h n

झारखंड के एक डोम टोले की बदहाली

बोकारो जिला मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर और चास प्रखंड मख्यालय से मात्र चार किलोमीटर दूर बोकारो-धनबाद फोरलेन राष्ट्रीय राज मार्ग-23 के तेलगरिया से कोयलांचल क्षेत्र झरिया की ओर जाने वाली सड़क के किनारे बसा है निचितपुर पंचायत का बाधाडीह गांव। इस गांव एक टोला है, जिसे डोम टोला के नाम से जाना जाता है। पढ़ें, विशद कुमार की आंखों-देखी रपट

झारखंड के बोकारो जिला मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर और चास प्रखंड मख्यालय से मात्र चार किलोमीटर दूर बोकारो-धनबाद फोरलेन राष्ट्रीय राज मार्ग-23 के तेलगरिया से कोयलांचल क्षेत्र झरिया की ओर जाने वाली सड़क के किनारे बसा है निचितपुर पंचायत का बाधाडीह गांव। इस गांव एक टोला है, जिसे डोम टोला के नाम से जाना जाता है। टोकरी बनाकर और दैनिक मजदूरी करके अपना जीवन बसर करने वाले लोग यहां बसते हैं। इस टोले में इस जाति के करीब 16 परिवार रहते हैं, जिनके पास कहने को घर है। यह डोम टोला सड़क से एकदम सटा है।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : झारखंड के एक डोम टोले की बदहाली

लेखक के बारे में

विशद कुमार

विशद कुमार साहित्यिक विधाओं सहित चित्रकला और फोटोग्राफी में हस्तक्षेप एवं आवाज, प्रभात खबर, बिहार आब्जर्बर, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, सीनियर इंडिया, इतवार समेत अनेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए रिपोर्टिंग की तथा अमर उजाला, दैनिक भास्कर, नवभारत टाईम्स आदि के लिए लेख लिखे। इन दिनों स्वतंत्र पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक-राजनैतिक परिवर्तन के लिए काम कर रहे हैं

संबंधित आलेख

फुले, पेरियार और आंबेडकर की राह पर सहजीवन का प्रारंभोत्सव
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सुदूर सिडियास गांव में हुए इस आयोजन में न तो धन का प्रदर्शन किया गया और न ही धन...
भारतीय ‘राष्ट्रवाद’ की गत
आज हिंदुत्व के अर्थ हैं– शुद्ध नस्ल का एक ऐसा दंगाई-हिंदू, जो सावरकर और गोडसे के पदचिह्नों को और भी गहराई दे सके और...
जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के बीच का फर्क
जेएनयू की आबोहवा अलग थी। फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मेरा चयन असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर हो गया। यहां अलग तरह की मिट्टी है...
बीते वर्ष 2023 की फिल्मों में धार्मिकता, देशभक्ति के अतिरेक के बीच सामाजिक यथार्थ पर एक नज़र
जाति-विरोधी फिल्में समाज के लिए अहितकर रूढ़िबद्ध धारणाओं को तोड़ने और दलित-बहुजन अस्मिताओं को पुनर्निर्मित करने में सक्षम नज़र आती हैं। वे दर्शकों को...
‘मैंने बचपन में ही जान लिया था कि चमार होने का मतलब क्या है’
जिस जाति और जिस परंपरा के साये में मेरा जन्म हुआ, उसमें मैं इंसान नहीं, एक जानवर के रूप में जन्मा था। इंसानों के...