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राज्यसभा में मनोज कुमार झा का संबोधन – ‘उल्टे पांव की यात्रा’
गत 25 मार्च, 2022 को प्रो. मनोज कुमार झा ने कहा– पेरियार, सावित्रीबाई फुले, जोतिबा फुले, बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर – आप एक साझी सोच देखिए। क्यों हमारे दलित-बहुजन चिंतक उस तरह से नहीं...
पेरियार की नजर में ‘शुचिता’
यदि स्त्रियां वास्तव में अपनी आजादी चाहती हैं, तो उन्हें शुचिता की अवधारणा को जो लिंग के आधार पर स्त्री और पुरुष के लिए अलग-अलग न्याय का प्रावधान करती है – को तत्काल नष्ट कर...
बहुजन राजनीति : सोशल मीडिया के युग में बड़े जमीनी आंदोलन की दरकार
सोशल मीडिया की मदद से बहुजन बुद्धिजीवी समाज में जागरूकता भी पैदा कर सकते हैं। ब्राह्मणवाद की धूर्तताओं से अपने लोगों को परिचय कराकर उन्हें बड़े आंदोलन के लिए तैयार भी कर सकते हैं। इसके...
पहले सुप्रीम कोर्ट समझे यह तथ्य, तब करे सवाल कि आरक्षण कब तक
हाल ही में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी कि कितनी पीढ़ियों तक जारी रहेगा आरक्षण, के संदर्भ में कांचा इलैया शेपर्ड का पक्ष
पहले ब्राह्मणवाद से खुद को आजाद करें ओबीसी, नहीं तो अधूरा ही रहेगा सत्ता संघर्ष
मूल बात यही है कि जनसंख्या में सबसे अधिक होने के कारण पिछड़ी जातियों के हाथों में देश...
रोहिणी कमीशन की अनुशंसा पर उठे रहे सवाल
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस वी. ईश्वरैय्या के मुताबिक, देश में जब तक वैज्ञानिक तरीके...
‘किसान और राशन कार्ड वाले सभी मिलकर लड़ें, केवल किसानों का नहीं है यह आंदोलन’
बीजेपी-आरएसएस की राजनीति पूरी तरह से इंसानियत को उखाड़ फेंकने की राजनीति है। ये हिंदू धर्म के नहीं,...
मनीषा कांड से सबक ले दलित समाज और आवाज उठाए
मेरा मत है कि दलित युवतियों के साथ होने वाले अन्याय को रोकने के लिए न्याय और क़ानूनी...
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