जहां मुलायम सिंह यादव का कहना था कि सरकार, लोगों को गीता के बारे में शिक्षित करने की दिशा में पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है, वहीं शरद यादव ने फरमाया, ‘मेरे साथियों ने (गीता के बारे में) जो कुछ कहा, उससे मैं पूर्णत: सहमत हूं। मुझे उसे दोहराने की कोई जरूरत महसूस नहीं हो रही है। सरकार को इस गतिरोध को दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए’