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नहीं थम रहा सीवर की सफाई के दौरान होने वाली मौतों का सिलसिला

दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में अलग-अलग घटनाओं में सेप्टिक टैंक व सीवर लाइन की सफाई के दौरान कर्मियों के मौत की खबर है। केंद्र सरकार ने भी यह माना है कि बीते दस साल में सैंकड़ों की तादाद में कर्मियों की मौत हुई है। लेकिन लाख टके का सवाल यही है कि सरकारें कबतक संवेदनहीन बनी रहेंगी? सैयद जैगम मुर्तजा की खबर

सीवर लाईन और सेप्टिक टैंक की हाथ से सफाई पर रोक के तमाम दावों के बीच लगातार दुर्घटनाएं घट रही हैं लेकिन न तो विपक्ष के द्वारा कोई सवाल उठाया जा रहा है और ना ही सरकारें इसपर कोई ठोस क़दम उठा रही हैं। दिल्ली के एक बैंक्वेट हॉल में सीवर की सफाई के दौरान हुई दो लोगों की मौत का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि यूपी को अयोध्या में सीवर लाइन में सफाई करने उतरे एक कर्मी की गैस रिसाव की वजह से मौत हो गई। इस घटना में सफाई कर्मी को बचाने के चक्कर में दो अन्य कर्मी बेहोश हो गए।

हाल ही में पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज इंडस्ट्रीयल थाना इलाक़े के पर्ल ग्रैंड बैंक्वेट हॉल में सीवर की सफाई के दौरान दो लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। मरने वालों की पहचान 35 वर्षीय लोकेश और 40 साल के प्रेमचंद के रूप में हुई है। यह दोनों ही दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाक़े में ब्लॉक संख्या 8 के रहने वाले थे। लोकेश और प्रेमचंद के परिवार वालों का आरोप है कि बीते गुरुवार की रात दोनों को सफाई के लिए सीवर में जबरन उतारा गया था।

घटना की जानकारी मिलते ही दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) औऱ फायर ब्रिगेड की टीम के अलावा पुलिस मौक़े पर पहुंची। दोनों को सीवर से निकालकर लालबहादुर शास्त्री अस्पताल भेजा गया। लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही दोनों दम तोड़ चुके थे। इसके तुरंत बाद बैंक्वेट हॉल के मैनेजर और एक अन्य कर्मचारी को हिरासत में लिया गया। इस मामले में पुलिस उपायुक्त (दिल्ली पूर्वी) दीपक याजव का कहना है कि दोनों कर्मचारियों को सीवर की सफाई के लिए तीन हज़ार रुपए मेहनताना देने की बात तय हुई थी। दोनों कर्मी बिना किसी सुरक्षा उपकरण या उपाय के ही सीवर में उतर गए।

सीवर में उतरकर काम करते सफाईकर्मी

लोकेश के परिजनों ने बताया कि दोनों सफाई कर्मियों को शाम होने के बावजूद जबरन सीवर में उतार दिया गया। इस मामले में पुलिस जांच कर रही है। पुलिस उपायुक्त (दिल्ली पूर्वी) का कहना है कि बैंक्वेट मालिक के जानकारी लेने के अलावा मृतकों के परिजनों के आरोपों की भी जांच की जाएगी।

वहीं बीते 20 मार्च, 2021 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भी ऐसा ही एक हादसा हुआ। शहर के नया घाट मोहल्ले में सीवर लाइन में सफाई करने उतरे कर्मी की गैस रिसाव के कारण मौत हो गई। चश्मदीदों के मुताबिक़ प्रयागराज ज़िले का रहने वाला मनोज सिंह बिना किट और बेल्ट के सीवर लाइन की सफाई के लिए उतर गया। मनोज का दम घुटा तो उसे बचाने के लिए दो अन्य कर्मी सीवर में उतरे लेकिन बेहोश हो गए। बेहोश कर्मियों को स्थानीय श्रीराम अस्पताल में भर्ती कराया गया।

बीते 20 मार्च, 2021 को ही हरियाणा के नारनौल में 40 वर्षीय दीपक की सेप्टिक टैंक में ज़हरीली गैस से दम घुटने के बाद मौत हो गई थी। यह इस तरह के अकेले मामले नहीं हैं। देश भर में पिछले दस साल के दौरान क़रीब 625 लोग इस तरह की दुर्घटनाओँ में अपनी जान गंवा चुके है। दो फरवरी को एक लिखित प्रश्न के जवाब में सरकार ने लोक सभा में बताया था कि बीते पांच साल में देश भर में 340 सफाईकर्मी सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करने के दौरान मारे गए।

इसके मद्देनज़र नवंबर, 2020 में केंद्र सरकार ने दावा किया था कि सामाजिक न्याय मंत्रालय मशीन से सीवर की सफाई को अनिवार्य बनाने जा रहा है। इसके अलावा कहा गया था कि शहरी मामलों के मंत्रालय ने सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंजशुरू किया है ताकि किसी भी व्यक्ति को सीवर या सेप्टिक टैंक में प्रवेश ना करना पड़े। साथ ही सरकार ने कहा था कि सीवर एवं सेप्टिक टैंक की सफाई मशीन से करने के लिए वह मौजूदा कानून में संशोधन करेगी।

बीते 23 मार्च, 2021 को ही समाजवादी पार्टी सांसद जया बच्चन ने राज्यसभा में इस मामले को उठाया था। तब जया बच्चन ने कहा था, “कई बार सफाईकर्मियों की मौत पर बात हुई। यह हमारे लिए शर्म की बात है कि हम उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं दे पाए और आज भी उनकी मौत पर बात कर रहे हैं।”

वहीं राष्ट्रीय सफाईकर्मी आयाेग के उपाध्यक्ष बबन रावत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि आयोग सफाईकर्मियों की मौत को लेकर चिंतित है और एक विशेष कार्य योजना के द्वारा इसके संबंध में कार्रवाई करने हेतु अपनी सरकार से अनुशंसा भी करेगी। उन्होंने कहा कि अब भी कई सारे मामले आए हैं जिनमें मृतकों के परिजनों को समुचित मुआवाजा नहीं मिल पाया है। अधिकांश मामलों में मृतक सरकारी कर्मी नहीं होते हैं। वे ठेकेदार के आदमी होते हैं और इस कारण उन्हें मुआवजा नहीं मिला पाता है। रावत ने आगे कहा कि मामला केवल मुआवजा का ही नहीं है। आज जब विदेशों में सफाई के लिए अत्याधुनिक यंत्रों का उपयोग किया जा रहा है, फिर भारत में ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है, इस संबंध में भी आयोग जांच कर रही है। 

(संपादन : नवल)


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सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा

उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले में जन्मे सैयद ज़ैग़़म मुर्तज़ा ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन और मॉस कम्यूनिकेशन में परास्नातक किया है। वे फिल्हाल दिल्ली में बतौर स्वतंत्र पत्रकार कार्य कर रहे हैं। उनके लेख विभिन्न समाचार पत्र, पत्रिका और न्यूज़ पोर्टलों पर प्रकाशित होते रहे हैं।

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