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पूछना तो उन किसानों को भी चाहिए जिनके खाते में दो हज़ार की रकम आई कि उन्हें इतना कम क्यों मिला? साल भर में छह हज़ार का वे क्या करेंगे? पांच सौ रुपए महीने की इस दयानतदारी से उनका पेट कितना भर सकता है? रामजी यादव का विश्लेषण
इस आंदोलन में भूमिहीन छोटे किसान, बटाईदार आधिहा रेगहा लेने वाले किसानों को शामिल कर आंदोलन का विस्तार किया जा सकता है। बता रहे हैं संजीव खुदशाह
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि ओबीसी ग्रांट का पैसा ओबीसी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसका दूसरे मद में उपयोग अनुचित है। उन्होंने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि ओबीसी छात्रों को दाखिले के समय परेशान किया जाता है
Using Rajasthan state politics as a case study, Prof Shyam Lal shows that the crisis of Dalit leadership is not because the Dalit leaders are inept or are indifferent to the plight of the Dalits but because of the upper-caste leaders who ignore their Dalit colleagues and portray them as incompetent, writes Kanwal Bharti
राजस्थान के इस एक उदाहरण से लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि दलित नेतृत्व का संकट वस्तुत: इस कारण नहीं है कि दलित नेता अयोग्य हैं या दलितों के प्रति उदासीन हैं, बल्कि सच यह है कि हिंदू नेता अपने पूर्वाग्रहों से उनकी उपेक्षा करते हैं और उन्हें अयोग्य दिखाने का षड्यंत्र रचते हैं। कंवल भारती की समीक्षा
भारतीय जेल संविधान के आधार पर कार्य करने वाली संस्थान है। वही संविधान जिसमें समता का अधिकार सुनिश्चित है। परंतु संविधान लागू होने के सात दशक बाद भी भारतीय जेलों में मनुवादी जाति व्यवस्था कायम है
अपने संदेश में डॉ. हेमलता महिश्वर ने लिखा – “इंसान बनें, मनुवादी नहीं। संविधान चाहिए, मनुस्मृति नहीं। मनुस्मृति दहन दिन की हार्दिक मंगल कामनाएं।” उनके इस संदेश पर दो लोगों ने आपत्ति व्यक्त की।
डॉ. रामविलास शर्मा के विचारों को विस्तार देते हुए कंवल भारती मानते हैं कि भारत में यदि फासिस्ट तानाशाही कायम होती है, तो इसकी एकमात्र जिम्मेदारी, कम्युनिस्ट पार्टी में मौजूद, ऊंची जाति पर होगी, और ऊंची जाति में भी सबसे ज्यादा ब्राह्मण वर्ग पर
आदिवासी समुदाय से आने वाले डॉ. मधुकर पदवी को बिरसा मुंडा ट्राइबल यूनिवर्सिटी का प्रथम कुलपति नियुक्त किया गया है। इस युनिवर्सिटी की स्थापना गुजरात सरकार ने 2017 में की थी
भंवर मेघवंशी के मुताबिक, हिंदुत्व के ध्वजवाहकों और शोषकों का चोली-दामन का साथ रहा है। हिन्दू महासभा हो अथवा संघ अथवा जनसंघ व्यापारियों और राजे-रजवाड़ों की कृपा से अपने संसाधन जुटाते रहे हैं और उनके प्रति नरमदिल भी बने रहे हैं। आरएसएस का तो सबसे बड़ा आर्थिक सहयोग गुरु दक्षिणा के रूप में व्यापारी वर्ग से ही आता रहा है