h n

मंगलेश डबराल : अतीत से मुक्त नहीं

मंगलेश डबराल टिहरी गढ़वाल के काफलपानी गांव से आए थे। इसलिए उनकी कविताओं में पहाड़ अपनी घनी अनुभूतियों के साथ आए हैं, जिनमें दंत कथाएं हैं, मां हैं, पिता हैं, दादा हैं, बारिश है, सपने हैं, पर पहाड़ों पर डोम भी होते हैं, वे उनकी अनुभूतियों में नहीं आते। कभी वास्ता भी नहीं रखा होगा, डोमों से, फिर स्मृतियों में भी कैसे आएंगे? कंवल भारती द्वारा मंगलेश डबराल की कविताओं का पुनर्पाठ

यकीन मानिए, दलित कवियों के अतिरिक्त, मेरे संग्रह में, हिंदी में, और भी बहुत से कवि हैं, जिनमें एक वे हैं, जो मुझे बेहद प्रभावित करते हैं। उनमें पाश हैं, गदर हैं, गोरख पांडे हैं, वरवर राव हैं, गौहर रज़ा हैं, भगवत रावत हैं, आलोक धन्वा हैं, अंशु मालवीय हैं। इनके संग्रह बाकी उन कवियों से अलग हैं, जो दूसरी तरह के कवि हैं। इनमें कोई चार दर्जन से भी ज्यादा कवि होंगे, और संग्रह सौ के करीब होंगे। इनमें वे सभी कवि हैं, जो बहुत प्रसिद्ध हैं, जैसे अशोक वाजपेयी, केदारनाथ सिंह, अरुण कमल, कुमार विकल, ऋतु राज। किन्तु इनकी कविताओं को समझने की योग्यता मुझमें नहीं है। मंगलेश डबराल का काव्य संग्रह ‘हम जो देखते हैं’ मैंने इसी ढेर से निकाला।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : मंगलेश डबराल : अतीत से मुक्त नहीं

लेखक के बारे में

कंवल भारती

कंवल भारती (जन्म: फरवरी, 1953) प्रगतिशील आंबेडकरवादी चिंतक आज के सर्वाधिक चर्चित व सक्रिय लेखकों में से एक हैं। ‘दलित साहित्य की अवधारणा’, ‘स्वामी अछूतानंद हरिहर संचयिता’ आदि उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं। उन्हें 1996 में डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार तथा 2001 में भीमरत्न पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

संबंधित आलेख

व्यक्ति-स्वातंत्र्य के भारतीय संवाहक डॉ. आंबेडकर
ईश्वर के प्रति इतनी श्रद्धा उड़ेलने के बाद भी यहां परिवर्तन नहीं होता, बल्कि सनातनता पर ज्यादा बल देने की परंपरा पुष्ट होती जाती...
सरल शब्दों में समझें आधुनिक भारत के निर्माण में डॉ. आंबेडकर का योगदान
डॉ. आंबेडकर ने भारत का संविधान लिखकर देश के विकास, अखंडता और एकता को बनाए रखने में विशेष योगदान दिया और सभी नागरिकों को...
संविधान-निर्माण में डॉ. आंबेडकर की भूमिका
भारतीय संविधान के आलोचक, ख़ास तौर से आरएसएस के बुद्धिजीवी डॉ. आंबेडकर को संविधान का लेखक नहीं मानते। इसके दो कारण हो सकते हैं।...
दलित स्त्री विमर्श पर दस्तक देती प्रियंका सोनकर की किताब 
विमर्श और संघर्ष दो अलग-अलग चीजें हैं। पहले कौन, विमर्श या संघर्ष? यह पहले अंडा या मुर्गी वाला जटिल प्रश्न नहीं है। किसी भी...
पढ़ें, शहादत के पहले जगदेव प्रसाद ने अपने पत्रों में जो लिखा
जगदेव प्रसाद की नजर में दलित पैंथर की वैचारिक समझ में आंबेडकर और मार्क्स दोनों थे। यह भी नया प्रयोग था। दलित पैंथर ने...