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बहुजन साप्ताहिकी : रंग लायी स्टालिन की बहुजन नीति, 29 वर्षीय आर. प्रिया बनीं चेन्नई की पहली दलित मेयर

बहुजन साप्ताहिकी के तहत इस बार पढ़ें तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई की नयी मेयर आर. प्रिया से जुड़ी खबर। साथ ही झारखंड सरकार द्वारा एससी और ओबीसी छात्र-छात्राओं को दिये विशेष तोहफे व बिहार के भागलपुर में हुई भीषण विस्फोट व मुजफ्फरपुर में जातिगत हिंसा की खबर

तमिलनाडु में बदलाव की लहर और स्पष्ट होने लगी है। हाल ही में संपन्न हुए नगर निकाय चुनावों में यह देखने को मिला है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के टिकट पर चेन्नई नगर निकाय चुनाव में विजयी रहीं आर. प्रिया चेन्नई की पहली दलित महिला मेयर बन गई हैं। उनकी उम्र केवल 29 साल है। बताते चलें कि चेन्नई भारत का चौथा बड़ा नगर है। हालांकि प्रिया चेन्नई की तीसरी महिला मेयर हैं। उनके पहले तारा चेरियन और कामाक्षी जयारमण मेयर बन चुकी हैं। 

दरअसल, आर. प्रिया के चेन्नई की पहली दलित महिला मेयर बनने के पीछे स्टालिन सरकार की नीति रही है, जिसने हाल ही में शहरी निकायों में एक पद दलित महिलाओं के लिए आरक्षित करने का फैसला किया था। आर. प्रिया चेन्नई नगर निगम के वार्ड संख्या 74 मंगलापुरम् से विजयी हुई हैं। 

पदभार संभालतीं चेन्नई की पहली दलित मेयर आर. प्रिया

झारखंड में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली : आदिवासियों के साथ हकमारी

झारखंड के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर हो रही बहाली में एक नया पेंच सामने आया है। दिल्ली विश्वविद्वालय के दौलतराम कॉलेज में हिंदी की अध्येता प्रो. नीतिशा खल्खो ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खुला पत्र लिखकर उनका ध्यान आकृष्ट किया है। उनके मुताबिक, आदिवासी भाषाओं में होनेवाली बहालियों में अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा है कि संथाली, हो, खड़िया, मुंडारी और कुड़ुख की ज्यादातर सीटें अनारक्षित के तहत निकाली गई है। इन सभी आदिवासी भाषाओं में एसटी की पोस्ट नहीं रखी गई है। उन्होंने यह भी कहा है कि संथाली भाषा के लिए उम्मीदवारों का इंटरव्यू हो चुका है, लेकिन इसमें भी अनियमितता सामने आई है। नीतिशा के अनुसार संथाली भाषा के लिए कुल 11 पद थे। सारे पद अनारक्षित रखे गए थे। खलखो ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह इन आदिवासी भाषाओं की नियुक्ति के प्रति तर्क, और न्यायसंगत उपाय अपने सत्ता के नीति निर्माताओं से करवाए। 

झारखंड सरकार ने दिया एससी और ओबीसी छात्रों को तोहफा

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य के अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को तोहफा दिया है। 3 मार्च को प्रस्तुत बजट में राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने घोषणा की कि मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा छात्रवृत्ति के तहत अब राज्य के अनुसूचित जाति और ओबीसी छात्रों को भी विदेश जाकर पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी। इसके पहले इस योजना के तहत केवल अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति दी जाती रही है। 

बिहार : जातिगत हिंसा में मछुआरा परिवार के दो सगे भाईयों की हत्या, एक घायल

बीते 3 मार्च, 2022 को ऊंची जाति के एक आदमी ने अपने लोगों के साथ मिलकर मछुआरा समाज के एक परिवार पर हमला बोला। इस घटना में दो सगे भाईयों की मौत घटनास्थल पर हो गई। तीसरा भाई अस्पताल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। 

मामला मुजफ्फरपुर के साहेबगंज थाने के बैरिया गांव का है। मिली जानकारी के अनुसार राजेश सहनी उर्फ भोला सहनी स्थानीय सहकारी समिति (पैक्स) का अध्यक्ष था। वह अपने भाईयों मुकेश सहनी और रामनरेश सहनी के साथ मिलकर गांव के पोखर में मछलियां पकड़ रहा था। तभी मनीष सिंह नामक एक सामंती हरवे हथियार से लैस होकर अपने लाेगों के साथ पहुंचा और उसने गोलीबारी शुरू कर दी। अचानक हुए इस हमले में राजेश सहनी और उसके भाईयों के पास बचने का कोई रास्ता नहीं था। राजेश सहनी अपराधियों के निशाने पर था। 

स्थानीय थानेदार ने दूरभाष पर बताया कि गांव का पोखर मनीष सिंह ने खरीदा था। लेकिन उस पोखर पर राजेश सहनी व उसके परिवार का कब्जा था। जीरा (छोटी मछलियां) राजेश सहनी ने ही पोखर में डाला था। उसका कहना था कि चूंकि जीरा उसने डाला है तो मछलियां उसकी हैं। वहीं मनीष सिंह का कहना था कि चूंकि पोखर उसने खरीदा है तो पोखर की सारी मछलियां भी उसकी हुईं। 

हालांकि स्थानीय लोगों के मुताबिक इस हत्याकांड के पीछे जातिगत और राजनीतिक संघर्ष है। चूंकि राजेश सहनी राजनीतिक रसूख वाला आदमी था और पैक्स का अध्यक्ष था। यदि वह जिंदा रहता तो उसकी राजनीति और आगे बढ़ती। और इससे केवल वही नहीं बल्कि मछुआरा समाज के अन्य लोगों का हौसला भी बढ़ता। स्थानीय लोगों के मुताबिक, मनीष सिंह ने उसकी सरेआम हत्या कर स्थानीय मछुआरों को सशंकित कर दिया है कि यदि वे राजनीति में आगे बढ़ेंगे तो उनका भी वही हाल होगा।

बिहार के भागलपुर में पटाखा बनाने के क्रम में विस्फोट, अबतक 13 के मरने की सूचना

पटाखा बनाकर जीवन गुजर-बसर करनेवाले अत्यंत पिछड़ा वर्ग के एक परिवार के घर में 3 मार्च 2022 की रात भयानक विस्फोट में अबतक 13 लोगों के मारे जाने की सूचना है। जबकि एक दर्जन से अधिक लोगों का इलाज अस्पताल में चल रहा है। घटना भागलपुर जिले के कोतवाली थाने के काजीवलीचक मुहल्ले की है। 

स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार शंकर मंडल और महेंद्र मंडल के घर में लंबे समय से पटाखे बनाने का काम चल रहा था। 3 मार्च की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे उनके घर में धमाका हुआ, जिसकी चपेट में ओमप्रकाश मंडल, गणेश मंडल और राजू मंडल के घर आ गए। विस्फोट इतना बड़ा था कि सारे घर नेस्तनाबूद हो गए। वहीं पड़ोस में रहनेवाले मो. युसुफ, मो. खालिद और मो. मुआसिर के घर भी ध्वस्त हो गए। 

स्थानीय लोगों के अनुसार, विस्फोट के कारण अनेक घरों में दरारें पड़ गईं। हालांकि विस्फोट के मामले में स्थानीय पुलिस द्वारा स्पष्ट खुलासा नहीं किया गया है। पुलिस की ओर से यह अंदेशा जताया गया है कि पटाखे बनाने वाले लोग अवैध रूप से देसी बम बना रहे थे, जिसके कारण विस्फोट हो गया। जबकि स्थानीय लोगों के मुताबिक घटना स्थल कोतवाली थाना के एकदम समीप है। ऐसे में यदि पटाखे के बदले बम बनाने का काम चल रहा था तो वह पुलिस की पकड़ में पहले क्यों नहीं आया?

बहरहाल, इस घटना में अबतक 13 लोगों के मारे जाने की सूचना मिली है। जबकि स्थानीय प्रशासन के द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गयी है। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, मलबे को साफ किया जा रहा है। इस दौरान और लोगों के दबे होने की संभावना है।

(संपादन : अनिल)


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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