Atal Bihari Vajpayee did nothing that his party BJP or the media have found worth listing. In fact, many of his decisions left the backward classes, minorities, SCs, STs and the workers worse off. Akhil Niranjan explains
मीडिया के समर्थन और सवर्ण नेताओं के प्रोत्साहन के बावजूद भी सवर्ण बंद विफल रहा। दलित-ओबीसी एकता तोड़ने में सवर्ण नाकामयाब रहे। एसटी-एसटी एक्ट के विरोध में ओबीसी समुदाय सवर्णों के साथ है, इस दावे की पोल खुल गई। हां कुछ बहुजन नेताओं पर हमले बोल कर सवर्णों ने अपनी घृणा का इजहार जरूर किया। अरूण कुमार की रिपोर्ट :
In his book, ‘Chamcha Yug’, Kanshi Ram has mentioned five books by Dr Ambedkar that played a key role in his life. Alakh Niranjan explores those books
कांशीराम ने अपनी किताब ‘चमचा युग’ डॉ. आंबेडकर की उन पांच किताबों की चर्चा किया है, जिनकी उनके जीवन में अहम् भूमिका रही है। इन किताबों के बारे में बता रहे, अलख निरंजन
वाजपेयी ने ऐसा कोई कार्य किया ही नहीं है जिसे भाजपा व मीडिया गिना सके। उल्टे उन्होंने ऐसे कई कार्य किए हैं जिसने पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों/जनजातियों, मजदूरों व नौकरीपेशा जनता के जीवन पर बदतर बनाया है। बता रहे हैं अलख निरंजन :
कांशीराम ने अपनी किताब ‘चमचा युग’ डॉ. आंबेडकर की उन पांच किताबों की चर्चा किया है, जिनकी उनके जीवन में अहम् भूमिका रही है। इन किताबों के बारे में बता रहे, अलख निरंजन :
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वर्ण-जाति में जकड़ा भारतीय समाज लंबे समय से अपनी मुक्ति के लिए छटपटा रह है। वर्ण-जाति व्यवस्था की जड़ में हिंदू धर्म हैं। डॉ. आंबेडकर की किताब जाति का विनाश तथ्यों और तर्कों के साथ यह प्रतिपादित करती है कि हिंदू धर्म के विनाश के साथ ही जाति का विनाश होगा
बाबा साहेब ने संविधान की रचना से पहले ही भारतीय सामाजिक व्यवस्था के जड़ में लगे घुन को खत्म करने की ठान ली थी। वे इसका इलाज भी जानते थे और इसकी अभिव्यक्ति ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ के रुप में सामने आयी थी। फारवर्ड प्रेस बुक्स ने उनके कालजयी भाषण का हिंदी अनुवाद ‘जाति का विनाश’ मुकम्मिल स्वरूप में प्रस्तुत किया है। बीते दिनों इसका लोकार्पण किया गया
The Dalit movement encapsulates the entire Bahujan-Shraman tradition. In his book, ‘Dalit Darshan ki Vaichariki’, B.R. Biplavi makes a commendable attempt to introduce the philosophy of Dalit ideology
दलित आंदोलन अपने भीतर समग्र बहुजन-श्रमण परंपरा को समाहित करता है। दलित वैचारिकी का दर्शन क्या है, इससे परिचित कराने की एक गंभीर कोशिश बी. आर. विप्लवी ने अपनी किताब दलित दर्शन की वैचारिकी में किया है। इस किताब की महत्ता पर रोशनी डाल रहे हैं, अलख निरंजन :
In the post-Ambedkar era, Kanshi Ram lifted Dalits from the margins of society and established them at the heart of politics. His life thus became an inspiration. For him, politics was the means to a significant social change
आंबेडकर के महापरिनिर्वाण के बाद देश के दलितों को हाशिए से निकालकर राजनीति के केंद्र में स्थापित करने वाले कांशीराम की जीवन यात्रा प्रेरणादायक है। उनके लिए राजनीति एक बड़े सामाजिक परिवर्तन का जरिया था। जयंती के मौके पर याद कर रहे हैं डॉ. अलख निरंजन :
Yogi Adityanath’s UP government appears to be bent on keeping Chandrashekhar ‘Ravan’ behind bars. Chandrashekhar was due for release on 2 February, when the extended detention under the National Security Act came to an end yet again but the government again chose to invoke the Act
चंद्रशेखर रावण को रिहा करने को लेकर योगी सरकार अपनी जिद पर अड़ी है। बीते 2 फरवरी को उनपर लगाये रासुका की अवधि समाप्त हो गई। परंतु उन्हें रिहा नहीं किया गया और तीन महीने के लिए इसकी अवधि बढ़ा दी। इस बाबत देश के प्रबुद्ध जनों के हस्तक्षेप के बारे में बता रहे डॉ. अलख निरंजन :
An important link in the Bahujan-Shraman tradition, Tulsi Ram dedicated his entire life and intellect for the cause of the Bahujans. What stood out in his thoughts, life and creations? Dalit author Alakh Niranjan finds out
तुलसीराम बहुजन-श्रमण चिंतन परंपरा की एक महत्वपूर्ण कड़ी रहे हैं। उनका चिन्तन और जीवन बहुजनों के लिए समर्पित था। उनके चिन्तन, जीवन और रचनाओं पर प्रकाश डाल रहे हैं दलित लेखक डॉ. अलख निरंजन :