सोचो कि महात्मा फुले भी वह सब कुछ नहीं कर पाते, जो उन्होंने किया, यदि वे स्काटिश मिशन हाईस्कूल में न पढ़े होते, उन्होंने अपनी पत्नी को शिक्षित न किया होता (जो कि उन दिनों एक क्रांतिकारी कदम था), लड़कियोें के लिए स्कूल न शुरू किया होता (जो उससे भी ज्यादा क्रांतिकारी कदम था), विधवाओं का पुनर्विवाह करवाने की पहल न की होती (जो अभूतपूर्व क्रांतिकारी कदम था), सत्यशोधक समाज की स्थापना न की होती और पुणे नगरपालिका में काम न किया होता