h n

हिंदी पत्रकारिता : जारी है बुद्ध की ब्राह्मणवादी व्याख्या

हिंदी समाचार पत्रों में बुद्ध की प्रस्तुति हिंदू और विष्णु के नौवे अवतार के बिना संभव ही नहीं दिखती है। अवतार हिंदुत्व का एक ऐसा टूल है जिसे उदारता के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जबकि वह वर्चस्व को बनाए रखने का टूल है। बता रहे हैं अनिल चमड़िया

यह अध्ययन का विषय हैं कि हिंदी में समाचार का कारोबार करने वाली कंपनियों ने बुद्ध पूर्णिमा को किस तरह से अपने अपने ग्राहकों के बीच प्रस्तुत किया है। नमूने के तौर पर हिंदी समाचार पत्रों और वेबसाइट में बीते 26 मई, 2021 को बुद्ध जयंती के मौके पर प्रकाशित सामग्री प्रस्तुत की जा रही है। 

दैनिक जागरण के वेबसाइट पर निम्न सामग्री मिलती है, जिसे कार्तिकेय तिवारी ने लिखा है– 

बुद्ध जयंती आज 26 मई दिन बुधवार को मनाई जाएगी, जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। बुद्ध पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और कठिन साधना के बाद बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। यह त्योहार हिंदू और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बहुत खास है। ऐसी मान्यता है कि बुद्ध भगवान श्री हरि विष्णु के 9वें अवतार थे।

बुद्ध धर्म के संस्थापक स्वयं महात्मा बुद्ध हैं। उन्होंने वर्षों तक कठोर तपस्या और साधना की, जिसके बाद उन्हें बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई, उनको बुद्धत्व की प्राप्ति हुई। फिर उन्होंने अपने ज्ञान से इसे पूरे संसार को आलोकित किया। अंत में कुशीनगर में वैशाख पूर्णिमा को उनका निधन हो गया।

क्यों मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा?

अपने जीवन में बुद्ध भगवान ने जब हिंसा, पाप और मृत्यु के बारे में जाना, तब ही उन्होंने मोह-माया का त्याग कर दिया और अपना परिवार छोड़कर सभी जिम्मेदारियों से मुक्ति ले ली और सत्य की खोज में निकल पड़े। जिसके बाद उन्हें सत्य का ज्ञान हुआ। वैशाख पूर्णिमा की तिथि का भगवान बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं से विशेष संबंध है, इसलिए बौद्ध धर्म में प्रत्येक वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।

तथ्यात्मक स्तर पर इस खबर की पड़ताल करें।

पहले पैरा में लिखा है– बुद्ध पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और कठिन साधना के बाद बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी।

दूसरे पैरा में लिखा है– अंत में कुशीनगर में वैशाख पूर्णिमा को उनका निधन हो गया।

तीसरे पैरा में लिखा है– वैशाख पूर्णिमा की तिथि का भगवान बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं से विशेष संबंध है, इसलिए बौद्ध धर्म में प्रत्येक वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।

यह एक तथ्य को प्रस्तुत करने के विवरण हैं। दूसरा खबर में महात्मा बुद्ध के बारे में बताते हुए इस बात पर जोर हैं कि यह त्योहार हिंदू और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बहुत खास है। ऐसी मान्यता है कि बुद्ध भगवान श्री हरि विष्णु के 9वें अवतार थे।

इस सामग्री की पूरा विश्लेषण यहां पाठक स्वयं करें तो बेहतर है क्योंकि यह सामग्री बुद्ध का नाम लेकर जरूर लिखी गई है, लेकिन बुद्ध के विचारों को कुचलने के प्रयास से भरी पड़ी है। दरअसल समाचार पत्रों में विज्ञापन के अलावा जो सामग्री प्रस्तुत की जाती है उसे समाचार के नाम से पुकारा जाता है। लेकिन वास्तव में वह समाज पर वर्चस्व रखने वाली शक्तियों की विज्ञापन सामग्री ही होती है और उसके लिए वह उनसे भुगतान वसूल लेती है।

हिंदी समाचार पत्र हिन्दुस्तान द्वारा वेबपोर्टल पर जारी एक खबर का स्क्रीनशॉट

बहरहाल इस खबर के साथ और भी तथ्यात्मक विसंगतियां देखने को मिलती है। दैनिक जागरण एक ही प्रस्तुतकर्ता, कार्तिकेय तिवारी की एक सामग्री को अपने संस्करणों के हिसाब से प्रस्तुत करता है, ऐसा प्रतीत होता है। इसी सामग्री को इस तरह से भी प्रस्तुत किय़ा गया है।

 “आज 26 मई 2021 को बुद्ध जयंती है। हर साल वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं। यह दिन बौद्ध धर्म के लोगों के साथ, सनातन धर्म को मानने वालों के लिए भी खास है। ऐसी मान्यता है कि भगवान बुद्ध श्री हरि विष्णु के 9वें अवतार थे। बुद्ध जयंती के दिन ही उनका निर्वाण दिवस भी मनाया जाता है।

बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बुद्ध पूर्णिमा का दिन बहुत खास होता है। बौद्ध अनुयायियों के लिए यह सबसे बड़ा पर्व होता है। इस दिन कई तरह के समारोह आयोजित किए जाते हैं। बौद्ध धर्म को मानने वाले कई देशों में वहां के रीति-रिवाज और संस्कृति के अनुरूप समारोह आयोजित किए जाते हैं। आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर जागरण अध्यात्म में आप भगवान बुद्ध के कुछ प्रमुख उपदेशों के बारे में जानेंगे। जिनका अनुसरण करके आप अपने जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव कर सकते हैं।”

दैनिक हिंदुस्तान का रवैया 

महात्मा बुद्ध की हिंदुत्व्वादी खबर किसी एक दैनिक समाचार पत्र या वेबसाइट पर ही नहीं है बल्कि हिन्दुत्तववादी प्रस्तुति के सिद्धांत पर लगभग कंपनियां एक ही तरह से बुद्ध जयंती का इस्तेमाल करती है। कई बार तो लगता है कि एक जगह पर कोई सामग्री तैयार हो रही है और उसे अलग अलग ब्रांड की मुहर लगाकर उसे प्रस्तुत किया जा रहा है। दैनिक हिन्दुस्तान में बुद्ध पूर्णिमा के नाम पर प्रस्तुत की गई सामग्री पर गौर करें। एक प्रचार इनमें जरुर देखने को मिलता है कि महात्‍मा बुद्ध श्री हरि विष्‍णु का नौवां अवतार हैं। 

हिन्दुस्तान की सामग्री निम्न हैं, जिसे सैम्या तिवारी ने प्रस्तुत किया है–  

बुद्ध पूर्णिमा आज, जानिए दान व स्नान का शुभ समय और कैसी रहेगी ग्रहों-नक्षत्रों की स्थिति

 बुद्ध पूर्णिमा 26 मई को है। शास्त्रों के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा के दिन नदियों और पवित्र सरोवरों में स्नान के बाद दान-पुण्य करना पुण्यकारी होता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया दान बहुत लाभकारी होता है। कहा जाता है कि वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्‍म हुआ था और महात्‍मा बुद्ध श्री हरि विष्‍णु का नौवां अवतार हैं। बुद्ध पूर्णिमा को हिंदुओं के अलावा बौद्ध धर्म के लोग बौद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं। 

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व-

वैशाख पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद स्नान आदि करने के बाद श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है। कहते हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं। माना जाता है कि धर्मराज मृत्यु के देवता हैं इसलिए उनके प्रसन्न होने से अकाल मौत का डर कम हो जाता है। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन तिल और चीनी का दान शुभ होता है। कहा जाता है कि चीनी और तिल दान करने से अनजाने में हुए पापों से भी मुक्ति मिलती है।

पूर्णिमा तिथि 25 मई 2021, दिन मंगलवार को रात 08 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी, जो कि 26 मई दिन बुधवार को शाम 04 बजकर 43 मिनट तक रहेगी।” 

अमर उजाला का ढंग

दैनिक जागरण और दैनिक हिन्दुस्तान के अलावा अमर उजाला को भी उत्तर भारत के राज्यों के सबसे बड़े समाचार पत्रों के रूप में देखा जाता है। ‘अमर उजाला’ में विनोद शुक्ला ने सामग्री प्रस्तुत की है। 

वे लिखते है

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर जानें भगवान गौतम बुद्ध के अनमोल विचार और जीवन को बनाएं सफल 

आज देश दुनिया में बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार बैशाख माह की पूर्णिमा तिथि पर बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। भगवान बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है। बुद्ध पूर्णिमा न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। श्रीलंका, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। श्रीलंका में इस दिन को ‘वेसाक’ के नाम से जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आइए जानते हैं भगवान बुद्ध के द्वारा दिए गए कुछ उपदेशों के बारे में…”

 हिंदी में वेबसाइट का व्यवसाय भी तेजी के साथ बढ़ा है। इनमें न्यूज 18 की पहुंच अच्छी खासी मानी जाती है। उस वेबसाइट पर बुद्ध जयंती को निम्न तरीके से प्रस्तुत किया गया है। 

 “आज 26 मई, बुधवार को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है. बौद्ध धर्मावलंबियों और हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें बोधिवृक्ष के नीचे कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसी वजह से बुद्ध पूर्णिमा को आस्था की नजर से बेहद महत्वपूर्ण तिथि माना गया है. यह पर्व न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में बौद्ध धर्मावलंबियों के बीच बड़ी श्रद्धा और आस्था पूर्वक मनाया जाता है. बुद्ध पूर्णिमा हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन ही पड़ती है. बुद्ध पूर्णिमा हर साल तो धूमधाम से मनाई जाती रही है लेकिन इस साल कोरोना की दूसरी लहर की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण बुद्ध पूर्णिमा लोग अपने घरों में भगवान बुद्ध का स्मरण कर और उनकी पूजा कर मनाएंगे.” 

बहरहाल, बुद्ध जयंती के नाम पर हिंदी में ऐसी ही सामग्री से बाजार में अपना वर्चस्व रखने वाले समाचार पत्र व वेबसाईट देखने को मिलती है। हिंदी के समाचार पत्र हिंदुत्व् की तरफ झुकाव ही नहीं रखते हैं बल्कि हिंदुत्व् के पैरवीकार भी है। हालांकि कई अध्ययनों के आधार पर तथ्यात्मक स्तर पर दावा किया जाता रहा है कि हिंदी पत्रकारिता की एक धारा वह है, जिसे भारतीय भाषाओं के साथ रिश्तों को प्रगाढ़ करते हुए धर्म निरपेक्षता को मजबूत करने की धारा के रुप में देखा जाता है। उदाहरण के रूप में गणेश शंकर विधार्थी को इस धारा की नेतृत्वकारी पहचान मानी जा सकती है। दूसरी वह धारा है जो कि हिंदी, हिंदू, और हिन्दुस्थान की धारा रही है। यह हिंदी को विशुद्ध बनाने और उसे भारतीय समाज में हिंदू के वर्चस्व कायम रखने के औजार के रुप में देखती है। इस धारा में हिंदू उसे माना जाता है जो कि एक समय में भारतीय समाज में अपना वर्चस्व बनाने में कामयाब हुआ और वह उस वर्चस्व के खिलाफ विकसित होने वाली चेतना को अपने भीतर निगल लेने की क्षमता से भरा हुआ है। 

बुद्ध की प्रस्तुति हिंदू और विष्णु के नौवे अवतार के बिना हिंदी में संभव ही नहीं दिखती है। अवतार हिंदुत्व का एक ऐसा टूल है जिसे उदारता के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जबकि वह वर्चस्व को बनाए रखने का टूल हैं। 

हिंदी के समाचार पत्र वास्तव में हिंदुत्व के विज्ञापन के मंच हैं। यदि भारतीय संविधान और हिंदुत्व के विधि विधानों को ध्यान में रखकर हिंदी समाचार मंचों का अध्ययन करें तो उसकी सामग्री और भाषा संविधान के करीब नहीं दिखती है जबकि वे भारतीय समाज में अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार संविधान से हासिल करते हैं।       

( यह अध्ययन गूगल सर्च इंजिन से “बुद्ध पूर्णिमा” की-वर्ड से प्राप्त सामग्रियों पर आधारित है)

(संपादन : नवल/अनिल)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें 

मिस कैथरीन मेयो की बहुचर्चित कृति : मदर इंडिया

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

अनिल चमड़िया

वरिष्‍ठ हिंदी पत्रकार अनिल चमडिया मीडिया के क्षेत्र में शोधरत हैं। संप्रति वे 'मास मीडिया' और 'जन मीडिया' नामक अंग्रेजी और हिंदी पत्रिकाओं के संपादक हैं

संबंधित आलेख

विज्ञान की किताब बांचने और वैज्ञानिक चेतना में फर्क
समाज का बड़ा हिस्सा विज्ञान का इस्तेमाल कर सुविधाएं महसूस करता है, लेकिन वह वैज्ञानिक चेतना से मुक्त रहना चाहता है। वैज्ञानिक चेतना का...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
जब गोरखपुर में हमने स्थापित किया प्रेमचंद साहित्य संस्थान
छात्र जीवन में जब मैं गोरखपुर विश्वविद्यालय में अध्ययनरत था तथा एक प्रगतिशील छात्र संगठन से जुड़ा था, तब मैंने तथा मेरे अनेक साथियों...
चुनावी राजनीति में पैसे से अधिक विचारधारा आवश्यक
चुनाव जीतने के लिए विचारों का महत्व अधिक है। विचारों से आंदोलन होता है और आंदोलन से राजनीतिक दशा और दिशा बदलती है। इसलिए...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द की 18 पिछड़ी जातियों को एससी में शामिल करने की अधिसूचना
उच्च न्यायालय के ताज़ा फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में नया राजनीतिक घमासान शुरु होने का आशंका जताई जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार...