h n

‘हिंदू धर्म की पहेलियां’ का विमोचन, जुटेंगे दलित-बहुजन बुद्धिजीवी

आगामी 27 और 28 फरवरी को तीन कार्यक्रमों में फारवर्ड प्रेस द्वारा हाल ही में प्रकाशित इस किताब का विमोचन किया जाएगा। दो कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रविदास महासभा और सावित्रीबाई फुले जन साहित्य केंद्र के तत्वावधान में होंगे। जबकि वेबिनार का आयोजन फारवर्ड प्रेस द्वारा होगा

फारवर्ड प्रेस द्वारा हाल ही में “हिंदू धर्म की पहेलियां : बहुजनो! ब्राह्मणवाद का सच जानो” प्रकाशित किया गया है। डॉ. आंबेडकर द्वारा लिखित पहेलियों के संग्रह के संकलक, संपादक और संदर्भ टिप्पणीकार डॉ. सिद्धार्थ हैं तथा इसमें प्रो. कांचा इलैया द्वारा लिखित ‘रिडल ऑफ आंबेडकर’ शीर्षक आलेख का हिंदी अनुवाद भूमिका के रूप में संकलित है। इस किताब का ऑनलाइन विमोचन का आगामी 28 फरवरी, 2021 को सायं 6-8 बजे एक परिचर्चा के दौरान किया जाएगा। फारवर्ड प्रेस द्वारा आयोजित इस परिचर्चा का विषय “हिंदी प्रदेशों में हिंदू धर्म की पहेलियां का महत्व” निर्धारित है। इसकी अध्यक्षता प्रो. इलैया करेंगे। इस कार्यक्रम को फारवर्ड प्रेस के फेसबुक पेज पर देखा जा सकेगा।

बताते चलें कि डॉ. आंबेडकर की 24 पहेलियों में से 11 पहेलियों का नए सिरे से अनुवाद अमरीश हरदेनिया ने किया है। इस किताब को यहां क्लिक कर अमेजन के जरिए खरीदा जा सकता है। 

गोरखपुर में दो कार्यक्रमों के दौरान विमोचन

इसके अलावा संत रविदास जयंती के मौके पर गोरखपुर में दो जगहों पर फारवर्ड प्रेस की किताब का विमोचन होगा। गोरखपुर के सामाजिक कार्यकर्ता अमित कुमार ने बताया कि वर्ष 1946 से रविदास महासभा के तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस बार यह 75वां अवसर होगा जब संत रविदास की 644वीं जयंती मनाई जाएगी। इस मौके पर 27 फरवरी को शाम में बौद्धिक विमर्श के कार्यक्रम के दौरान ही ‘हिंदू धर्म की पहेलियां’ का विमोचन किया जाएगा। इसमें रविदास महासभा के पदाधिकारियों यथा भोला प्रसाद, महेंद्र कुमार, हरिशरण गौतम, शिवचंद राम, डॉ. अलख निरंजन व एन. के. गौतम शामिल रहेंगे।

सावित्रीबाई फुले जन साहित्य केंद्र, गोरखपुर द्वारा जारी बैनर

अमित कुमार ने यह भी बताया कि इस बार सावित्रीबाई फुले जन साहित्य केंद्र के तत्वावधान में आयोजित बौद्धिक कार्यक्रम में भी फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित किताब ‘हिंदू धर्म की पहेलियां’ का विमोचन किया जाएगा। यह कार्यक्रम इतिहास विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर में आयोजित होगा। इसमें पूर्व शिक्षा अधिकारी शिवचंद राम, उत्तर प्रदेश सरकार में वरिष्ठ अधिकारी राकेश भारती, डॉ. अलख निरंजन और प्रो. चंद्रभूषण ‘अंकुर’ शामिल रहेंगे।

फारवर्ड प्रेस के ऑनलाइन कार्यक्रम में जुटेंगे दिग्गज

वहीं फारवर्ड प्रेस द्वारा आयोजित वेबिनार की अध्यक्षता प्रो. कांचा इलैया शेपर्ड करेंगे। उनके अलावा इस कार्यक्रम में  समालोचक व लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ के हिंदी विभाग व आधुनिक भारतीय भाषाओं विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. कालीचरण स्नेही, आंबेडकर विचार और सामाजिक कार्य विभाग, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार में इतिहास विषय के विभागाध्यक्ष प्रो. बिलक्षण रविदास, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के इतिहास विषय के प्रो. चंद्रभूषण गुप्त, राजनीतिक वैज्ञानिक डॉ. अलख निरंजन, आंबेडकरवादी व शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश के पूर्व अधिकारी शिवचंद राम और सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) से संबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता रिंकू यादव, भी संबोधित करेंगे। 

(संपादन : नवल)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें 

मिस कैथरीन मेयो की बहुचर्चित कृति : मदर इंडिया

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

एफपी डेस्‍क

संबंधित आलेख

सामाजिक आंदोलन में भाव, निभाव, एवं भावनाओं का संयोजन थे कांशीराम
जब तक आपको यह एहसास नहीं होगा कि आप संरचना में किस हाशिये से आते हैं, आप उस व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ नहीं उठा...
दलित कविता में प्रतिक्रांति का स्वर
उत्तर भारत में दलित कविता के क्षेत्र में शून्यता की स्थिति तब भी नहीं थी, जब डॉ. आंबेडकर का आंदोलन चल रहा था। उस...
पुनर्पाठ : सिंधु घाटी बोल उठी
डॉ. सोहनपाल सुमनाक्षर का यह काव्य संकलन 1990 में प्रकाशित हुआ। इसकी विचारोत्तेजक भूमिका डॉ. धर्मवीर ने लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि...
यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
कबीर पर एक महत्वपूर्ण पुस्तक 
कबीर पूर्वी उत्तर प्रदेश के संत कबीरनगर के जनजीवन में रच-बस गए हैं। अकसर सुबह-सुबह गांव कहीं दूर से आती हुई कबीरा की आवाज़...