेडकर को लिखा गया पत्र

{भारत के दलित एक हों और संगठित हों। इसे लेकर जगजीवन राम और डॉ. भीमराव आंबेडकर के बीच आपसी समझ रही। यह वह दौर था जब बिहार में त्रिवेणी संघ का आंदोलन जोर पकड़ चुका था और कहीं न कहीं दलित-बहुजनों के बीच एकता की बुनियाद भी डाली जा चुकी थी। इसमें जगजीवन राम की बड़ी भूमिका रही। प्रस्तुत पत्र  9 मार्च, 1937 को जगजीवन राम ने डॉ. आंबेडकर को लिखा। इसकी रिपोर्टिंग तब सीआईडी, पटना, बिहार की विशेष शाखा के अधिकारी द्वारा 10 मार्च, 1937 को की गई। हम इस पत्र को हू-ब-हू प्रकाशित कर रहे हैं जो आनंद साहित्य सदन, अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) द्वारा “डॉ. बाबासाहब आंबेडकर और अछूतों का आंदोलन : स्रोत सामग्री (1915-1956)” शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक में संकलित है}

सीआईडी, पटना, बिहार के विशेष शाखा के अधिकारी की रिपोर्ट

[गोपनीय रूप से पता चला है कि बिहार प्रांतीय दलित वर्ग संघ, पटना के अध्यक्ष जगजीवन राम, बी.एससी, ने 8 मार्च 1937 को डा. बी.आर. आंबेडकर, बार-एट-ला, राजगृह, दादर, बंबई को एक पत्र लिखा है, जो इस प्रकार है -]

मेरे प्रिय डाक्टर साहेब,

मुझे आपका इसी 3 तारीख का पत्र मिला। अगर जाति पर आपकी विवरणी (ब्रोशर) पूरी हो गई हो, तो कृपया उसकी एक प्रति भेजने की कृपा करें, ताकि मैं उसका अनुवाद कर सकूं।

मैं आपकी इच्छानुसार उन प्रत्याशियों की सूची [पत्र के नीचे सारणी में उल्लेखित] भेज रहा हूं, जिन्होंने चुनाव लड़ा था। मैं मानता हूं कि हमने कांग्रेस के साथ एक समझौता किया है, और इस समझौते के परिणामस्वरूप संघ (लीग*) के 9 लोग कामयाब भी हुए हैं। उन्होंने संघ के संकल्प पर और कुछ आरक्षण के साथ कांग्रेस के संकल्प पर भी हस्ताक्षर किए हैं। शायद आप जानते हैं कि यहां बिहार में कांग्रेस के सिवा कोई अन्य संगठित पार्टी नहीं है। स्थानीय स्वशासन मंत्री श्री गणेश दत्त सिंह अपनी पार्टी बनाने की कोशिश कर रहे थे, परंतु वह उसका संगठन खड़ा नहीं कर सके। हमने आखिरी वक्त में, 29 अक्टूबर 1936 को कांग्रेस से समझौता किया, और 3 नवंबर 1936 को नामांकन पत्र दाखिल किए। हम दलित वर्गों ने यहां अपना आंदोलन बहुत देर से शुरु किया था, इसलिए हमारा संगठन भी अभी छोटा है। किंतु जो अनुभव हमने हाल के चुनावों में प्राप्त किया है, उसने साबित कर दिया है कि यदि हमने अगले 5 वर्षों तक अपना कार्य जारी रखा, तो हम अगला चुनाव बहुत अच्छी तरह और सफलता के साथ लड़ सकते हैं।

जगजीवन राम और डॉ. आंबेडकर की तस्वीर

आप इलाहाबाद के श्री बलदेव प्रसाद जायसवाल को जानते हैं। वह पटना आए हुए हैं और एक अखिल भारतीय सम्मेलन करना चाहते हैं। यहां उनके द्वारा अखबारों में वक्तव्य दिया गया है कि सम्मेलन की अध्यक्षता दीवान बहादुर श्री निवासन करेंगे और आप भी सम्मेलन में भाग लेंगे। मैं सच्चाई नहीं जानता और न मैं इस आदमी पर विश्वास कर सकता हूं। पिछले वर्ष लखनऊ में एक सम्मेलन हुआ था और श्री जायसवाल उस सम्मेलन के संचालन में गतिशील व्यक्ति थे। मैं सिर्फ आपसे मिलने के लिए पूरे दिन लखनऊ में रहा था, परंतु आपको न देखकर निराशा हुई थी। अब वह मेरी मदद ले रहे हैं, पर मैं तब तक खुलकर उनकी मदद नहीं कर सकता और न किसी तरह की कोई मदद उनको दे सकता हूं, जब तक कि मुझे यह न पता चल जाए कि आप इस सम्मेलन में सम्मिलित होंगे। यह सम्मेलन  9, 10 और 11 अप्रैल 1937 को होने वाला है। बिहार का कोई भी व्यक्ति उनके साथ नहीं है। उन्होंने यहां कैथोलिक चर्च में अपना कार्यालय बनाया है, और सारा प्रबंध मिशनरियों के द्वारा किया जा रहा है।

दलित वर्ग संघ की कार्यकारिणी समिति ने पटना में 15 अप्रैल और 15 मई 1937 के बीच किसी तारीख को प्रांतीय सम्मेलन करने का निश्चय किया है, और उसमें आपको आमंत्रित करने का भी निर्णय लिया है। किंतु यदि आप श्री जायसवाल के सम्मेलन में भाग लेने के लिए आ रहे हैं, जिसका मुझे संदेह है, तो हम अपने सम्मेलन की उसी के आसपास 12 अप्रैल की तारीख तय कर लेंगे। क्या आप इस पत्र के मिलते ही यथा शीघ्र सूचित करने की कृपा करेंगे कि आप श्री जायसवाल के सम्मेलन में आयेंगे या नहीं? एक बात और, वह सौ से ज्यादा दलित वर्गों की भीड़ जुटाने में समर्थ नहीं होंगे। हालांकि उन्होंने हजारों की संख्या में मुसलमानों और ईसाईयों को भी आमंत्रित किया है, जैसा कि उन्होंने लखनऊ में किया था। मैं इस तरह की रीति का घोर विरोध करता हूं। हमें वास्तविक दलित वर्गों का ही सम्मेलन करना चाहिए। शीघ्र ही उत्तर की प्रत्याशा में।

सादर।

 

भवदीय
(हस्ताक्षर)
जगजीवन राम 


बिहार प्रांतीय विधानसभा के लिए चुनाव लड़ने वाले सदस्यों की सूची-

नाम एवं पताटिकटमतदान[प्राप्त मत]
1. जगजीवन राम, चंदवा, आरादलित वर्ग संघ-कांग्रेसनिर्विरोध
2. राम बसावन रविदास, गोपालगंज, सारणतदैवतदैव
3. बालगोविंद भगत, बेतिया, चंपारणतदैवतदैव
4. शिवनंदन राम, वी. मंसूरपुर, चंपारण
डाक मैरवां, जिला मुजफ्फरपुर
तदैवतदैव
5. डा. रघु नंदन प्रसाद, सदर अस्पताल, मुंगेर।तदैवतदैव
6. कारू राम, शिक्षक, सेंट कोलंबस कालेज, हजारीबाग।तदैवतदैव
7. राम बरस दास (बरसू चमार), ग्राम बेलथू,
डाक  शाहकुंद, जिला भागलपुर।
तदैव754
8. महावीर दास लालूचक, डाक  मिरजन हाट, मुंगेरमिनिस्टीरियल1700
9. बिशुनचरन दास रबिदास, कोआपरेटिव सोसाइटी, जिला मानभूम।

गुल्लू धोबी, ग्राम मामुरजोरे
पुरुलिया लीग कांग्रेस
बनाम
मिनिस्टीरियल
1964

2300
10. जीतूराम, ग्राम बंसडीह, डाक  लेशी गंज,जिला पलामू

फगुनी राम, क्लर्क, जिला परिषद, डाल्टेनगंज, जिला पलामू
लीग कांग्रेस
बनाम
मिनिस्टीरियल
2744

532
11. राम प्रसाद, महासचिव, दलित वर्ग संघ (लीग) पटना।

कालर दुसाध,
लीग कांग्रेस
बनाम
मिनिस्टीरियल
1473

511
12. सुंदर पासी, ग्राम केश्ता, डाक दलसिंहसराय, जिला दरभंगा।कांग्रेसनिर्विरोध
13. केशव पासवान, ग्राम बिहटा, डाक  बेनीपट्टी,

जिला दरभंगा
तदैवतदैव
14. सुखारी पासी, चाकंद डाकघर, जिला गयातदैवतदैव
15. बूंदी पासी, डाक बरसालीगंज, जिला गया

दलीप दुसाध
तदैव
बनाम
मिनिस्टीरियल
3555

487
16. जगलाल चौधरी, स्वराज आश्रम, डाक टीकापट्टी, जिला पूर्णिया

लगतुप मुसहर,
कांग्रेस
बनाम
मिनिस्टीरियल

 
4789
1769

* ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेज लीग

(कॉपी संपादन : नवल)


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लेखक के बारे में

जगजीवन राम

जगजीवन राम (5 अप्रैल, 1908 - 6 जुलाई, 1986) भारत के भूतपूर्व उपप्रधानमंत्री थे

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