उत्तर प्रदेश का रामपुर अपनी भव्य और ऐतिहासिक रज़ा लाइब्रेरी के लिए जाना जाता है परन्तु इस छोटे-से शहर की हमारी यात्रा (जिसमें फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक नवल किशोर कुमार भी शामिल रहे) में हमने अपना अधिकांश समय कंवल भारती की छोटी-सी लाइब्रेरी में बिताया। यह लाइब्रेरी उनका अध्ययन कक्ष भी है और यहीं वे मिलते हैं अपने मेहमानों से, जिनमें से अधिकांश उनकी तरह लेखक होते हैं। लाइब्रेरी में चारों ओर पुस्तकों और फाइलों के ढेर हैं और वहीं हैं उनके उन शोधों के नतीजे, जो कई पुस्तकें का आधार बन सकते हैं। यही वह जगह है, जहां से उनका विपुल लेखन उपजता है और जहाँ समाज, राजनीति, संस्कृति और लेखन की दुनिया पर उनकी तीखी टिप्पणियां जन्म लेतीं हैं।
लेखक के बारे में
सिद्धार्थ/अनिल
डॉ. सिद्धार्थ लेखक, पत्रकार और अनुवादक हैं। “सामाजिक क्रांति की योद्धा सावित्रीबाई फुले : जीवन के विविध आयाम” एवं “बहुजन नवजागरण और प्रतिरोध के विविध स्वर : बहुजन नायक और नायिकाएं” इनकी प्रकाशित पुस्तकें है। इन्होंने बद्रीनारायण की किताब “कांशीराम : लीडर ऑफ दलित्स” का हिंदी अनुवाद 'बहुजन नायक कांशीराम' नाम से किया है, जो राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित है। साथ ही इन्होंने डॉ. आंबेडकर की किताब “जाति का विनाश” (अनुवादक : राजकिशोर) का एनोटेटेड संस्करण तैयार किया है, जो फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित है। अनिल वर्गीज फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक हैं।