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तमिलनाडु की तर्ज पर महाराष्ट्र में नीट को खारिज करने की मांग, जीतनराम मांझी के बयान से भड़के ‘राम भक्त’

बहुजन साप्ताहिकी के तहत इस बार पढ़ें महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष नाना पटोले द्वारा उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र के बारे में, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र में नीट को खारिज करने की मांग की है। वहीं एक खबर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बयान व सुप्रसिद्ध बहुजन लेखक भंवर मेघवंशी को मिली ज़्यां ज़ॅक रूसो अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप के संबंध में

बहुजन साप्ताहिकी

देश के मेडिकल शिक्षण संस्थानाें में प्रवेश हेतु केंद्र सरकार के द्वारा ली जानेवाली नीट परीक्षा को लेकर देश में सवाल उठने लग हैं। पहले तमिलनाडु की स्टलिन सरकार ने विधेयक पारित राज्य में नीट को खारिज किया तो अब महाराष्ट्र में भी इसकी मांग महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष नाना पटोले ने की है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में पटोले ने कहा है कि नीट परीक्षा मध्य प्रदेश में हुए व्यापमं घोटाले के जैसा है। हर साल इस परीक्षा के दौरान पर्चे लीक होने की खबरें आती हैं। उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि राज्य के सभी मेडिकल संस्थानों में (चाहे वह राज्य सरकार के अधीन हों या केंद्र के) छात्रों को दाखिला राज्य परीक्षा बोर्ड के द्वारा ली गयी परीक्षा के आधार पर ही हो। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो आरक्षित वर्गों को आरक्षण देने में जटिलताएं नहीं रहेंगीं।

बिहार में सुर्खियों में जीतनराम मांझी 

इन दिनों बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के नेता जीतनराम मांझी सुर्खियों में हैं। दरअसल, उन्होंने राज्य में हिंदू धर्म के मिथकीय पात्र राम के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। दो दिनों पहले एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान मांझी ने कहा था कि वे राम को न तो महान मानते हैं और ना ही उन्हें ऐतिहासिक। उनके मुताबिक, राम केवल काल्पनिक पात्र हैं, जिनका उल्लेख एक साहित्यिक कृति रामायण में है। 

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष नाना पटोले व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की तस्वीर

जीतनराम मांझी के इस बयान के बाद सूबे में सत्तासीन भाजपा-जदयू-हम-वीआईपी की सरकार में शामिल नेताओं के कान खड़े हो गए। सबसे अधिक हमलावर भाजपा के नेतागण रहे। भाजपा विधायक हरिभूषन ठाकुर बचौल ने जीतनराम मांझी पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे उस भगवान राम का अस्तित्व नकार रहे हैं, जिनका अस्तित्व पूरे विश्व में है। बचौल ने कहा कि यदि राम का अस्तित्व नहीं था तो आज भी अयोध्या, जनकपुर और लंका का अस्तित्व क्यों है। उन्होंने जीतनराम मांझी को अपने नाम में शामिल राम के बदले राक्षस करने की सलाह दी। वहीं राज्य सरकार में भाजपा कोटे के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि वे कुशवाहा जाति से आते हैं और वे अपने आपको राम का वंशज मानते हैं।

इस बीच कल यानी 23 सितंबर, 2021 को जीतनराम मांझी ने एक बार फिर यह कहते हुए ‘राम भक्तों’ को चुनौती दी कि वे स्वयं को राक्षस कुल का मानते हैं। यह जाति और वर्ण व्यवस्था ब्राह्मणों की देन है, जो बाहरी देश से आए और यहां के मूलनिवासियों पर हमलाकर रहने लगे तथा अपना वर्चस्व स्थापित किया। उन्होंने दलित और पिछड़े वर्गों के लोगाें का आह्वान करते हुए कहा कि वे मंदिरों में न जाएं, उन्हें खारिज करें।

बहुजन लेखक भंवर मेघवंशी को ‘ज़्यां ज़ॅक रूसो’ फ़ेलोशिप 

जर्मनी के प्रतिष्ठित संस्थान अकादमी स्लॉश सॉलिट्यूड द्वारा दी जानेवाली ‘ज़्यां ज़ॅक रूसो’ फ़ेलोशिप इस वर्ष भारत के बहुजन लेखक, विचारक एवं सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी को दी जाएगी। इस आशय की घोषणा अकादमी के प्रवक्ता लारा जेफरसन द्वारा की गई है। मेघवंशी यह फेलोशिप पानेवाले दूसरे भारतीय होंगे। उनके पहले सुप्रसिद्ध भारतीय लेखक अमन दीप संधु को यह फेलोशिप दी गयी थी।

इस संबंध में भंवर मेघवंशी ने बताया कि उन्हें यह फेलोशिप भारत के साधारण लोगों के रोज़मर्रा के कामों पर आधारित किताब “आर्डिनरी लाइव्स, आर्डिनरी वर्क्स” लिखने के लिए दी जा रही है। 

भंवर मेघवंशी, बहुजन लेखक

उल्लेखनीय है कि सुप्रसिद्ध विचारक रूसो के नाम पर ‘ज़्यां ज़ॅक रूसो’ फेलोशिप 2011 में स्थापित की गई। वही रूसो, जिनके दर्शन व सिद्धांतों और सोशल कोंट्रेक्ट जैसी अवधारणाओं ने फ्रांसीसी क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया था। उनके नाम पर स्थापित फेलोशिप के तहत आपातकालीन स्थितियों में ज्ञानोदय की परंपरा को आगे बढ़ा रहे लेखकों की वित्तीय सहायता प्रदान करने की जाती है ताकि वे अपनी साहित्यिक गतिविधियों को आगे बढ़ाते रहें। इस फेलोशिप के लिए आवेदन नहीं किया जाता है, बल्कि इस फेलोशिप हेतु अकादमी स्लॉश सॉलिटूड खुद अपने अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के ज़रिए लेखकों की खोज करता है। प्रायोजक स्टटगार्ट और अकादमी श्लॉस सॉलिट्यूड दोनों के विवेक पर उपयुक्त उम्मीदवारों की खोज के पश्चात प्रत्येक वर्ष, फेलोशिप का निर्णय तीन सदस्यों की जूरी द्वारा लिया जाता हैं, जिसमें प्रायोजक, अकादमी श्लॉस सॉलिट्यूड का एक प्रतिनिधि और एक बाहरी सदस्य शामिल होता है।

बिहार में दलित आरोपी को जमानत के साथ मिली महिलाओं के कपड़े साफ करने की सजा

बीते 22 सितंबर, 2021 को बिहार के मधुबनी जिले के झंझारपुर की एक निचली अदालत के एक जज अविनाश कुमार ने अजीबोगरीब फैसला दिया। उन्होंने छेड़खानी के धोबी जाति से आने वाले एक आरोपी ललन कुमार रजक को यह कहते हुए जमानत दी कि वह अगले छह माह तक अपने गांव की सभी महिलाओं के कपड़े साफ करेगा और उन्हें इस्त्री कर वापस करेगा। इसके लिए वह किसी से मजदूरी नहीं लेगा। मामला 17 अप्रैल, 2021 का है। ललन कुमार रजक के खिलाफ झंझारपुर के लौकहा थाने में मामला दर्ज कराया गया कि उसने गांव की एक महिला के साथ छेड़खानी की और बलात्कार करने का प्रयास किया। इस आरोप में पुलिस इतनी तेजतर्रार निकली कि उसने ललन कुमार रजक को दूसरे ही दिन गिरफ्तार कर लिया और वह तभी से जेल में था।

(संपादन : अनिल)


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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