सन् 1931 की जनगणना के अनुसार, शूद्र आबादी का लगभग 52 प्रतिशत थे और दलित 18 प्रतिशत। वैश्यों, क्षत्रियों और ब्राह्मणों की कुल आबादी लगभग सात प्रतिशत थी। शेष आबादी मुसलमानों, सिक्खों, ईसाईयों और आदिवासियों की थी। आज भी देश की कृषि को शूद्र और दलित ही संभाल रहे हैं। कांचा इलैया शेपर्ड द्वारा संपादित नई किताब में उनके लेख ‘शूद्रज एंड डेमोक्रेटिक इंडिया’ का एक अंश