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मध्य प्रदेश में एंटी कोविड वैक्सीन के ट्रायल के लिए लोगों को प्रति डोज 750 रुपए देने की बात सामने आई है। इनमें से भोपाल गैस कांड के पीड़ित दीपक मरावी भी थे, जिनकी मौत कोवैक्सीन नामक दवा का डोज लेने के दस दिनों के बाद मौत हो गई। अब सरकार और कंपनी दोनों अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। ताबिश हुसैन की तफ्तीश
‘माटी संकल्प मार्च’ में शामिल दलित-बहुजन अपने साथ डेढ़ सौ मीटर लंबा बौद्ध धम्म ध्वज और तिरंगा, लेकर चल रहे थे। वहीं कई बैनरों पर “साझी विरासत और साझी शहादत” के नारे थे। इस दौरान लोगों ने ‘जय भीम’ के नारे के साथ ‘जय किसान’ और ‘जय जवान’ के नारे लगाए। बता रहे हैं सुशील मानव
P.N. Sankaran cites two recent incidents to illustrate the apathy of the commissions Constitutionally empowered to protect the rights of the Scheduled Castes and the Backward Classes
इस आंदोलन में भूमिहीन छोटे किसान, बटाईदार आधिहा रेगहा लेने वाले किसानों को शामिल कर आंदोलन का विस्तार किया जा सकता है। बता रहे हैं संजीव खुदशाह
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि ओबीसी ग्रांट का पैसा ओबीसी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसका दूसरे मद में उपयोग अनुचित है। उन्होंने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि ओबीसी छात्रों को दाखिले के समय परेशान किया जाता है
भारतीय जेल संविधान के आधार पर कार्य करने वाली संस्थान है। वही संविधान जिसमें समता का अधिकार सुनिश्चित है। परंतु संविधान लागू होने के सात दशक बाद भी भारतीय जेलों में मनुवादी जाति व्यवस्था कायम है
इसके पहले किसानों के जितने भी आंदोलन हुए, उन्हें ऊंची व दबंग जातियाें के किसानों का आंदोलन कहा गया। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। इस आंदोलन में सभी तबके के किसान शामिल हैं। फिर चाहे वे दलित हों, अति पिछड़े वर्ग के हों। यह एकजुटता महत्वपूर्ण है
देश में दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं। उनके लिए आरक्षण को लेकर भी अनेक सवाल हैं। ऐसे में राष्ट्रीय एससी व एसटी आयोगों का पुनर्गठन नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एस. के. कृष्णन ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले में पहल करने की मांग की है
बिहार में भाजपा को जो जीत मिली है उसमें पिछड़े वर्ग की जातियों की अहम भूमिका है। ये वो जातियां हैं जो सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक क्षेत्रों में निचले पायदान पर हैं। बता रहे हैं बापू राउत
धर्मनिरपेक्षता की राजनीति आरएसएस के लिए सबसे आसान है। हालांकि इस स्थिति के निर्माण के लिए उसने लंबे समय से राजनीतिक अभियान चलाया है और बहुजन युवाओं को हिन्दू उन्मादी बना दिया है। ऐसे में तेजस्वी यादव की रणनीति ने एक नई राह दिखाई है। कंवल भारती का विश्लेषण