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प्यार आदिवासियत की खासियत, खाप पंचायत न बने आदिवासी समाज

अपने बुनियादी मूल्यों के खिलाफ जाकर आदिवासी समाज अन्य जाति, धर्म या बिरादरी में विवाह करने वाली अपनी महिलाओं के प्रति क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने लगा है। इस प्रवृत्ति के पीछे कौन है? क्या हैं इसके कारण? नीतिशा खलखो इन सवालों को उठा रही हैं

आजकल आदिवासी समाज को अपनी महिलाओं का अन्य जाति, धर्म या बिरादरी में विवाह करना इतना नागवार क्यों गुजर रहा है? इस सोच के पीछे का सच क्या है? क्या आदिवासी समाज शुरू से महिलाओं के प्रति इतना ही क्रूर था? आजकल ऐसी कई घटनाएं हमें अखबारों और सोशल मीडिया के हवाले से आए दिन देखने, सुनने और जानने को मिल रही हैं। क्या यही हमारी प्राचीन संस्कृति व आदिम मान्यताएं हैं? 

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लेखक के बारे में

नीतिशा खलखो

नीतिशा खलखो दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलतराम कॉलेज में सहायक प्राध्यापिक हैं तथा स्वतंत्र रूप से आदिवासी व स्त्री विमर्श आदि विषयों पर नियमित लेखन करती हैं

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