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मंडल कमीशन कैसे लागू हुआ? एससी-एसटी एक्ट कैसे बना? इसके अलावा दलित-बहुजनों के हितार्थ कानूनों के बनने की कहानी है इस किताब में। इसे घर बैठे अमेजन और फ्लिपकार्ट के जरिए खरीदा जा सकता है। आज ही आर्डर करें
इस किताब के लेखक कंवल भारती हैं। यह पुस्तक आरएसएस के विचारों और फुले-आंबेडकर के विचारों के बीच के अंतर को सामने लाती है। यह बताती है कि कैसे एक ओर आरएसएस समाज में वर्चस्ववादी जातिव्यवस्था और पितृसत्ता को स्थापित करना चाहता है तो दूसरी ओर फुले-आंबेडकर के विचार एक ऐसे समाज बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं जिसमें सभी को आत्मसम्मान के साथ बराबरी के स्तर पर जीने का अधिकार हो। यह पुस्तक विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं और ई-कामर्स वेबसाइटों पर उपलब्ध। विशेष छूट! शीघ्र आर्डर करें
By J.V. Pawar, Forward Press, 248 pages, Rs 500 (hardback), Rs275 (paperback), Rs 100 (e-book)
इस किताब के लेखक ज. वि. पवार ‘दलित पैंथर्स’ के संस्थापकों में से एक हैं। यह आंदोलन, डॉ. आंबेडकर के बाद दलितों के प्रतिवाद, प्रतिरोध और आक्रोश की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति था। यह किताब इसका प्रमाणिक दस्तावेज है। विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं और ई-कामर्स वेबसाइटों पर उपलब्ध। विशेष छूट! शीघ्र आर्डर करें
जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। अगर जाति आधारित जनगणना होती है तो उससे यह जो आरक्षण वाला मुद्दा है या जातियों के राजनीतिकरण का विषय है, उसमें से जो कूड़ा-कड़कट आ गया है, उसका सफाया हो जाएगा। फारवर्ड प्रेस से बातचीत में राम बहादुर राय
मामला भारतीय जीवन बीमा निगम के एससी-एसटी कल्याण संघ से जुड़ा है। गोरखपुर डिविजन के पदाधिकारी डॉ. अलख निरंजन ने संघ के प्रधान महासचिव के..पी. चौधरी के खिलाफ एक खुला पत्र जारी किया है। उनके इस पत्र से संघ के सदस्यों में खलबली मच गयी है
वामपंथी पार्टियों ने एक साझा बयान में सोनभद्र के आदिवासीयों को जमीन पर मालिकाना हक, मारे गए आदिवासी परिवारों के किसी सदस्य को नौकरी और अपराधियों को दंडित करने की मांग की है
लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम सामने आ चुके हैं। भाजपा गठबंधन ने पंजाब और दक्षिण के कुछेक राज्यों को छोड़ पूरे देश में प्रभावशाली जीत दर्ज किया है। खास बात यह है कि इस बार वंशवादियों को करारा झटका भारत की जनता ने दिया है
Different universities have advertised vacancies for assistant and associate professors. Under the rules, marks are awarded to the candidates on the basis of the number of their research papers published in approved journals. The UGC has clarified that the papers published up to 2 May 2018 in journals figuring in the old list will continue to be valid
विभिन्न विश्वविद्यालयों में अस्टिटेंट प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्तियां की जा रही हैं। प्रावधानों के मुताबिक मान्यता प्राप्त पत्र-पत्रिकाओं में शोध लेख प्रकाशित होने पर अभ्यर्थियों को अंक दिए जाते हैं। यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि उसकी पुरानी सूची में शामिल पत्रिकाओं में 2 मई, 2018 से पहले प्रकाशित लेख मान्य रहेंगे
By Ivan Kostka, Forward Press, 324 pages, Rs 350 (paperback), Rs 850 (hardback), Rs 100 (e-book)
इस किताब के लेखक फारवर्ड प्रेस के मुख्य संपादक आयवन कोस्का हैं। यह किताब फारवर्ड प्रेस में प्रकाशित उनके संपादकीय लेखों के अलावा अन्य सम-सामयिक लेखों आदि का संकलन है। विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं और ई-कामर्स वेबसाइटों पर उपलब्ध। विशेष छूट! शीघ्र आर्डर करें
गोंडी भाषा व संस्कृति के विकास के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले गोंडवाना रत्न सुन्हेर सिंह ताराम जी का निधन 7 नवंबर 2018 को हो गया था। उनकी स्मृति में 18 फरवरी 2019 को महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के धनेगांव में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया है