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राम की शरण में भूपेश बघेल, विरोध में उतरीं आदिवासी महिलाएं, दर्ज कराया विरोध

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार राम वन गमन पथ योजना के तहत 51 स्थानों पर राम मंदिरों का निर्माण करा रही है। इसके विरोध में जंगो-लिंगो आदिवासी महिला समिति की ओर से राज्यपाल अनुसूईया उईके को ज्ञापन दिया गया है। तामेश्वर सिन्हा की खबर

छत्तीसगढ़ में आदिवासी अपने उपर हिन्दू धर्म थोपे जाने के विरोध में अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। उनका मानना है कि वे हिंदू नहीं हैं और उनका अपना आदिवासी धर्म और अपनी परंपराएं हैं जो प्रकृति पर केंद्रित है। वे सूबे में के विभिन्न इलाकों में राम मंदिर बनाए जाने की सरकारी योजना पर सवाल उठा रहे हैं। अब इस लड़ाई में छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाएं भी शामिल हो गई हैं। बीते 21 जुलाई, 2020 को छत्तीसगढ़ के भिलाई में जंगो-लिंगो आदिवासी महिला समिति ने दुर्ग एसडीएम कार्यालय पहुंच कर राम गमन पथ एवं राम मंदिर निर्माण के विरोध में राज्यपाल अनुसईया उईके के नाम ज्ञापन सौंपा। 

दरअसल, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार राम वन गमन पथ योजना के तहत 51 स्थानों पर 10 करोड़ की लागत से राम मंदिरों का निर्माण करा रही है। बताते चलें कि इस योजना के तहत मंदिर निर्माण की योजना अधिकतर आदिवासी, पिछड़ा बहुल क्षेत्रों में है। सरकार का कहना है कि इन 51 स्थानों का राम से संबंध है जहां कथित तौर पर वे वनवास के दौरान गए थे। 

सनद रहे कि भूपेश बघेल सरकार की उपरोक्त योजना का उनके पिता नंद कुमार बघेल ने भी पुरजोर विरोध किया है। 

इस बीच जंगो-लिंगो महिला आदिवासी समिति ने अपने ज्ञापन में कहा है कि राम गमन पथ एवं राम मंदिर निर्माण जिसे भूपेश बघेल सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बताई जा रही है, सर्वथा अनुचित व असंवैधानिक कार्य है। वजह यह कि पूरा बस्तर संभाग पांचवीं अनुसूची क्षेत्र घोषित है। इस क्षेत्र की अपनी एक व्यवस्था है। पेसा एक्ट, 1996 के तहत अनुसूचित क्षेत्र की सर्वोच्च संस्था ग्रामसभा है और बगैर ग्रामसभा अनुमोदन के कोई भी निर्माण व विकास कार्य असंवैधानिक है। लेकिन स्थानीय सरकार की शह पर स्थानीय विधायक शिशुपाल सोरी कांकेर में राम मंदिर निमार्ण को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे इलाके में अशांति व धार्मिक संघर्ष की स्थिति उत्पन्न की जा रही है। जंगो-लिंगो आदिवासी महिला समिति के सदस्यों ने राज्यपाल से मांग की है कि वे धर्म के नाम पर कराए जा रहे इन निर्माण कार्यों पर अविलम्ब रोक लगाएं।

दुर्ग भिलाई के एसडीम को राज्यपाल के नाम ज्ञापन देने के बाद जंगो-लिंगो महिला आदिवासी समिति के सदस्य

महिलाओं ने अपने ज्ञापन में यह भी कहा है कि सरकार जनता से वसूले गए टैक्स की राशि का दुरूपयोग कर रही है। जो धन राशि राज्य में गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और स्वास्थ्य समस्या आदि दूर करने के लिए उपयोग में लायी जा सकती है, उसका दुरूपयोग कर वह आदिवासियों पर हिन्दू धर्म व इसकी मान्यताएं थोपने का प्रयास कर रही है। 

जंगो-लिंगो महिला समिति भिलाई की अध्यक्ष तामेश्वरी ठाकुर ने बताया कि भूपेश बघेल सरकार मनुवादी साजिश कर रही है। पर्यटन विकास का नाम देकर राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। जबकि हम आदिवासी कभी भी मूर्तिपूजक नही रहे हैं। हम तो पेड़, जंगल, पहाड़ और नदियों को अपना पुरखा मानते हैं। हमारे लिए न राम का मन्दिर महत्वपूर्ण है और ना ही कोई चर्च-मस्जिद। हमारा अपना जंगल है और हमारी अपनी मान्यताएं हैं। हम इसी में खुश हैं।

वहीं ज्ञापन देने वालों में शामिल सर्वआदिवासी समिति की महिला अध्यक्ष चंद्रकला तारम ने बताया कि छत्तीसगढ़ में हम राम वन गमन पथ नही चाहते हैं। बस्तर हमारा अनुसूचित क्षेत्र है, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, रोजगार के क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है न कि मंदिर निर्माण की। हम कई वर्षों से स्कूलों में गोंडी भाषा मे पढ़ाने की मांग कर रहे हैं। बस्तर में स्वास्थ्य सुविधा बदहाल है। सरकार इन मुद्दों से अलग लोगों का ध्यान भटकाने के लिए मंदिर निर्माण में लगी है। 

हिंदुत्व के आसरे भूपेश : एक मंदिर में पूजा करते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

चन्द्रकला तारम आगे कहती हैं कि हमारी परंपरा राम वाली संस्कृति से अलग है। हम फसल बोने से लेकर काटने तक हम प्रकृति की पूजा करते हैं। हम एक पेड़ की टहनी भी तोड़ते हैं तो उससे पूछ कर तोड़ते हैं। हमारा आंगा देव् होता है, जिसकी जात्राओं में कभी राम का जिक्र नहीं हुआ। हमारी गीतों में कभी राम का जिक्र नहीं हुआ। हमारी भाषा-बोली सब अलग है तो भूपेश बघेल सरकार जबरदस्ती राम वन गमन पथ योजना के तहत मंदिर निर्माण क्यों कर रही है। तारम कहती हैं कि छत्तीसगढ़ में जब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने तब जनता ने कहा कि एक बहुजन मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन वे तो मनुवादी एजेंडे के आधार पर काम कर रहे हैं। राम को हम आदिवासियों और बहुजनों पर थोप रहे हैं।

यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ में आदिवासियों और पिछड़ों को राम की बलि नहीं चढ़ने देंगे

ज्ञापन देने वालों में शामिल वकील शकुंतला राजसिंह कहती हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित अन्तराष्ट्रीय इंडिजीनस घोषणापत्र के अनुच्छेद 11 में कहा गया है कि आदिवासियों को अपनी सांस्कृतिक परंपराएं और रीतिरिवाज अपनाने और उन्हें अधिक सशक्त बनाने का अधिकार है। भारतीय संविधान में वर्णित पांचवीं अनुसूची के अनुसार भी अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून के तहत आप कोई भी धार्मिक आस्था आदिवासियों पर नहीं थोप सकते। इसके लिए ग्रामसभा की सहमति अनिवार्य है। इतना ही नहीं, एक राज्य सरकार धार्मिक संरचनाएं जैसे कि मंदिर आदि का निर्माण करा ही नहीं सकती है क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। 

बहरहाल, 13 जुलाई को छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के कांकेर जिले में राम वन गमन पथ योजना के तहत स्थानीय कांग्रेसी  विधायक शिशुपाल सोरी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी की उपस्थिति में राम मंदिर निर्माण का भूमिपूजन किया गया। विधायक शिशुपाल सोरी अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। उनके द्वारा राम मन्दिर का भूमिपूजन को लेकर आदिवासी समाज मे गहरा आक्रोश है। 

(संपादन: नवल/गोल्डी)


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लेखक के बारे में

तामेश्वर सिन्हा

तामेश्वर सिन्हा छत्तीसगढ़ के स्वतंत्र पत्रकार हैं। इन्होंने आदिवासियों के संघर्ष को अपनी पत्रकारिता का केंद्र बनाया है और वे विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रिपोर्टिंग करते हैं

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