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मार्क जर्गंसमेयर, जिनके जमीनी शोध ने तैयार की पंजाब में दलित चेतना और क्रांतिकारी प्रतिरोध की उर्वर जमीन

‘रिलीजियस रेबेल्स इन द पंजाब’ ने दलित कार्यकर्ताओं और दलित अध्येताओं में आद धर्म आंदोलन और उसके प्रणेता बाबू मंगूराम के बारे में जानने के लिए प्रेरित किया, बता रहे हैं रौनकी राम

पूर्वी पंजाब के दोआब इलाके – जो आद धर्मियों और मज़हबी सिक्खों का गढ़ हैं – के समाजविज्ञानी, अध्येता, विद्यार्थी और दलित कार्यकर्ता, प्रोफेसर मार्क जर्गंसमेयर के नाम से भलीभांति परिचित हैं। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान इस इलाके से कई क्रांतिकारी सामाजिक और राजनैतिक आंदोलन उभरे। उनमें प्रमुख थे ग़दर, बब्बर अकाली और आद धर्म। आद धर्म आंदोलन के उदय, संगठन, विचारधारा और कार्यप्रणाली पर अपने शोध के लिए मार्क ने इस इलाके में लंबे समय तक जमीनी कार्य किया और इसी दौरान वे वहां के लोगों के संपर्क में आये। आज से पचास साल पहले उन्होंने सतलुज और रावी नदी के बीच के इलाके को अपने डॉक्टोरल शोध का कार्यक्षेत्र बनाया। सन् 1960 के दशक में उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के राजनीति विज्ञान विभाग में डेरा डाला और वहीं से वे दोआब के विभिन्न इलाकों में जाकर आद धर्म आंदोलन के नेताओं, कार्यकर्ताओं और हमदर्दों का साक्षात्कार लेते रहे। इनमें सबसे प्रमुख थे इस आंदोलन के संस्थापक गदरी बाबा बाबू मंगू राम मुगोवालिया।

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लेखक के बारे में

रौनकी राम

रौनकी राम पंजाब विश्वविद्यालय,चंडीगढ़ में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर हैं। उनके द्वारा रचित और संपादित पुस्तकों में ‘दलित पहचान, मुक्ति, अतेय शक्तिकरण’, (दलित आइडेंटिटी, इमॅनिशिपेशन एंड ऍमपॉवरमेंट, पटियाला, पंजाब विश्वविद्यालय पब्लिकेशन ब्यूरो, 2012), ‘दलित चेतना : सरोत ते साररूप’ (दलित कॉन्सशनेस : सोर्सेए एंड फॉर्म; चंडीगढ़, लोकगीत प्रकाशन, 2010) और ‘ग्लोबलाइजेशन एंड द पॉलिटिक्स ऑफ आइडेंटिटी इन इंडिया’, दिल्ली, पियर्सन लॉंगमैन, 2008, (भूपिंदर बरार और आशुतोष कुमार के साथ सह संपादन) शामिल हैं।

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