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‘दैनिक भास्कर’ व ‘भारत समाचार’ के खिलाफ छापेमारी : सच के खिलाफ डर पैदा करने की सरकारी कोशिश

भाषा एक राजनीतिक औजार हैं। भारतीय समाज में सत्ता संचालित करने वालों को इससे फर्क पड़ता है कि वह जिन लोगों के बीच अपनी पैठ बनाएं हुए हैं उनके बीच समझी जाने वाली भाषा में कौन क्या संबोधित कर रहा है। बता रहे हैं अनिल चमड़िया

मीडिया विमार्श

दैनिक भास्कर समूह पत्रकारिता के बाजार में कारोबार करने वाला बड़ा ब्रांड है। नई आर्थिक व्यवस्था के लिए नीतियां लागू होने के बाद बहुत ही तेज गति से इसका पूरे देश में विस्तार हुआ हैं। हिंदी के अलावा अंग्रेजी और दूसरी भारतीय भाषाओं में भी इस समूह ने अपना कारोबार फैलाया है। इस संस्थान के देश भर में फैले कई ठिकानों पर भारत सरकार के टैक्स तंत्र ने 22 जुलाई 2021 को छापेमारी की। एबीपी चैनल ने अपने दर्शकों को बताया कि तंत्र ने यह दावा किया है कि वह वित्तीय अनियमितता के आरोप में छापेमारी की कार्रवाई कर रहा है। जबकि दैनिक भास्कर ने सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों के द्वारा यह जानकारी दी है कि दैनिक भास्कर और उसके मालिक बंधुओं के ठिकानों पर सत्ता तंत्र ने पत्रकारिता को धमकाने के इरादे से यह कार्रवाई की है।

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लेखक के बारे में

अनिल चमड़िया

वरिष्‍ठ हिंदी पत्रकार अनिल चमडिया मीडिया के क्षेत्र में शोधरत हैं। संप्रति वे 'मास मीडिया' और 'जन मीडिया' नामक अंग्रेजी और हिंदी पत्रिकाओं के संपादक हैं

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