जिस समतामूलक समाज की परिकल्पना डॉ. आंबेडकर ने की थी, वह साकार नहीं हो सकी है। इसके पीछे गांधी और उनके गांधीवाद की क्या भूमिका थी? इसी विमर्श पर आधारित किताब ‘आंबेडकर की नजर में गांधी और गांधीवाद’ आज ही घर बैठे खरीदें। मूल्य– 200 रुपए (अजिल्द) और 400 रुपए (सजिल्द)
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‘गुलामगिरी’ जोतीराव फुले द्वारा लिखित बहुजनों की मुक्ति का घोषणापत्र के समरूप किताब (मूल मराठी से अनूदित व विस्तृत संदर्भ-टिप्पणियों से समृद्ध) खास आपके लिए। आज ही घर बैठे खरीदें। मूल्य– 200 रुपए (अजिल्द) और 400 रुपए (सजिल्द)
डॉ. आंबेडकर द्वारा हिंदू धर्म की हकीकत बताने वाली अंतिम किताब (एनोटेटेड संस्करण) खास आपके लिए ही है। आज ही घर बैठे खरीदें। मूल्य 200 रुपए (अजिल्द) और 400 रुपए (सजिल्द)
मंडल कमीशन कैसे लागू हुआ? एससी-एसटी एक्ट कैसे बना? इसके अलावा दलित-बहुजनों के हितार्थ कानूनों के बनने की कहानी है इस किताब में। इसे घर बैठे अमेजन और फ्लिपकार्ट के जरिए खरीदा जा सकता है। आज ही आर्डर करें
बहुजनों के लिए बौद्धिक पूंजी का निर्माण करती इस किताब की कीमत केवल 200 रुपए है। इसे अमेजन और फ्लिपकार्ट के जरिए घर बैठे खरीदा जा सकता है।
अगर आपके पास अब तक ‘ई.वी. रामासामी पेरियार : दर्शन-चिंतन और सच्ची रामायण’ नहीं है तो तुरंत अमेज़न या फ्लिपकार्ट पर आर्डर करें। यह पुस्तक आपको पेरियार के मुक्तिकामी विचारों में डूबने का मौका देगी और आपको बतलाएगी कि सच्चे अर्थों में आधुनिक भारत कैसा होना चाहिए
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फारवर्ड प्रेस बुक्स की किताबें अब ई-बुक के रूप में उपलब्ध हैं। इन्हें घर बैठे बस एक क्लिक के जरिए खरीदकर पढ़ा जा सकता है। फारवर्ड प्रेस द्वारा इन किताबों को मूल कीमत से आधी से भी कम कीमत पर उपलब्ध करायी गयी है
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आगामी 14 व 15 मार्च को क्रमश: विशाखापट्टनम व हैदराबाद में ज. वि. पवार द्वारा लिखित पुस्तक “दलित पैंथर : एक आधिकारिक इतिहास” के तेलुगू रूपांतरण का विमोचन होगा। पवार कहते हैं कि दलित पैंथर के आंदोलन के बारे में देशभर के लोग जानें और संगठित होकर संघर्ष करें। यही उनके लेखन का उद्देश्य रहा है।
लंबे समय से हिंदी पाठकों को एक ऐसे मुकम्मल किताब की जरूरत महसूस हो रही थी, जो पेरियार के विचारों के विविध आयामों से उन्हें परिचित करा सके। फारवर्ड प्रेस द्वारा इस किताब का प्रकाशन इसी जरूरत को पूरा करने के लिए किया गया है
The father of the Dravidian movement was a rationalist, a social reformer, a political activist and, above all, an unabashed critic of Hinduism. This book offers a simplified yet accurate Hindi translation of Periyar’s original writings
इस किताब के लेखक कंवल भारती हैं। यह पुस्तक आरएसएस के विचारों और फुले-आंबेडकर के विचारों के बीच के अंतर को सामने लाती है। यह बताती है कि कैसे एक ओर आरएसएस समाज में वर्चस्ववादी जातिव्यवस्था और पितृसत्ता को स्थापित करना चाहता है तो दूसरी ओर फुले-आंबेडकर के विचार एक ऐसे समाज बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं जिसमें सभी को आत्मसम्मान के साथ बराबरी के स्तर पर जीने का अधिकार हो। यह पुस्तक विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं और ई-कामर्स वेबसाइटों पर उपलब्ध। विशेष छूट! शीघ्र आर्डर करें