h n

यूपी : दलित परिवार के 4 लोगों की हत्या के मामले में पुलिस पर सवाल

बीते 25 नवंबर को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज यानी इलाहाबाद के एक गांव गोहरी में एक दलित परिवार के चार लोगों की लाशें मिलीं। इनमें से एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार की पुष्टि हुई है। इस मामले में हालांकि यूपी पुलिस ने कुछ खुलासा करने का दावा किया है। परंतु, अब भी अनेक सवाल शेष हैं। बता रहे हैं सुशील मानव

बीते 25 नवंबर, 2021 की सुबह प्रयागराज जिले की फाफामऊ क्षेत्रान्तर्गत ग्राम मोहनगंज, गोहरी में घर के अंदर एक दलित (पासवान, स्थानीय बोली में सरोज जाति) परिवार के चार लोगों की लाशें बरामद की गईं। इस मामले में एक बार फिर उत्तर प्रदेश पुलिस पर ठाकुर जाति के आरोपियों को बचाने का आरोप लग रहा है। वहीं पुलिस ने इस मामले में तथाकथित खुलासा किया है कि मृतकों की जाति के ही एक युवक ने अपने साथियों के साथ मिलकर हत्याकांड को अंजाम दिया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी युवक और मृतकों में शामिल एक लड़की के बीच प्रेम संबंध था। इस पूरे मामलें पुलिस के तथाकथित खुलासे और आरोपी युवक की गिरफ्तारी के बावजूद अनेक सवाल शेष हैं। मसलन, जिस झाेपड़ी में चारों हत्याएं की गईं, उसके अगल-बगल अनेक परिवार झोपड़ियों में रहते हैं, फिर यह कैसे मुमकिन है कि हत्या के समय उनकी चीखें पड़ोसियों ने नहीं सुनी हो? साथ ही यह भी कि दो दिनों तक चारों की लाशें कैसे पड़ी रहीं? ऐसे में एक सवाल उठता है कि क्या पड़ोसी किसी दबाव में हैं और खामोश हैं?

जमीन को लेकर पहले भी ठाकुरों के निशाने पर था फूलचंद का परिवार

बताते चलें मृतकों की शिनाख़्त फूलचंद सरोज (50 वर्ष), उसकी पत्नी मीनू देवी (45 वर्ष), पुत्र शिव (10 वर्ष) और बेटी (18 वर्ष) के रूप में की गई। इस हत्याकांड की प्राथमिकी मृतक फूलचंद के भाई लालचंद ने दर्ज करायी। अपनी प्राथमिकी में लालचंद ने हत्या, सामूहिक बलात्कार और उत्पीड़न का आरोप गांव के ही ठाकुर बिरादरी के 11 लोगों के ख़िलाफ़ लगाए। उनके बयान के आलोक में पुलिस ने कांड संख्या 256/21 के तहत नामजद आरोपितों आकाश सिंह पुत्र अमित सिंह, आकाश की पत्नी बबली सिंह, रवि सिंह, मनीष सिंह पुत्रगण रामगोपाल, अमित सिंह पुत्र अरुण सिंह, अभय, राजा रंचू पुत्रगण राजकुमार, कुलदीप, कान्हा, अशोक पुत्रगण मान सिंह के ख़िलाफ़ हत्या, दुष्कर्म, पाक्सो एक्ट और एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज़ किया। हालांकि बाद में मृतका लड़की की उम्र 18 साल से अधिक होने की पुष्टि होने के बाद मुकदमे से पाक्सो एक्ट को हटा दिया गया।

वारदात स्थल का मुआयना करते पुलिस अधिकारी

लालचंद ने अपनी तहरीर में फाफामऊ थाने के इंस्पेक्टर रामकेवल पटेल व सिपाही सुशील कुमार सिंह के खिलाफ भी आरोप लगाया है कि विपक्षी लगातार मारपीट, धमकाते रहे, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। उल्टा इंस्पेक्टर व सिपाही पीड़ित परिवार पर ही पूर्व में दर्ज एक मुकदमे को वापस लेने और सुलह करने का दबाव बना रहे थे। तहरीर में यह भी आरोप लगाया गया है कि उपरोक्त पुलिसकर्मियों की शह पर ही आरोपियों ने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया।

लालचंद के आरोप के बाद फाफामऊ थाने के इंस्पेक्टर समेत दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।

मृतक फूलचंद के एक अन्य भाई किशन सरोज ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उनके परिवार का जीना मुश्किल कर रखा था। दो साल से उनका विवाद चल रहा है। कई बार उसके घर में घुसकर मारपीट की गई। राह चलते महिलाओं को धमकाया जाता था। थाने जाने पर हर बार शिकायत अनसुनी कर दी जाती थी। करीब दो साल पहले 5 सितंबर, 2019 को में मारपीट, जान से मारने की धमकी देने के मामले में सोरांव थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि मामले में एससी-एसटी की धाराएं भी लगी थीं। इसी साल 21 सितंबर 2021 को रात 8.30 बजे घर में घुसकर आरोपियों ने न सिर्फ  मारपीट और तोड़फोड़ की, बल्कि जान से मारने की धमकी दी थी। तब घटना की सूचना पर डायल 100 की गाड़ी भी पहुंची, लेकिन थाने जाने पर रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई। एसएसपी कार्यालय में शिकायत पर आठ दिन बाद यानी 29 सितंबर को फाफामऊ थाने में एफआईआर तो दर्ज की गई। लेकिन महज एक घंटे बाद ही आरोपियों से बयान लेकर पीड़ित के खिलाफ एफआईआर लिख दी गई। इसमें पीड़ित परिवार को ही मारपीट, धमकी देने के साथ ही छेड़छाड़ का भी आरोपी बना दिया गया।

पुराने मुकदमे में हुई ठाकुरों की गिरफ्तारी से उठ रहा सवाल

सबसे खास बात यह कि लालचंद ने जिन लोगों को आरोपी बनाया, उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस ने ताजा मामले में दर्ज मुकदमे यानी हत्या, सामूहिक बलात्कार आदि के मामले में गिरफ्तार नहीं कर सितंबर 2021 को दर्ज एक एफआईआर के तहत गिरफ्तार किया है। प्रयागराज पुलिस के मुताबिक मु.अ.सं.- 202/21 धारा 147/149/452/323/504/506/354/427 भादवि. व 3(2)5ए SC/ST Act के वांछित अभियुक्तगण 1. आकाश सिंह 2. अभय सिंह 3. रवि कुमार सिंह 4. मनीष सिंह को गिरफ्तार किया गया। सवाल है कि ताजा मामले में गिरफ्तारी क्यों नहीं दिखायी गयी?

दरअसल, पुलिस इस मामले में अब भी कयासबाजी लगाने में ही व्यस्त है। बीते 28 नवंबर, 2021 को थरवई के कोरसंड गांव निवासी पवन कुमार सरोज नामक कथित आशिक को हत्याकांड का आरोपी बताते हुये पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी को मु.अ.सं.- 256/21 धारा 147/148/149/302/376 डी भादवि, 3/4 पाक्सो एक्ट व 3(2)V एससी-एसटी एक्ट के तहत दिखाई है।

इसी घर में पड़ी थीं फूलचंद व उनके परिजनों की लाशें

पुलिसिया कार्रवाई पर शक-सुबहा की अनेक गुंजाइशें हैं। एक तो यही कि हत्या के तीन दिन बद लाशें क्यों और किस हालात में बरामद हुईं। जबकि फूलचंद व उसके परिजनों की जिस झोपड़ी में हत्याएं हुईं, उसके दाहिनी ओर पशु औषधालय है जबकि बायीं ओर खाली प्लॉट पड़ा है। पीछे की ओर ईंट का भट्ठा है। पशु औषधालय की चहारदिवारी बस इतनी है कि आराम से इसे फांदकर घर में दाखिल हुआ जा सकता है।

दो दिनों तक पड़ी रहीं लाशें

बीते 25 नवंबर, 2021 की सुबह गांव के ही चाट विक्रेता संदीप कुमार ने फूलचंद के घर के सामने से गुज़रते वक्त घर का दरवाजा खुला देखा। भीतर झांकने पर कोई दिखाई नहीं दिया तो उसने कुछ दूर पर रहने वाले फूलचंद के भाई किशन को सूचना दी, जो कि सीमा सुरक्षा बल में तैनात है और इन दिनों छुट्टी पर घर आया है। सूचना पाकर किशन अपने भाई के घर के भीतर पहुंचे, तो वहां का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए। बरामदे में दो अलग-अलग चारपाइयों पर उसके भाई व भाभी खून से लथपथ मृत पड़े थे।जबकि बगल में ही भतीजे का शव पड़ा हुआ था। भीतर के कमरे में भतीजी की लाश नंगी पड़ी थी। उसके शोर मचाने पर आसपास के लोग व अन्य परिजन आ गए। एक साथ चार हत्याओं की सूचना पर सनसनी फैल गई और मौके पर आईजी राकेश सिंह, डीएम संजय खत्री, डीआईजी समेत अन्य अफसर पहुंच गए। कई थानों की फोर्स भी बुला ली गई। जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने चारों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

गांव वालों ने मंगलवार (23 नवंबर) शाम आखिरी बार फूलचंद के बेटे शिव को देखा था। बुधवार को पूरे दिन घर से कोई बाहर नहीं निकला। 23  नवंबर की रात ही इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया गया। दस साल का मासूम शिव तो चीख भी नहीं सका होगा क्योंकि परिवार के लोगों ने बताया कि वह मूक-बाधिर था। 25 नवंबर की रात में हुई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी बताया गया है कि हत्या तीन दिन पहले यानी मंगलवार को की गई। 

इसके अलावा फूलचंद के मोबाइल से 22 नवंबर (सोमवार) की शाम सात बजे के करीब आखिरी बार कॉल की गई थी। इस दिन मोबाइल से जिन लोगों से बातचीत की गई, उनमें फूलचंद का एक और भाई किशनचंद भी शामिल था।

ठाकुरों की नजर थी मृतक परिवार की जमीन पर

स्थानीय लोगों के अनुसार, फूलचंद और उसके परिजन जिस झोपड़पट्टी में रहते थे, वहां की ज़मीन उन्हें पट्टे में मिली थी। फूलचंद के भाई लालचंद ने जमीन के विवाद को कारण मानते हुए आकाश सिंह के परिवार को कातिल होने का आरोप लगायाह ै। दरअसल फूलचंद का मकान रोड पर ही है। मकान भले ही कच्चा है, लेकिन लोकेशन अच्छी है। कुछ लोगों का कहना है कि इस मकान को लेने के लिए कई लोग लगे थे। कई लोग मकान खाली करने का दबाव बना रहे थे। 

बेहद चौंकाने वाली बात यह है कि न सिर्फ आसपास के लोगों बल्कि पड़ोस में ही रहने वाले भाइयों व अन्य परिजनों को भी घटना की जानकारी नहीं हो सकी? इसे लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर कैसे दो दिनों तक एक साथ चार शव घर में पड़े रहे और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी?

पुलिस का तथाकथित खुलासा 

वहीं 28 नवंबर को प्रयागराज एडीजी प्रेम प्रकाश ने दलित परिवार के हत्याकांड का खुलासा करते हुये मीडिया को बताया कि थरवई के कोरसंड गांव निवासी पवन कुमार सरोज ने अपने 4 दोस्तों के साथ मिलकर परिवार की हत्या की थी। पुलिस ने आरोपी की व्हाट्सऐप चैट में दर्ज एक संदेश को आधार बनाया है। पुलिस के मुताबिक, चैट संदेश में मृतका लड़की के द्वारा ‘आई हेट यू’ के जवाब को आधार बनाया है। इसके अलावा पुलिस ने आरोपी के कुरते में खून के धब्बे को सबूत बनाया है। प्रयागराज पुलिस ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह भी बताया है कि आरोपी पवन कुमार सरोज ने अपना अपराध कबूल कर लिया है।

क्या कहती है पोस्टमार्टम रिपोर्ट?

बीते 25 नवंबर, 2021 को ही तीन डॉक्टरों के पैनल ने वीडियोग्राफी के बीच चारों शवों का पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम में चारों मृतकों के सिर पर चोट के निशान मिले। इसके साथ ही यह भी पता चला कि किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। जबकि उसकी मां मीनू के साथ दुष्कर्म नही हुआ था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सामूहिक हत्याकांड को तीन दिन पहले अंजाम दिया गया था। किशोरी का गला भी घोंटा था। दस वर्षीय शिव का भी गला दबाया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक भाई-बहन के साथ ही उनके माता-पिता के सिर में भी वजनी चीज से वार किया गया था और सिर में लगी चोट की वजह से ही उनकी जान गई।

पुलिस की निगाह में अन्य आरोपी 

इस मामले में गांव के ही सभी नामजद 11 ठाकुरों और परिवार के लोगों केअलावा ईंट भट्ठा मालिक और उसके बेटे की भी गिरफ्तारी की गई। लेकिन इनकी गिरफ्तारी के पीछे आरोप क्या हैं, इसका खुलासा नहीं किया गया है। इसके अलावा साथ ही मृतकों के पड़ोस में रहने वाले एक आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति को भी 25 नवंबर, 2021 को हिरासत में लिया गया। उसका कई आपराधिक घटनाओं में नाम सामने आ चुका है। मारपीट-लूट, छिनैतई, छेड़छाड़ समेत तमाम मुकदमे उस पर पहले से दर्ज हैं। इसके अलावा पुलिस ने मृतक लड़की के कथित आशिक पवन सरोज और उसके एक दोस्त को मामले में गिरफ्तार किया गया है। दरअसल, फूलचंद के घर के ब़गल में ही ईंट भट्ठा है। ईंट भट्ठे पर काम करने वाले ज्यादातर मजूदर बिलासपुर के हैं। जिनमें से कुछ के परिवार भी यहीं रहते हैं। फूलचंद भी ईंट भट्ठे पर मजदूरी करता था। आरोपी पवन कुमार सरोज और उसका साथी गंगे भी वहीं भट्ठे पर ही काम करते थे। पवन सरोज के पिता के मुताबिक एक दिन फूलचंद को अपने घर पर बात करनी थी, ऐसे में गंगे ने पवन सरोज के मोबाइल से उसके घर के नंबर पर कॉल करवाई थी। 

इस तरह इस हत्याकांड में अबतक 16 लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं अलग-अलग मामले में गिरफ्तारियां कर असली आरोपियों को बचाने की कोशिश तो नहीं की जा रही है?

सीबीआई जांच की मांग

गोहरी हत्याकांड में मास्टरमाइंड करार देकर जेल भेजे गये पवन सरोज के पिता राम कुमार सरोज ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। पिता, मां व दो बहनों का आरोप है कि उसे फर्जी फंसाया जा रहा है। उनका कहना है कि जिस दिन की वारदात बताई जा रही है, उस रात पवन घर पर ही था। उसका कभी कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा। उसके बारे में ग्रामीणों से भी  पूछा जा सकता है। वहीं फूलचंद के भाईयों ने भी पुलिस जांच से असंतुष्टि जताते हुये मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। प्रयागराज जिले के फाफामऊ के गोहरी गांव में दलित परिवार के चार लोगों की हत्या मामले में परिजनों ने मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुये पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठाया है।

(संपादन : नवल/अनिल)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें 

मिस कैथरीन मेयो की बहुचर्चित कृति : मदर इंडिया

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

सुशील मानव

सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार और साहित्यकार हैं। वह दिल्ली-एनसीआर के मजदूरों के साथ मिलकर सामाजिक-राजनैतिक कार्य करते हैं

संबंधित आलेख

फुले, पेरियार और आंबेडकर की राह पर सहजीवन का प्रारंभोत्सव
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सुदूर सिडियास गांव में हुए इस आयोजन में न तो धन का प्रदर्शन किया गया और न ही धन...
भारतीय ‘राष्ट्रवाद’ की गत
आज हिंदुत्व के अर्थ हैं– शुद्ध नस्ल का एक ऐसा दंगाई-हिंदू, जो सावरकर और गोडसे के पदचिह्नों को और भी गहराई दे सके और...
जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के बीच का फर्क
जेएनयू की आबोहवा अलग थी। फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मेरा चयन असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर हो गया। यहां अलग तरह की मिट्टी है...
बीते वर्ष 2023 की फिल्मों में धार्मिकता, देशभक्ति के अतिरेक के बीच सामाजिक यथार्थ पर एक नज़र
जाति-विरोधी फिल्में समाज के लिए अहितकर रूढ़िबद्ध धारणाओं को तोड़ने और दलित-बहुजन अस्मिताओं को पुनर्निर्मित करने में सक्षम नज़र आती हैं। वे दर्शकों को...
‘मैंने बचपन में ही जान लिया था कि चमार होने का मतलब क्या है’
जिस जाति और जिस परंपरा के साये में मेरा जन्म हुआ, उसमें मैं इंसान नहीं, एक जानवर के रूप में जन्मा था। इंसानों के...