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अभिलेखागार

क्या है ओबीसी साहित्य?
राजेंद्र प्रसाद सिंह बता रहे हैं कि हिंदी के अधिकांश रचनाकारों ने किसान-जीवन का वर्णन खानापूर्ति के रूप में किया है। हिंदी साहित्य में गेहूँ की झुकी-झुकी बालियों का चित्रण है। धानखेत  हैं। मटर और...
बहुजनों के लिए अवसर और वंचना के स्तर
संचार का सामाजिक ढांचा एक बड़े सांस्कृतिक प्रश्न से जुड़ा हुआ है। यह केवल बड़बोलेपन से विकसित नहीं हो सकता है। यह बेहद सूक्ष्मता और संवेदनशीलता की मांग करता है। संसद और विधानसभाओं में जाने...
पिछड़ा वर्ग आंदोलन और आरएल चंदापुरी
बिहार में पिछड़ों के आरक्षण के लिए वे 1952 से ही प्रयत्नशील थे। 1977 में उनके उग्र आंदोलन के कारण ही बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने ओबीसी आरक्षण लागू किया
कुलीन धर्मनिरपेक्षता से सावधान
ज्ञानसत्ता हासिल किए बिना यदि राजसत्ता आती है तो उसके खतरनाक नतीजे आते हैं। एक दूसरा स्वांग धर्मनिरपेक्षता का है, जिससे दलित-पिछड़ों को सुरक्षित दूरी बनाए रखना चाहिए। बता रहे हैं प्रेमकुमार मणि
दलित और बहुजन साहित्य की मुक्ति चेतना
आधुनिक काल की मुक्ति चेतना नवजागरण से शुरू होती है। इनमें राजाराम मोहन राय, विवेकानंद, दयानंद सरस्वती, पेरियार,...
बहुजन नायकों को चिढ़ाते शब्दों का द्विजवादी तमाशा
गौतम बुद्ध के अनुयायियों को द्विजवादी शक्तियों ने घटिया अर्थ-छाया देकर "बुद्धू"; मूर्ख और "डाकू" लुटेरा बनाया है।...
‘मुख्यधारा की मीडिया’ के मायने
यदि 21वीं सदी के शुरुआती वर्षों तक आदिवासी इलाके की घटनाओं में मीडिया की भूमिका को देखा जाए...
बहुजन साहित्य में अवधारणामूलक शब्द किसके हैं?
सांस्कृतिक वर्चस्व के संघर्ष जितने बारीक होते हैं, परिवर्तनवादी साहित्य को उतना ही सतर्क और चेतना संपन्न होने...
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