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भंवर मेघवंशी ने पीएम को लिखा खुला पत्र, जतायी मॉबलिंचिंग की आशंका

बहुजन साप्ताहिकी के तहत इस बार पढ़ें प्रसिद्ध दलित लेखक भंवर मेघवंशी को दी जा रही धमकियों के मद्देनजर उनके द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे खुला पत्र के बारे में। साथ ही छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले की एक खबर, जिसमें आदिवासी शिक्षक को केवल इस कारण निलंबित कर दिया गया है कि उसने अपने छात्रों को कृष्ण के नाम पर उपवास नहीं करने की नसीहत दी

बहुजन साप्ताहिकी

प्रसिद्ध दलित लेखक भंवर मेघवंशी की पहचान एक प्रखर वक्ता, विचारक व स्पष्टवादी टिप्पणीकार के रूप में रही है। हाल ही में वे चर्चा में तब आए जब उनका नाम आगामी 10-12 सितंबर को होने वाले ऑनलाइन सेमिनार “डिस्मैंट्लिंग ग्लोबल हिंदुत्व” में एक वक्ता के रूप में सामने आया। उनके खिलाफ सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनलों तक में बवाल काटा गया। उन्हें दूरभाष, ईमेल व सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों के इनबॉक्स के जरिए धमकी तक दी गयी। इस संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखकर उन्मादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि उन्होंने अपनी किशोरावस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ गुजारी। वे अपने गांव की शाखा के मुख्य शिक्षक रहे और बाद में जिला कार्यालय प्रमुख भी बने। उन्होंने इसका उल्लेख भी किया है कि उन्होंने वर्ष 1990 में आयोजित पहली कारसेवा में हिस्सा लिया था और गिरफ़्तारी दी थी। साथ ही उन्होंने उद्धृत किया है कि वे पूर्णकालिक प्रचारक बनना चाहते थे, लेकिन उनकी जाति उसमें आड़े आ गई और उन्हें यह भी कहा गया कि “संघ को प्रचारक चाहिए, विचारक नहीं।” 

मेघवंशी ने “डिस्मैंट्लिंग हिंदुत्व ग्लोबल” ऑनलाइन सेमिनार के बारे में बताया है कि इसके विरुद्ध संघ के लोगों के द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इस संबंध में उनका कहना है कि हिंदुत्व के पैरोकार उन्हें बोलने से रोकना चाहते हैं। उन्होंने मॉब लिंचिंग का अंदेशा जताया है और लिखा कि सेमिनर के संबंध में ग़लत जानकारियां फैला कर ऐसा माहौल बनाया जा रहा है, जिससे इस सेमिनार के सभी वक्ताओं के प्रति लोगों में आक्रोश फ़ैल रहा है। माहौल इतना हिंसक किया जा चुका है कि कभी भी किसी भी वक्ता की मॉबलिंचिंग हो सकती है।

भंवर मेघवंशी, दलित लेखक व पत्रकार

प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र में मेघवंशी ने उन धमकी भरे ईमेल आदि का उल्लेख किया है, जिसमें उन्हें सेमिनर से दूर रहने की बात कही गयी है। इसे उन्होंने अपने अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन बताते हुए लिखा है कि उन्हें बोलने से रोकने की हर कोशिश उनके अभिव्यक्ति के संविधान प्रदत्त अधिकार को छीनने की कोशिश है और नागरिकों को विभिन्न माध्यमों से मेरे खिलाफ भड़का कर उनके जीवन की सुरक्षा ख़तरे में डालने का कुत्सित प्रयास है।

छत्तीसगढ़ : कृष्ण के नाम पर छात्रों को उपवास करने से रोका तो आदिवासी शिक्षक को मिला निलंबन

छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के गिरोला विकासखंड के बुंदापारा गांव में एक सरकारी हाईस्कूल के आदिवासी शिक्षक चरण मरकाम को निलंबित कर दिया गया है। उनके उपर आरोप है कि उन्होंने छात्रों को कृष्ण के बारे में भ्रामक जानकारी दी और उन्हें कृष्ण जन्माष्टमी नहीं मनाने को कहा। उनके खिलाफ जो आरोप प्रशासन द्वारा लगाया गया है, उसके अनुसार ऐसा कर चरण मरकाम ने लोगों की भावनाओं को आहत किया है और यह छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 में निहित प्रावधानों के खिलाफ है। हालांकि इस संबंध में फारवर्ड प्रेस से बातचीत में चरण मरकाम ने कहा कि उन्होंने छात्रों को पढ़ने की नसीहत दी और उपवास नहीं करने की बात कही। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट के बयान से मची खलबली

बीते 1 सितंबर, 2021 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव ने गोकशी के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाय। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि गौमांस खाना मौलिक अधिकार में शामिल नहीं है। अपने फैसले में उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में मुसलमान शासकों ने भी गोकशी पर रोक लगायी थी। गाय भारतीय संस्कृति के केंद्र में है और इसे माता का दर्जा हासिल है। जस्टिस शेखर कुमार यादव के फैसले के प्रकाश में आने के बाद सोशल मीडिया पर उनकी कड़ी आलोचना व्यक्त की गयी। आलोचना करनेवालों में हिंदी भाषी प्रदेशों के लोग भी रहे।

उत्तर प्रदेश : आदिवासी पंचायत जनप्रतिनिधि ने मांगी गांव की सुरक्षा, मिली जेल

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) के थाना क्षेत्र बारा के गांव सेहुड़ा में आदिवासी समुदाय से आनेवाले ग्राम प्रधान रज्जन कोल के लिए बीते 23 अगस्त की रात शामत बनकर आयी। उन्होंने स्थानीय पुलिस से अपने गांव में संदिग्ध लोगों को घूमते देख पुलिस से कार्रवाई करने की मांग की। परंतु, इस मामले में पुलिस ने उन्हें ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार गांव में मवेशी चोरी की कई घटनाओं को देखते हुए रज्जन कोल ने संदिग्ध लोगों के बाबत सूचना मिलने में पुलिस को सहायता के लिए फोन किया। उनके द्वारा सूचना दिए जाने पर पुलिस की एक टीम वहां पहुंची और उसने रज्जन कोल से संदिग्ध युवकों को रात भर अपने यहां रखने को कहा। इस पर रज्जन कोल ने उन्हें कहा कि आप इन्हें ले जाएं। इस संबंध में उन्होंने एक बड़े अधिकारी से बात की। रज्जन कोल की पत्नी संतरा देवी के मुताबिक उस पुलिस अधिकारी ने उनके पति के साथ बदतमीजी से बात करते हुए गालियां दीं। बाद में जब पुलिस आयी तो उसने संदिग्ध लोगों के साथ उनके पति और उनके बेटे शुभम कौल को भी अपने साथ ले गयी। शुभम कौल को तो पुलिस ने अगले दिन थाने से छोड़ दिया लेकिन रज्जन कोल को पुलिस के साथ हाथापाई करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज कर न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। बाद में उन्हें अदालती आदेश पर जेल भेज दिया गया।

(संपादन : अनिल, इनपुट सहयोग : सुशील मानव)


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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