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किसानों की प्रतिबद्धता व शासकीय सनक के लिए याद किया जाएगा किसान आंदोलन

किसान आंदोलन का एक साल पूरा हो चुका है। इस दौरान जो घटनाएं घटित हुईं, वे अब इतिहास का हिस्सा हैं, जो सदियों तक लोगों को बताएंगी कि आजाद भारत में किसानों ने कैसे एक प्रचंड बहुमत वाली हुकूमत को बैकफुट पर ला दिया। पूरे आंदोलन की तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं सुशील मानव

दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के एक साल पूरा हो चुके हैं। पिछले साल ठीक संविधान दिवस यानी 26 नवंबर को किसानों ने दिल्ली पहुँच कर तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ इक्कीसवीं सदी के सबसे बड़े आंदोलन की शुरूआत की थी। इस आंदोलन को देश भर में समर्थन हासिल हुआ और किसानों ने भी तमाम विषमताओं को झेलते हुए सरकार को पीछे हटने पर मजबूर किया। आंदोलन के एक साल पूरा हाेने से ठीक 7 दिन पहले प्रकाशपर्व (गुरु नानक जयंती) के अवसर पर देशवासियों से क्षमा मांगते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों केंद्रीय कृषि क़ानूनों को रद्द किये जाने की घोषणा कर दी। इसके लिए आगामी 29 नवंबर, 2021 से शुरू होनेवाले संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक लाए जाने की संभावना है। इस संबंध में केंदीय मंत्रिपरिषद ने अपनी सहमति दे दी है। 

इस प्रकार, जो तीन कृषि कानून पिछले साल बनाए गए थे, उनकी वापसी में अब महज औपचारिक देरी है। ये तीन कानून हैं– कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम, 2020। 

परंतु, किसान अब भी अपना आंदोलन खत्म नहीं करने की बात कह रहे हैं और इसी क्रम में बीते 23 नवंबर, 2021 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित किसान महांपचायत में किसान नेताओं ने अपनी मांगों को दुहराते हुए कहा कि जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए और बिजली की समस्यओं से छुटकारे के लिए नए कानून नहीं बनाए जाते और किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लादे गए झूठे मुकदमे वापस नहीं लिये जाते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

गौरतलब है कि इस दरमयान लगभग 657 किसानों ने अपनी शहादत दी है। किसानों ने आंदोलन के दौरान ‘ट्रॉली टाइम्स’ नाम से हिंदी अंग्रेजी और पंजाबी में अख़बार निकाला गया। किसान आंदोलन के एक साल के सफ़र के विभिन्न पड़ावों पर एक नज़र –

किसानों ने भरा हुंकार, पुलिस ने लाठियों से किया प्रहार

संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले ‘दिल्ली चलो’ नारे के साथ 25 नवंबर 2020 को दिल्ली के लिए निकले तमाम किसान संगठनों के किसान और कृषि मजदूर 26 नवंबर को दिल्ली पहुंचे। इस दौरान हरियाणा और केंद्र सरकार द्वारा आंसू गैस, वॉटर कैनन, लाठीचार्ज से स्वागत किया गया। पुलिस ने लाठी चार्ज किया। बड़े-बड़े अवरोधक व भारी वाहन आदि को लगाकर सड़कें बंद कर दी गयीं, ताकि किसान राजधानी में प्रवेश न कर सकें। इतना ही नहीं, सड़कों पर कीलें ठुकवा दी गई। इसके अलावा किसानों और दिल्ली के बीच 12 स्तरों की बैरिकेंडिग करके कंटीले तार लगवा दिये गये। 

दिल्ली पहुंचे किसान संगठनों ने पहले दिन से ही यह स्पष्ट कह दिया था कि वो पूरे साल भर का राशन साथ लेकर दिल्ली आये हैं। उन्हें कोई जल्दबाजी नहीं है। वहीं किसानों को रोकने में नाकाम हरियाणा सरकार ने 12 हजार किसानों के विरुद्ध जानलेवा हमले समेत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किए। हरियाणा सरकार की वॉटर कैनन को बंद करने वाले युवक नवदीप सिंह पर अंबाला पुलिस ने आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या का प्रयास करने का आरोप लगाकर केस दर्ज़ किया ।साथ ही नवदीप सिंह के पिता जय सिंह और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी के खिलाफ भी केस दर्ज़ किया गया।

बेनतीजा रही सरकार और किसान नेताओं के बीच 11 चक्र की वार्ता

28 नवंबर 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली की सीमाओं को खाली करके बुराड़ी के संत निरंकांरी मैदान पर जाने की शर्त पर किसानों के साथ बातचीत करने की पेशकश की। किसानों ने जंतर-मंतर पर धरना देने की इज़ाज़त दिए जाने की मांग करते हुए उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा हम दिल्ली में घिरकर बैठने के बजाय दिल्ली को घेरकर बैठेगें। 

किसान आंदोलन शुरु होने के बाद 3 दिसंबर, 2020 से लेकर 22 जनवरी, 2021 के दरमियान (3 दिसंबर, 5 दिसंबर, 8 दिसंबर, 30 दिसंबर तथा 4 जनवरी, 8 जनवरी, 15 जनवरी, 20 जनवरी और 22 जनवरी) सरकार के प्रतिनिधि मंत्रियों और संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल 40 किसान संगठनों के नेताओं के बीच 9 बैठकें हुईं। 

पूरे साल किसानों ने नहीं खोया अपना आपा

20 जनवरी, 2021 की बैठक में सरकार ने तीनों कृषि कानूनों पर एक से डेढ़ साल तक अस्थायी रोक लगाने और साझा कमेटी के गठन का प्रस्ताव दिया। ऐसा किसानों के ट्रैक्टर रैली पर सुप्रीम कोर्ट के रुख और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पंजाब, हरियाणा से इतर दूसरे राज्यों में बहस शुरू होने के कारण हुआ। सरकार का प्रस्ताव नामंजूर करते हुये किसान संगठनों ने कहा कि कृषि कानून रद्द होने चाहिए और एमएसपी की गारंटी मिलनी चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट का दख़ल

11 दिसंबर 2020 को भारतीय किसान यूनियन ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि किसानों और केंद्र के बीच बातचीत ‘काम कर सकती है’। 12 जनवरी  2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी और सभी हितधारकों को सुनने के बाद विधानों पर सिफारिशें करने के लिए चार-सदस्यीय समिति का गठन करते हुए समिति से दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा।

654 किसानों की मौत

किसान आंदोलन में अब तक कुल 654 किसानों ने शहादत दी है। यानि रोज़ाना लगभग दो मौत। आज़ादी के बाद किसी अहिंसक और लोकतांत्रिक आंदोलन में संभवतः इतने लोगों की जानें नहीं गई है। इनमें सबसे ज़्यादा मौतें मौसम की प्रतिकूलता के कारण हुईं। अधिकांश मरने वाले सीमांत किसान या खेतिहर मजदूर थे और उन पर कर्ज़ भी था। मरने वालों में अधिकाशं की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी लेकिन कई युवा किसानों (17 से लेकर 40 वर्ष) की भी मौत हुईं। जबकि 37 किसनों ने खुदकुशी कर ली। वहीं कुछ किसानों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में भी हुई। 

5 अप्रैल को किसान आंदोलन में शहीद होने वाले 350 किसानों की स्मृति में संयुक्त किसान मोर्चा ने 23 राज्यों के 2,000 गांवों की मिट्टी मंगवाकर शहीद स्मारक बनाया। यह स्मारक दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के खेड़ा-शाहजहांपुर बॉर्डर पर बनाया गया। माटी सत्याग्रह यात्रा 12 मार्च को गुजरात से शुरु हुई थी। इस स्मारक की डिजाइन अहमदाबाद के लालोंन द्वारा किया गया थी। 

किसान आंदोलन में शूटर

22 जनवरी की आखिरी बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं को धमकाते हुए कहा कि वो लोग सरकार के प्रस्ताव (डेढ़ साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित रखने) पर सोचें। कृषि क़ानूनों में कोई कमी नहीं है, न ही सरकार कृषि क़ानूनों को वापिस लेगी।

सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद से ही किसान यूनियनों को धमकी भरे फोन आने लगे। क्रांति किसान यूनियन के अध्यक्ष डॉ. दर्शनपाल और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को फोन पर और सोशल मीडिया पर धमकियां मिलीं। 21 जनवरी की रात डॉ. दर्शनपाल को एक व्यक्ति ने फोन करके गाली दी और कहा कि किसानों को सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए। शुक्रवार 22 जनवरी की सुबह, जब किसान नेता रुल्लू सिंह मनसा सरकार के साथ बैठक के लिए जा रहे थे, तब दिल्ली पुलिस के एक जवान ने उनकी कार की पिछली विंडस्क्रीन को तोड़ दिया। 22 जनवरी की रात किसान नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर एक शूटर को पकड़कर प्रेस कान्फ्रेंस में उसका बयान दिलवाया और पुलिस को सौंप दिया। शूटर ने मीडिया के सामने बताया कि उसे 26 जनवरी की परेड में गड़बड़ी फैलाने और स्टेज पर बैठे चार नेताओं को गोली मारने के लिए उनकी फोटो देकर भेजा गया था। उसने बताया कि हरियाणा पुलिस के एक थाने के अधिकारी ने हमें ये काम सौंपा है। उसने यह भी बताया कि दिल्ली पुलिस की वर्दी में हमारे कई लोग ट्रैक्टर परेड में शामिल होंगे और आगे और पीछे दोनो साइड से हमले करेंगे। उसने ये भी कहा था कि तिरंगा नीचे गिराकर बड़ा बवाल कराने की योजना है।

23 जनवरी को टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने एक शूटर पकड़कर पुलिस को सौंपे था, इतना ही नहीं, दिल्ली पुलिस की वर्दी से भरे एक ट्रक को भी किसानों ने दिल्ली पुलिस को सौंपने का दावा किया था। 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड से पहले कई प्रेस कान्फ्रेंसों में किसान नेताओं ने कहा कि ट्रैक्टर परेड को हिंसक बनाने के लिए सरकार की ओर साजिश की जा रही है। इतना ही नहीं, खुद दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस की ओर से भी ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा की साजिश की बात कही गई थी। 

ट्रैक्टर परेड और लालकिला हिंसा की पटकथा

26 जनवरी, 2021 को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के राजपथ पर सत्ता द्वारा अपनी शक्ति प्रदर्शन के बरक्स आंदोलनकारी किसानों ने तंत्र में गण की दावेदारी का दावा करते हुये ट्रैक्टर परेड निकालने की घोषणा की। इसके ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर कहा कि गणतंत्र दिवस परेड राष्ट्रीय गौरव से जुड़ा कार्यक्रम है। आंदोलन के नाम पर देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी की इज़ाज़त नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दख़ल से इन्कार के बाद 24 जनवरी 2021 को दिल्ली पुलिस ने किसानों को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की अनुमति दी। साथ ही ट्रैक्टर मार्च के लिए तीन मार्ग निर्धारित किए।

26 जनवरी 2021 को दीप सिंह सिद्धू और लाखा सिधाना की अगुवाई में उपद्रियों का एक गुट तय रूट और तय समय से अलग लालकिले की ओर निकल गया। उन्होंने पुलिस पर हमला किया, बैरिकेड तोड़ दिए और लालकिला परिसर में प्रवेश कर धार्मिक झंडा भी फहरा दिया। जबकि दिल्ली पुलिस ने नांगलोई, अक्षरधाम, मुकरबा चौक, संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर, बुराड़ी, आईटीओ में दिल्ली पुलिस किसानों पर लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।

बाद में यह जानकारी सामने आयी कि दीप सिद्धू भाजपा सांसद व अभिनेता सनी देओल के करीबी हें जबकि लखा सिधाना के खिलाफ पहले से आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। दिलचस्प यह कि 16 जनवरी को एनआईए ने दीप सिद्धू और उसके भाई मनदीप सिद्धू को आंदोलन की विदेशी फंडिंग और खालिस्तान का समर्थन करने के बाबत नोटिस भी भेजा था। 

26 जनवरी की हिंसा के संबंध में कुल 38 प्राथमिकियां दर्ज की गईं और 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 37 किसान नेताओं के खिलाफ़ यूएपीए के तहत देशद्रोह का केस दर्ज़ किया गया। जबकि 20 किसान नेताओं के खिलाफ़ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया। दिल्ली पुलिस की एफआईआर में योगेंद्र यादव  और राकेश टिकैत, सरवन सिंह पंढेर, सतनाम सिंह पन्नू, दीप सिद्धू और पंजाब में गैंगस्टर रहे लखबीर सिंह उर्फ़ लक्खा सिधाना का नाम था। 

ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा का पर शोक प्रकट करने के लिये महात्मा गांधी की पुण्यतिथि, 30 जनवरी, 2021 को, किसान संगठनों के नेताओं ने प्रदर्शनकारियों के बीच एकता की भावना मजबूत करने के लिए सिंघू बॉर्डर से ‘ सद्भावना रैली’ निकाली। 

टिकैत के आँसुओं ने बदल दी आंदोलन रूपरेखा 

26 जनवरी की घटना के बाद किसान बैकफुट पर चले गये। दो किसान यूनियनों, बीकेयू (भानु) और बी.एम. सिंह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन से पीछे भी हट गए। वहीं दिल्ली की सीमाओं पर जुटे किसानों की संख्या में जबरदस्त कमी देखी गयी।

27 जनवरी को आधी रात को बागपत हाईवे पर बड़ौत में किसान आंदोलनकारियों पर यूपी पुलिस ने हमला बोल दिया। सोते किसानों पर लाठियां भांजी गई और कुछ ही देर में आंदोलन स्थल को खाली करवा दिया गया। ऐसा ही कुछ दिल्ली-जयपुर हाईवे पर मसानी बैराज पर बैठे किसान आंदोलनकारियों के साथ करके उक्त आंदोलन स्थल को भी खाली करवा लिया गया। 

इसके बाद 28 जनवरी की दोपहर से ही ग़ाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन की घेरेबंदी बढ़ने लगी। आरएएफ, पीएसी, और यूपी पुलिस की कई बटालियनों द्वारा धरना स्थल की घेराबंदी कर दी। यूपी पुलिस के अधिकारी, किसानों के मंच पर चढ़ गए। ग़ाजियाबाद के डीएम ने कहा कि आज रात तक हर हाल में ग़ाज़ीपुर बॉर्डर खाली करवाना है। लेकिन भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के आंसुओ वाले वीडियो और किसान भाईयों से अपने गांव का पानी मँगवाने वाले बयान ने रातों-रात आदोलन का पूरा माहौल बदल दिया। सारे पुलिस और अर्द्धसैन्य बल सिर पर पांव रख के भागे। किसान नेता राकेश टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन में जान फूंक दी। जिसके बाद से रातों-रात ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के जत्थों का जुटना शुरू हो गया। गाजीपुर बॉर्डर पर एक बार फिर किसानों का मजमा लगना शुरू हो गया और दूर-दूर तक एक बार फिर ट्रैक्टर ट्रॉली ही नजर आने लगे। 

भाजपा नेताओं की अगुवाई में किसान आंदोलन पर हमला

28 जनवरी की शाम लोनी विधानसभा के भाजपा विधायक गुर्जर और साहिबाबाद के भाजपा विधायक सुनील शर्मा की अगुवाई में सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ता गाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचे और किसान आंदोलनकारियों पर हमला कर दिया। उनके टेंट उखाड़े और मार-पीट की। साथ ही देश के गद्दारों को जूते मारों सालों को, दिल्ली का है ऑर्डर खाली करो बॉर्डर, तिरंगे का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान जैसे हिंसक नारे लगाये गये। 

28 जनवरी को ही लगभग 40-50 दिल्ली भाजपा के नेता, कार्यकर्ता और हिंदू सेना संगठन के लोगों ने स्थानीय निवासी बनकर सिंघु बॉर्डर पहुंचकर नारेबाजी की। कुछ ऐसा ही नजारा शाहजहांपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर भी दोहराया गया। 

29 जनवरी को दोपहर लगभग 200 भाजपा कार्यकर्ता और नेता सिंघु बॉर्डर पहुंचे। उस समय सिंघु बॉर्डर पर ठीक बैरिकेड के पास जाने कहां से 2 ट्रक बोल्डर एक जगह लाकर गिराये गये थे। उनके हाथों में लाठी डंडे, पत्थर, रॉड तलवार, झंडे आदि थे। वो लोग तीन लेयर की बैरिकेड पार करके सीधे किसानों के टेंट तक जा पहुंचे। उन्होंने किसानों का टेंट उखाड़ा और खूब पत्थरबाजी की। पुलिस तमाशबीन बनी रही। जब किसानों की ओर से प्रतिक्रियाएं शुरु हुई। और भाजपा कार्यकर्ता और किसान आंदोलनकारी बिल्कुल आमने-सामने आ गये तब जाकर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। 

संयुक्त राष्ट्र को संबोधन और अंतरारष्ट्रीय हस्तियों का दख़ल

16 मार्च 2021 को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में डॉ दर्शनपाल ने वक्तव्य देकर भारत सरकार द्वारा लाये गये तीन नये कृषि क़ानूनों के प्रति किसानों की चिंता, अहित और असुरक्षाबोध से संयुक्त राष्ट्र को परिचित कराया। उन्होंने अपने वक्तव्य में संयुक्त राज्य के घोषणापत्र का हवाला देते हुए किसानों के अधिकारों व दुनिया भर के छोटे किसानों के हितों की रक्षा की अपील की। 

वहीं किसान आंदोलन के समर्थन में कई अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों ने भी आवाज़ बुलंद की। अंतर्राष्ट्रीय पॉप गायिका रेहाना और पर्यावरणविद़ ग्रेटा थनबर्ग, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का भांजी मीना हैरिस और ब्रिटिश सांसद भी भारतीय किसानों के मुद्दें के साथ खड़े हुये। 

किसान आंदोलन को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनते देख केंद्र सरकार ने सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर, विराट कोहली, आजिक्य रहाणे, रवि शास्त्री, अक्षय कुमार से अपने पक्ष में ट्वीट करवाया। 

टूलकिट विवाद

जनवरी महीने में किसान आंदोलन के समर्थन में स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने एक डॉक्युमेंट शेयर करते हुए ट्वीट किया। ट्वीट में आंदोलन कैसे करना है, इसकी जानकारी वाले टूलकिट को साझा किया गया। टूलकिट में आंदोलन को बढ़ाने के लिए ज़रूरी कदमों के बारे में बताया गया । ट्वीट में कौन सा हैशटैग लगाना है, क्या करना है आदि की जानकारी दी गयी थी। किसान आंदोलन के लिए भी इसी तरह का एक टूलकिट इस्तेमाल किया गया था, जो ग्रेटा थनबर्ग ने ही साझा किया था। 

दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने इस मामले में टूलकिट के निर्माताओं के ख़िलाफ़ ‘खालिस्तान-समर्थक’ अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ किया और भारत सरकार के ख़िलाफ़ ‘सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ने’ का आरोप लगाया। साइबर सेल के ज्वाइंट कमिश्नर प्रेमनाथ ने बयान दिया कि 26 जनवरी को बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। किसान आंदोलन तो 27 नवंबर से चल रहा था। इस टूलकिट के बारे में हमें 4 फरवरी को पता चला, जिसे खालिस्तानी संगठनों की मदद से तैयार किया गया था।

किसान आंदोलन में महिलाओं ने दर्ज करायी अपनी मजबूत भागीदारी

दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने 13 फरवरी को 22 वर्षीय पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया, जहां से उन्हें 5 दिन की रिमांड पर लिया गया। दिल्ली पुलिस का दावा था कि, दिशा रवि ने वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था और उसके जरिए टूलकिट डॉक्यूमेंट एडिट करके वायरल किया। वह टूल किट का मसौदा तैयार करने वाले षडयंत्रकारियों के साथ काम कर रही थीं। इन लोगों ने देश के ख़िलाफ़ बड़ी साजिश की थी। दिल्ली पुलिस ने कहा रवि, निकिता जैकब और शांतनु मुलुक ने वह विवादास्पद टूलकिट तैयार किया था और दूसरों को एडिट करने के लिए इसे साझा किया था। पुलिस के मुताबिक दिशा रवि के सेलफोन से उनके ख़िलाफ़ पुख्ता सबूत मिले हैं। जबकि, वह गूगल डॉक्यूमेंट शांतनु के ईमेल अकाउंट से भेजा गया था।

कार्पोरेट के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन

नये दौर का नया किसान आंदोलन सीधे सीधे सरकार की प्रो-कार्पोरेट पोलिसी के खिलाफ़ टकरा रहा है। 28 अक्टूबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा की ‘रेल रोको’ अपील पर संगरूर के गांव डसका निवासी नौजवान अमृतपाल सिंह संगरूर के रेलवे ट्रैक पर खड़ा हो गया, अडानी सायलो प्लांट में गेहूँ ले जा रही मालगाड़ी को प्लांट के अंदर जाने नहीं दिया।

दशहरा पर किसानों ने नरेंद्र मोदी के साथ अडानी-अंबानी का पुतला फूंका। किसानों ने रिलायंस के पेट्रोल पंप और रिलायंस स्टोर का घेराव किया। संयुक्त किसान मोर्चा ने जियो सिम पोर्ट कराने की अपील की, जिसका असर यह हुआ कि करोड़ों जियो सिम दूसरे नेटवर्क पर पोर्ट हो गये। टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (ट्राई) को 11 दिसंबर 2020 को लिखे पत्र में रिलायंस ने कहा कि उसके ख़िलाफ़ अफ़वाह रफैलाई जा रही है कि उसे नए कृषि क़ानूनों से फ़ायदा होगा। ट्राई को लिखे खत में रिलायंस जियो ने कहा है कि उसे बड़ी संख्या में अपने नंबर्स को पोर्ट कराने वाली रिक्वेस्ट मिल रही हैं और इनमें सब्सक्राइबर कृषि क़ानूनों को एकमात्र कारण बता रहे हैं जबकि उन्हें हमारी सेवाओं से कोई दिक्कत नहीं है। 

किसानों ने अपने आंदोलन के दौरान लोगों से अपील की कि वे अंबानी-अडानी के उत्पादों का बहिष्कार करें।  इसके तहत रिलायंस के पेट्रोल पंप से तेल न डलवाने और जियो सिम को पोर्ट करवाकर कोई और टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर की सेवाएं लेने की अपील सिंघु बार्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर, चिल्ला और शाहजहांपुर बॉर्डर से लगातार की जा रही है। इसके अलावा मॉल, शॉपिंग काम्प्लेक्स में मिलने वाले अडानी-अंबानी के सारे उत्पादों का भी बहिष्कार करने की अपील किसानों ने की है। 

किसान आंदोलन के दौरान देश में जियो टॉवर तोड़े जाने और टॉवर की बिजली काटे जाने की घटनायें हुई। अकेले पंजाब में किसान आंदोलन के दौरान अब तक कुल 1,500 टावर तोड़े गये। 

22 दिसंबर 2020 को हजारों किसानों ने इकट्ठा होकर मुबई के अंबेडकर पार्क से बांद्रा कुर्ला स्थित अंबानी के दफ्तर तक मार्च भी निकाला। 

गांधी जयंती से एक दिन पहले किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने किसानों से कार्पोरेट घरानों के सामानों का बहिष्कार करने की अपील की थी। तब से लगातार किसान कार्पोरेट के सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं। किसानों का ‘कार्पोरेट सामान बहिष्कार आंदोलन’ गांधी के ‘स्वदेशी आंदोलन’ के तहत विदेशी कपड़ों के बहिष्कार करने की मुहिम से प्रेरित था।

किसान आंदोलन में दलित आदिवासी व पिछड़े 

संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले चल रहे किसान आंदोलन में भीमा कोरेगांव मामले में जेल में बंद कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग भी उठी। सिर्फ़ इतना ही नहीं, किसान आंदोलन में हूल क्रांति दिवस, संविधान दिवस भी मनाया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, जोतीराव फुले , सावित्री बाई फुले और सर छोटू राम, सिदो कान्हू जैसे दलित बहुजन आदिवासी नायक-नायिकाओं पर भी बड़े कार्यक्रम आयोजित किए। और तो और गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने सभी किसानों से अपने घरों में बाबासाहेब और सर छोटू राम की तस्वीरें लगाने की अपील भी की थी ।

स्कूल का खुलना और शिफ्ट होना

किसान आंदोलन का सामाजिक पक्ष भी तब सामने आया जब आंदोलन में दलित-बहुजनों ने भागीदारी का विमर्श शुरू किया । 22 जनवरी 2021 से ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल बच्चों को पढ़ाने के लिए निर्देश सिंह ने ‘सावित्री बाई फुले पाठशाला’ शुरु की। इस पाठशाला में भाकियू नेता राकेश टिकैत ने भी बच्चों की क्लास ली। इस पाठशाला में किसानों के बच्चों के साथ साथ कूड़ा बीनने वाले बच्चे भी पढ़ते थे। हालांकि मांओं के साथ किसानों के बच्चों के अपने गांव लौट जाने के बाद किसान आंदोलन में शामिल लोगों ने पाठशाला संचालिका को तरह तरह से प्रताड़ित करके पाठशाला दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिये विवश कर दिया। इस संबंध में निर्देश सिंह ने बताया कि भाकियू नेता राकेश टिकैत से भी शिक़ायत की थी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। 

निर्देश सिंह, नौदीप कौर, शिव कुमार जैसे दलित-बहुजन कार्यकर्ताओं ने किसान आंदोलन को हरियाणा और पंजाब से निकालकर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के दूर दराज के जिलों तक फैला दिया । इसी बात से घबड़ाकर केंद्र सरकार ने पहले नौदीप कौर और शिव कुमार को पकड़कर जेल में डाल दिया और उन्हें बर्बर शारीरिक मानसिक यातनायें दी। 

लखीमपुर खीरी जनसंहार

आंदोलन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा ने अपील जारी किया थी कि देश भर के किसान अपने अपने इलाके के सत्ताधारी भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं, मंत्रियों विधायकों सांसदों का घेराव करके उनका विरोध करें, उन्हें काला झंडा दिखायें। इसी कड़ी में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कई भाजपा नेताओं को किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। 25 सितंबर 2021 को संपूर्णनगर क्षेत्र में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी का आगमन होने पर किसानों ने गदनियां चौराहे और महंगापुर गुरुद्वारा के पास उन्हें काले झंडे दिखाये। 

संपूर्णनगर में किसान रैली को संबोधित करते हुये अजय मिश्रा टेनी ने काला झंडा दिखाने वाले किसानों को धमकी दी। इतना ही नहीं इसके बाद 26 सितंबर 2021 को महंगापुर में एक मुक़दमा अमनीत सिंह औऱ दो अन्य व गदनिया में महेंद्र सिंह समेत 40-50 अज्ञात पर मुक़दमा दर्ज़ करवाया गया। और अगले दिन पुलिस उनके घरों में दबिश देकर महिलाओं को प्रताड़ित किया। 

इसके बाद 3 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी अपने गांव में एक कार्यक्रम कर रहे थे जिसमें शामिल होने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या शामिल होने आ रहे थे। टेनी की धमकी और पुलिसिया कार्रवाई से गुस्साये किसानों ने विरोध करने की योजना के तहत तिकुनिया पहुंचे। जिससे प्रशासन ने रूट डायवर्ट कर दिया। किसान वापिस लौट रहे थे, तभी पीछे से गाड़िया चढ़ाकर उन्हें कुचल दिया गया। इस घटना में दलजीत सिंह (32), गुरविंदर सिंह (20), लवप्रीत सिंह (30) और नक्षत्र सिंह (65) और एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप (28) की भी मौत हो गई।  इस घटना में अजय मिश्रा टेनी के ड्राईवर हरिओम (35) और दो भाजपा कार्यकर्ता श्याम सुंदर (40) और शुभम मिश्रा (30) भी मारे गए।

60 चश्मदीदों कोर्ट में ने आशीष मिश्रा को मौके पर देखने की गवाही दी है। जांच के लिये गठित एसआईटी ने प्रदर्शनकारी किसानों पर रूट डायवर्जन के बावजूद पीछे से गाड़ी चढ़ाने की घटना को सोची-समझी साजिश माना है। 

वहीं इसके पहले 21 फरवरी 2021 को नये कृषि कानूनों के फायदे गिनाने शामली पहुंचे केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को भारी विरोध का सामना करना पड़ा । शामली के भैंसवाल में संजीव बालियान और भाजपा के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते लोग नजर आये।

इसके अगले दिन पश्चिम यूपी मुज़फ्फ़रनगर के शोरम की ऐतिहासिक चौपाल पर किसानों को समझाने गए केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान का विरोध करने पर उनके साथ मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने किसानों के साथ मारपीट की थी।

10 जनवरी 2021 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पहले से तय किसान पंचायत बैठक किसानों के विरोध-प्रदर्शन की वजह से रद्द करनी पड़ी । 24 दिसंबर 2020 हरियाणा के जींद जिले के उचाना में किसानों ने उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के आने से पहले बनाए गए हेलीपैड को फावड़े से खोद डाला । 3 अक्टूबर 2021 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर ने चंडीगढ़ में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर-पश्चिम हरियाणा के हर जिले में किसानों के खिलाफ डंडे उठाने वाले वालंटियर खड़े करने चाहिए। 28 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री खट्‌टर करनाल में भाजपा की संगठनात्मक बैठक ले रहे थे। मीटिंग के स्थान से कुछ दूरी पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा ने पुलिसवालों को किसानों के सिर फोड़ने का विवादित आदेश दिया था। 

सिंघु बॉर्डर पर हत्या

15 अक्टूबर शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर मंच के पास 35 वर्षीय दलित शख्स लखबीर सिंह की हत्या कर दी गई थी, जिसके शव से हाथ को काट करके बैरिकेड पर लटका दिया गया था। लखबीर सिंह पंजाब के तरन-तारन जिले के चीमा खुर्द गांव का रहने वाला था। उसके माता-पिता की मौत हो चुकी थी, जबकि उसकी तीन बेटियां भी हैं, जो कि अपनी मां के साथ रहती हैं। लखबीर सिंह कुछ वक्त से निहंगों के साथ ही रहकर सेवादारी कर रहा था। बाद में निहंग समूह निर्वेर खालसा-उड़ना दल ने दलित युवक लखबीर की हत्या की जिम्मेदारी ली। निहंग सरवजीत सिंह ने दावा किया कि उसने ही हत्या की थी।

लखबीर सिंह की हत्या के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी करके कहा गया कि उन्होंने कई मौकों पर दिल्ली और हरियाणा की पुलिस को निहंग सिखों को लेकर अलर्ट किया था। यह भी बता दिया गया था कि निहंग उनके मोर्चे का हिस्सा नहीं हैं।

बहरहाल, देश के पांच प्रमुख कृषि प्रधान राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने कृषि क़ानून रद्द करने की घोषणा की है। लेकिन एक सवाल अब भी अनुत्तरित है कि किसान आंदोलन के एक साल में जिन 654 किसान परिवारों ने अपने परिजनों को खोया है उनकी भरपाई कौन करेगा? 

(संपादन : नवल/अनिल/अमरीश)


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लेखक के बारे में

सुशील मानव

सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार और साहित्यकार हैं। वह दिल्ली-एनसीआर के मजदूरों के साथ मिलकर सामाजिक-राजनैतिक कार्य करते हैं

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